बोले कानपुर : आए दिन हम उजाड़े जाते हैं, एक ठिकाना तो दीजिए..
Kanpur News - पटरी व्यवसायियों को अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान पुलिस और नगर निगम द्वारा सताया जाता है। 2017 के सर्वे में 24,000 पथ विक्रेता थे, जो अब बढ़कर 80,000 हो गए हैं। नगर निगम द्वारा वेंडिंग जोन बनाने...
अब हमें पटरी व्यवसायी कहिए या स्ट्रीट वेंडर्स, किसी भी परिस्थिति में सताए हम ही जाते हैं। जब अतिक्रमण हटाने का अभियान चलता है तो सबसे पहले पुलिस हमें ही डंडे मारकर भगाती है। नगर निगम की तलवार हमेशा लटकती रहती है। कार्रवाई करने में कोई पीछे नहीं रहता। वीआईपी आएं तो इलाके में हमारा धंधा चौपट। कोई अभियान चले तो परिवार के लिए रोटी का संकट। इन सभी पर अफसरों का जोर बहुत है मगर जब वेंडिंग जोन बनाने और व्यवस्थित ढंग से दुकानें आवंटित करने की बात आती है तो सारी कवायद बैठकों तक सीमित हो जाती है। हम भी नहीं चाहते अतिक्रमण करना मगर दुकानें लगाने के लिए जगह तो मिले। इसके साथ ही थोड़ा सम्मान भी मिल जाए।
डूडा के 2017 के सर्वे के मुताबिक शहर में पथ विक्रेताओं की संख्या 24,000 थी। कोरोना काल के दौरान वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पथ विक्रेताओं के लिए स्वनिधि योजना लागू की तो पथ विक्रेताओं की संख्या 80,000 हो गई। तब स्वनिधि योजना से 10,000 रुपये ऋण लेकर बड़ी संख्या में पटरी दुकानदारों ने अपने व्यवसाय को बढ़ाने का प्रयास किया था, लेकिन उनकी राह में वेंडिंग जोन बड़ी बाधा बनकर खड़ी है। कानपुर स्ट्रीट वेंडर की संयोजिका आभा चतुर्वेदी कहती हैं, पथ विक्रेताओं को अतिक्रमणकारी बताकर नगर निगम ठेले और सामान उठा ले गया तो कई दिन की दुकानदारी भी चली गई। लिहाजा, बैंक का ऋण पथ विक्रेता नहीं अदा कर सके। आए दिन हमारे दुकानों को उजाड़ दिया जाता है, कम से कम हमें एक ठिकाना तो दिया जाए। पहले अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाने से पहले नगर निगम नियमत: सूचना भी देता था, पर अब कभी भी बिना सूचना अतिक्रमण हटाओ दस्ता धमक जाता है।
संजय वन फूड जोन की नहीं ली स्वीकृति : नगर निगम ने संजय वन में फूड जोन बनाया है। नियमत: फूड जोन के लिए पथ विक्रेता समिति से स्वीकृति लेना चाहिए था, लेकिन नियमों को दरकिनार कर 36 दुकानदारों को जगह दे दी गई। इससे पथ विक्रेता समिति का कद अधिकारियों ने छोटा कर दिया। यही वजह है कि बीते तीन वर्षों से समिति का गठन दोबारा नहीं किया गया।
गुजैनी में नहीं बैठ रहे दुकानदार : गुजैनी के एक पटरी व्यवसायी ने बताया कि रतनलाल नगर पुलिस चौकी के पीछे 192 चबूतरे नगर निगम ने बनवा रखे हैं। हैरानी की बात है कि एक भी पथ विक्रेता इन चबूतरों पर जाने को तैयार नहीं है। वहीं,दुकानदारों को अनधिकृत जगह से हटाने में नगर निगम के अधिकारी ही रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
पराग डेयरी चबूतरा के दुकानदारों को किया जाए स्थाई : कानपुर स्ट्रीट वेंडर के पदाधिकारी बताते हैं कि पराग डेयरी में 156 चबूतरे हैं। तीन बार नगर निगम को सुझाव दिया गया कि इस स्थल पर वेंडर बैठ रहे हैं। सभी पथ विक्रेताओं को स्थाई कर दिया जाए ताकि, नगर निगम को भी राजस्व मिलने लगे। जोन 5 के अधिकारी इन दुकानदारों को स्थाई नहीं कर रहे हैं, जिससे पटरी विक्रेताओं में कभी दुकान उजड़ने का भय बना रहता है। नगर निगम अधिकारियों को जनहित के साथ राजस्व का भी ध्यान देने की जरूरत है।
आजाद पार्क में अवैध रूप से बैठ रहे पटरी दुकानदार : जोन 5 बर्रा के पथ विक्रेता समिति के सदस्य छोटेलाल ने बताया कि पटरी व्यवसायियों को नगर निगम ने आजाद पार्क में जगह दे दी है। पार्क में पटरी व्यवसाय अवैध है। कभी भी दुकानदारों को नगर निगम बाहर कर सकता है। उन लोगों ने राम गोपाल चौराहा के पास वेंडिंग जोन बनाए जाने का सुझाव नगर निगम को दिया था। पथ विक्रेता समिति ने राम गोपाल चौराहा के पास वेंडिंग जोन बनाने को स्वीकृति दे दी थी, लेकिन अधिकारियों ने अनसुना कर दिया। लिहाजा, नगर निगम के अधिकारियों का हितलाभ तो हो रहा है लेकिन नगर निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
सुझाव
1.उप्र पथ विके्रता नियमावली 2017 के मुताबिक पथ विक्रय समिति का गठन नगर निगम अविलंब करे ताकि, पटरी दुकानदारों की मुश्किल आसान हो सके।
2. पथ विक्रेताओं का सर्वेक्षण नगर निगम पूरे शहर में एक बार फिर कराए ताकि, नए सर्वेक्षण में पटरी दुकानदारों की समस्याओं का पता चल सके।
3. वर्ष 2017 में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार पंजीकृत पथ विक्रेताओं को उनके विक्रय प्रमाण पत्र का वितरण किया जाए ताकि, उन्हें पहचान मिल सके।
4. नगर निगम ने अब तक पांच विक्रय केंद्रों का चयन किया है। चह्निति पथ वक्रिेताओं को इन स्थलों पर न बैठने देने का कारण बताए। ताकि वजह सामने आए।
5. नगर निगम पथ विक्रेताओं की संख्या को देखते हुए 60 नए विक्रय क्षेत्र चिह्नित करे। साथ ही विकास कर आवंटन करे।
समस्याएं
1. 2022 के बाद पथ विक्रय समिति का गठन नहीं किया गया, जिससे पथ विक्रेताओं की समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं है। आखिर हम अपनी समस्याएं किस माध्यम से रखें।
2. कानून में प्रावधान के बावजूद शहर में पथ विक्रेताओं की संख्या के लिहाज से वेंडिंग जोन का विकास नहीं किया गया है।
3. बिना सूचना दिये अचानक कार्रवाई से पथ विक्रेताओं की रोजी-रोटी छिनने के साथ सामान को भी नुकसान होता है। गाड़ी पटरी पर लौटने में भी समय लगता है।
4. पुलिस और नगर निगम के संरक्षण में स्थाई पटरी दुकानदारों की दुकान के आगे अनधिकृत पटरी दुकानें लगती हैं।
5. स्वनिधि से लोन लेकर व्यवसाय करने वाले पटरी दुकानदार दुकान उजाड़े जाने से सरकार का ऋण चुकता नहीं कर पा रहे हैं।
बोले लोग
मोतीझील में स्थाई वेंडर हूं। मेरी दुकान के आगे अवैध वेंडर दुकान लगा लेते हैं। पुलिस अवैध दुकानें लगवाती है।
सज्जन
स्थाई दुकान के आगे अवैध दुकान लगाए जाने की शिकायत को नगर निगम के अधिकारी भी ध्यान नहीं देते हैं।
सीमा सिंह
वीआईपी आते हैं तो दो-तीन दिन दुकानें बंद रहती हैं। इतने दिन उनके परिवारों के आगे सामने रोटी का संकट खड़ा हो जाता है।
वीरू
स्थाई दुकानदार हूं। बावजूद इसके नगर निगम की टीम उनके ठेले उठा ले जाती है, जिससे उनका दो दिन का धंधा चौपट हो जाता है।
रोहन
स्थाई पथ विक्रेता हूं। फिर भी उन्हें आए दिन बदसलूकी का शिकार होना पड़ता है। हम छोटे दुकानदारों का भी सम्मान है।
प्रमोद भारद्वाज
मोतीझील में 68 पथ विक्रेता हैं, लेकिन पेयजल तक की सुविधा नहीं है। पेयजल की व्यवस्था नगर निगम को करनी चाहिए।
संजय कुमार सैनी
पेयजल की बहुत बड़ी समस्या है। इसके अलावा अभियान चलाने से पहले नगर निगम सूचना नहीं देता है।
जय
बोले जिम्मेदार
हम शहर में कई वेंडिंग जोन बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। अगले हफ्ते स्ट्रीट वेंडर्स के साथ बैठक करेंगे। अभी दिक्कत यह है कि पटरी व्यवसायी चाहते हैं कि वेंडिंग जोन मेन रोड के किनारे ही हो मगर इससे अतिक्रमण बढ़ने लगता है। हम मुख्य मार्ग से थोड़ा भीतर वेंडिंग जोन बनाएंगे ताकि उन्हें भी सहूलियत हो और शहरवासियों को भी।
सुधीर कुमार गहलौत, नगर आयुक्त
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