अपने मन को मथना ही समुद्र मंथन
अपने मन को मथना ही समुद्र मंथन अपने मन को मथना ही समुद्र मंथन अपने मन को मथना ही समुद्र मंथन
कानपुर। पार्षद नगर बरसायतपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन सोमवार को कथा व्यास आचार्य योगेश अवस्थी ने श्रीकृष्ण जन्म और समुद्र मंथन कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि कंस के अत्याचार से पीड़ित पृथ्वी ने भगवान से आग्रह किया। इसके बाद प्रभु ने कृष्ण रूप में जन्म लिया। अपने मन को मथना ही समुद्र मंथन है। स्वयं विचार कर निश्चित करें कि इस संसार में हम क्यों आए हैं। संसार में आने का क्या उद्देश्य है। विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार..भजन सुनकर भक्त मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे। यहां गोविंद प्रसाद, ज्योति त्रिवेदी, सुशील शुक्ला, आरएस पाठक, जगमोहन त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
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