कानपुर देहात के बारा बस स्टेशन को पीपीपी मॉडल पर विकसित करने की क़वायद
Kanpur News - कानपुर देहात के बारा गांव में स्थित 36 साल पुराना रोडवेज बस स्टेशन अब खंडहर में तब्दील हो गया है। बाईपास बनने के बाद यहां बसें आना बंद हो गईं। अब अधिकारियों ने इसे पीपीपी मॉडल के तहत फिर से विकसित...
कानपुर देहात। सिकंदरा- कानपुर हाईवे पर स्थित बारा गांव में लाखों की लागत से करीब छत्तीस साल पहले बना रोडवेज बस स्टेशन खंडहर में तब्दील हो चुका है। बाईपास बनने के बाद यहां बसों का आना बंद होने से उपयोगहीन हो चुके इसके जर्जर भवन में अभी पुलिस चौकी का संचालन हो रहा है। अब इसको पीपीपी मॉडल के तहत फिर से विकसित कराने की अफसरों ने कवायद शुरू की है। अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र के बारा गांव निवासी तत्कालीन एमएलसी शफीक अहमद तातारी के प्रयास से 1972 में लोगों को आवागमन की सुविधा मुहैया कराने के लिए बारा में बस स्टेशन स्वीकृत हुआ था। उस समय लाखों की लागत से बने इस बस स्टेशन में करीब एक दशक तक झांसी, इटावा कानपुर से आने जाने वाली बसों का ठहराव होता रहा। लेकिन 1982 में बाई पास बनने के बाद चालक इस बस स्टेशन में आने के बजाय सीधे फर्राटा भरने लगे। इससे यह बस स्टेशन उपेक्षा का शिकार हो गया। बसों का आना बंद होने के बाद भवन के अराजक तत्वों का अड्डा बन जाने से गांव में किराए के भवन में संचालित पुलिस चौकी को 1984 में बस स्टेशन में शिफ्ट कर दिया गया था। देखरेख के अभाव में यह भवन खंडहर में तब्दील हो गया है। जबकि कानपुर इटावा हाईवे किनारे करोड़ों की कीमत वाली बस स्टेशन की जमीन भी उपयोगहीन बनी है। करीब 36 साल बाद अब खंडहर हो चुके इस रोडवेज बस स्टेशन को पीपी मॉडल पर विकसित करने की क़वायद शुरू हुई है। माती डिपो की एआरएम शशि सिंह ने बताया कि बारा वा पुखरायां के उपेक्षित हो चुके पुराने बस स्टेशन को पीपी मॉडल पैर विकसित कराने का प्रयास किया जा रहा है। निदेशलय के निर्देश पर दोनों बस स्टेशनों के स्थलों का सर्किट रेट 11 हजार प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से उपलब्ध कराया जा चुका है। उन्होंने दोनों बस स्टेशनों के पीपी मॉडल पर विकास के प्रस्ताव पर फिलहाल महाकुंभ सांपन्न होने के बाद विचार हो पाने की संभावना जताई।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।