प्रशासन की सख्ती डगमगाई पट्टाधारकों की हिम्मत
जिले में गिट्टी और बालू लदे वाहनों पर कार्रवाई के कारण पट्टेधारक घाटों को चालू कराने से कतरा रहे हैं। आधा दर्जन घाटों में से किसी पर भी खनन नहीं हो रहा है। वाहन स्वामियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी...
जिले में गिट्टी व बालू लदे वाहनों पर हो रही ताबड़तोड़ कार्रवाई से वाहन स्वामियों की तो कमर टूट ही गई है पट्टेधारक भी घाटों को चालू कराने से कतरा रहे हैं। जिले में संचालित आधा दर्जन घाटों में से एक पर भी अभी तक खनन करने की पहल नहीं हो सकी है। चर्चाओं पर जायें तो पट्टेधारक घाटों को सरेंडर करने के मूड में हैं। जिले में जमुनापुर, कटैया, मल्हीपुर, नंदा का पुरवा, महरनिया समेत आधा दर्जन यमुना बालू घाटों का कारोबारियों ने पट्टा ले रखा है। इनमें से अधिकतर खंडों में बालू नहीं है। जिन घाटों में बालू की उपलब्धता है भी उसकी क्वालिटी ठीक नहीं है। पिछले वर्ष खंडों में बालू नहीं होने पर कई पट्टेधारकों ने खंड से हटकर खनन किया था। कटैया बालू घाट संचालक के विरुद्ध तो प्रशासन द्वारा लाखों रुपये का जुर्माना लगाया गया था। घाटों के बंद होने के बाद डम्प से परिवहन शुरू हुआ तो वाहन स्वामियों के विरुद्ध लगातार कार्रवाई होती रही। इतना ही नहीं पखवारे भर पहले अभियान चलाकर जिले भर में ओवरलोड वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई हुई। इस दौरान नौ लोगों को पासर बताते हुए गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है। पुलिस-प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई को देखते हुए पट्टेधारकों के होश उड़ गए हैं। उनका मानना है कि जब इसी तरह प्रशासन का सोटा चलता रहेगा तो जिले में परिवहन करने वाले वाहनों का आवागमन शून्य हो जायेगा। ऐसे में घाटों का संचालन करना घाटे का सौदा होगा। यही कारण है कि नवम्बर माह के पहला सप्ताह बीतने के बाद भी यमुना बालू घाटों का पट्टा ले रखे पट्टेधारक खनन को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
ओवरलोड परिवहन व अवैध खनन के विरुद्ध कार्रवाई होती रहेगी। नियम का पालन करने वाले वाहनों व पट्टेधारकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। नियमानुसार काम करने वालों के प्रशासन खड़ा है।
अजित कुमार पांडेय, डीएमओ
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