कानपुर देहात में कार्तिक पूर्णिमा पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने नदियों में लगाईं डुबकी
कानपुर देहात में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने यमुना और सेंगुर नदी के घाटों पर स्नान किया और देवी-देवताओं की पूजा की। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। घरों में तुलसी का...
कानपुर देहात। जनपद में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व शुक्रवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है। श्रद्धालुओं ने यमुना व सेंगुर नदी के प्रमुख घाटों पर पहुंचकर डुबकियां लगाईं। घरों में तुलसी के पूजन के साथ मंदिरों व आश्रमों में पहुंचकर पूजन अर्चन के साथ दीपदान किया गया। इस दौरान नदियों के स्नान घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में लोग जहां गंगा स्नान के लिए बिठूर व खेरेश्वर के लिए रवाना हुए। वहीं यमुना व सेंगुर नदी के प्रमुख घाटों पर पहुंचकर लोगों ने आस्था की डुबकियां लगाईं। मूसानगर में यमुना नदी में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मां मुक्तेश्वरी देवी मंदिर में पूजन अर्चन कर दीप जलाए। इसी तरह बरौर थाना क्षेत्र के निगोही के पास स्थित दुर्वासा आश्रम में पूजन के पहले श्रद्धालुओं ने सेंगुर नदी में डुबकियां लगाई। इसके बाद शिव मंदिर व सेंगुर नदी किनारे झाऊ के पेड़ वाले स्थल का पूजन अर्चन कर दीपदान किया। इधर अकबरपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत कमीर में स्थित बाबा सागर के पास स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में भी श्रद्धालओं ने पूजन अर्चन कर देव दीपावली के मौके पर दीपदान किए। इसी तरह कथरी के यमुना घाट पर स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मां कात्यायनी का दर्शन पूजन किया।जबकि पिचौरा, बैजामऊ, बेहमई, अमराहट व विलासपुर आदि स्थानों पर यमुना के घाटों में भी स्नानार्थियों की भीड़ रही। इधर खेरेश्वर से गंगा स्नान करने के बाद वापस आने पर श्रद्धालुओं ने हनुमानगढ़ी आश्रम कड़री में पूजन अर्चन के साथ दीपदान किया।
स्नान घाटों पर रहे सुरक्षा के कड़े इंतजाम
कार्तिक पूर्णिमा पर यमुना व सेंगुर नदियों के प्रमुख घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। मूसानगर में खतरनाक घाट बंद करने के साथ स्नान घाट पर पुलिस कर्मी तैनात रहे। इसी तरह दुर्वासा आश्रम के नजदीक सेंगुर घाट पर पुलिस हर गतिविधि पर नजर रखे रही। घरों में किया गया तुलसी का पूजन
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर शुभ से ही तुलसी का पूजन शुरू हुआ। तुलसी के घरौंदों को राम सीता का नाम लिखकर सजाने के बाद महिलाओं ने हलुआ पूड़ी अन्य प्रसाद के साथ पूजन किया। इसके साथ हो तुलसी के पौधे का दुल्हन की तरह सजाकर चूड़ी, बिंदी आदि श्रृंगार की सामग्री भी चढ़ाई गई
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