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बोले कौशाम्बी: पंचायत भवन खुलें तो बंद हो ब्लॉक की दौड़

Kausambi News - ग्राम पंचायतों का ताला बंद रहने से ग्रामीणों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सचिव, लेखपाल और अन्य कर्मचारियों से मुलाकात नहीं हो पा रही है। पंचायत भवनों के न खुलने से आवश्यक कार्य प्रभावित हो...

Newswrap हिन्दुस्तान, कौशाम्बीTue, 4 March 2025 12:59 AM
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बोले कौशाम्बी: पंचायत भवन खुलें तो बंद हो ब्लॉक की दौड़

ग्राम पंचायतों का बंद ताला ग्रामीणों की परेशानी ही बढ़ा रहा है। ताला न खुलने से न तो सचिव से मुलाकात हो पाती है, न ही लेखपाल व सिपाही से। अन्य संविदा कर्मियों की तो बात ही छोड़ दीजिए। पंचायत भवनों के न खुलने से लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। मजबूरन उन्हें किराया भाड़ा फूंक कर ब्लॉक जाना पड़ता है। इससे लोग परेशान हैं। शिकायत ढेरों हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं। यही कारण है कि पंचायत सहायकों की मनमानी बढ़ती जा रही है। जिले में 451 पंचायत भवन हैं। इनमें से अधिकतर बंद ही रहते हैं। कई पंचायत भवन तो ऐसे हैं, जो महीनों से नहीं खुले हैं। इसकी तस्दीक पंचायत सहायकों की ऑनलाइन हाजिरी से हो जाता है। पंचायत भवनों में पंचायत सहायकों के न बैठने की वजह से लोगों के जरूरी कार्य नहीं हो पा रहे हैं। परिवार रजिस्टर, जन्म, मृत्यु के लिए आवेदन ऑनलाइन नहीं हो पा रहे हैं। शौचालयों का सर्वे नहीं हो पा रहा है। आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए लोग परेशान रहते हैं। आय, जाति व निवास प्रमाण पत्र का आवेदन कराने के लिए लोगों को दूसरे सेंटरों पर जाना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत से जुड़ी जानकारी लेने के लिए लोग परेशान होते हैं। पंचायत भवनों में रोस्टर के हिसाब से सचिव, लेखपाल, बीट का सिपाही, आशा बहू, आंगनबाड़ी कार्यकत्री आदि को बैठना चाहिए, लेकिन जब पंचायत सहायक ताला ही नहीं खोलता तो लोग बैठे कहां। सारे काम ब्लॉक मुख्यालय व तहसील से ही हो रहे हैं। सिपाही से मिलने के लिए लोगों को थाना अथवा चौकी जाना पड़ता है। पंचायत सहायकों के कार्यों की मॉनीटरिंग होती है, इसके बावजूद इनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। सचिव व प्रधान की अनदेखी से पंचायत सहायक ताला बंद कर गायब रहते हैं। इससे लोगों में नाराजगी बनी हुई है।

ऑनलाइन हाजिरी तो क्यों नहीं होती कार्रवाई

पंचायत सहायकों की आनलाइन हाजिरी होती है। इसके बावजूद वह व्यवस्था का संचालन अपने तरीके से कर रहे हैं। न तो उन्हें किसी का खौफ है, न ही डर। सिराथू ब्लाक के बिदनपुर ककोढ़ा, बम्हरौली, खनवारी, नगियामई, निधियांवा, शमसाबाद, थोन, जुवरा, रूपनारायणपुर गोरियों, कैमा के पंचायत सहायकों की पूरी फरवरी माह आनलाइन हाजिरी नहीं लगी। इसके बावजूद इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है।

रिक्त पदों पर नहीं हो रही तैनाती

कई पंचायत सहायकों ने अपने निजी कारणों की वजह से संविदा की नौकरी छोड़ दी है। दर्जनों पद खाली हैं, लेकिन इनकी जगह दूसरे युवाओं को मौका नहीं दिया जा रहा है, जबकि युवा इन पदों पर भर्ती निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं। रिक्त पदों पर पंचायत सहायकों की तैनाती न होने की वजह से भी ग्राम पंचायतों के जरूरी कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

किराए के भवनों में कब तक चलेंगे पंचायत भवन

कई ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन किराए के भवन पर संचालित हैं। पंचायत भवन खुद के भवन में नहीं हैं। कहीं जमीन न मिलने की वजह से पंचायत भवन नहीं बन सके तो कहीं दूसरी वजहों से भवन का निर्माण नहीं हो सका। किराए के भवनों में चल रहे पंचायत भवनों का भी हाल बुरा है। कई पंचायत भवन तो ऐसे हैं, जहां पुलिस चौकी संचालित है। इस वजह से भी ग्राम पंचायत ने किराए पर भवन ले रखा है।

इनका कहना है

पंचायत भवनों को नियमित खुलना चाहिए। पंचायत भवनों से जरूरी कार्य होते हैं। ऑनलाइन आवेदन कराने के लिए लोग परेशान रहते हैं, लेकिन ताला बंद रहने की वजह से लोगों को बाहर जाना पड़ता है।

धर्म सिंह-मोहनपुर

पंचायत भवनों को खुलना चाहिए। साथ ही रोस्टर के हिसाब से कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से बैठाया जाए। पंचायत भवनों के न खुलने पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी, तभी स्थिति में सुधार आएगा।

जगन-मलाक रेजमा

जॉबकार्ड, आयुष्मान कार्ड के अलावा अन्य जरूरी कार्यों के लिए लोग पंचायत सहायक को ढूंढ़ते रहते हैं, लेकिन वह नहीं मिलता। पंचायत भवन यदि नियमित खुलें तो लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा।

पंकज कुमार-बद्री केदार

पंचायत भवनों को खोलने के पीछे सरकार की मंशा साफ थी। गांव में एक ही छत के नीचे सारी व्यवस्थाएं मिल जाएं, लेकिन लापरवाही की सारी हदें पार हो चुकी हैं। इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए।

हिमांशु शुक्ला-रामपुर धमावा

सरकार की व्यवस्था को ठेंगा दिखाया जा रहा है। सरकार ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों को सहूलियत देने का प्रयास कर रही है। पंचायत भवन इसी का अहम हिस्सा है, लेकिन लाभ किसी को नहीं मिल रहा है।

केशन पाल-कैमा

पंचायत भवन न खुलने पर लापरवाह सहायकों पर कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही रिक्त पदों पर भर्ती निकालकर युवाओं को मौका दिया जाए। ग्रामीण ब्लाकों का चक्कर कब तक लगाएंगे।

सुरेश कुमार-नारा

पंचायत भवन यदि नियमित खुलने लगे तो ग्रामीणों की सारी परेशानी का हल हो जाए। पंचायत भवन में सारी व्यवस्था की गई है। इसके बावजूद पंचायत सहायकों की लापरवाही की वजह से लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

ओम सिंह-गोसैलमपुर

आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र का आवेदन कराने के लिए लोग ब्लॉक मुख्यालय अथवा सीएससी सेंटर जाते हैं। पंचायत भवन में यदि पंचायत सहायक बैठने लगे तो ग्रामीणों को भाग-दौड़ करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

प्रेमचंद्र-आइमापुर

बोले जिम्मेदार

निदेशालय से पंचायत सहायकों की रिपोर्ट मांगी गई है। जांच कराकर जल्द ही पंचायत सहायकों की रिपोर्ट भेजी जाएगी। लापरवाह सहायकों पर कार्रवाई की जाएगी।

- विश्वबंधु, एडीओ पंचायत

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पंचायत भवन यदि नियमित नहीं खुल रहे हैं तो गंभीर मामला है। सभी ब्लॉकों से रिपोर्ट मंगवाकर कार्रवाई कराएंगे। यदि लापरवाही मिली तो किसी को छोड़ा नहीं जाएगा।

- अजीत कुमार श्रीवास्तव, सीडीओ

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