बोले कानपुर :ऊपर अंगारे बरसाते तार, नीचे नयागंज किराना बाजार
Kanpur News - कानपुर का किराना कारोबार ऑनलाइन व्यापार और टैक्सों के बोझ के कारण संकट में है। मंडी शुल्क और जीएसटी के कारण व्यापारियों को दिक्कतें हो रही हैं। व्यापारियों का कहना है कि सरकार को उनकी समस्याओं का...
गंगा किनारे बसे कानपुर को औद्योगिक नगरी का दर्जा दिलाने में किराना कारोबार की अहम भूमिका रही है। कभी नेपाल तक अपनी धाक जमाने वाला यह कारोबार अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है । समय-समय पर मंडी शुल्क, जीएसटी और न जाने कितने नियमों का भार इस कारोबार पर बढ़ता चला गया। रही सही कसर ऑनलाइन कारोबार ने पूरी कर दी। ग्राहकों को घर बैठे सामान मिलने की सुविधा ने किराना कारोबार को संकट के मुहाने पर खड़ा कर दिया। बाजार के ऊपर अंगारे बरसाते तार से व्यापारी असुरक्षित महसूस करते हैं। अब इस कारोबार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान इस कारोबार से जुड़ा हर शख्स बस यही कह रहा कि उजड़ रहे इस किराना कारोबार को अब बचा लीजिए...
सौ साल पहले शहर के नयागंज में बसे थोक किराना कारोबार ने शहर के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब-जब जरूरत पड़ी यहां के कारोबारियों ने सबसे आगे आकर सहयोग किया। सिर्फ व्यापार ही नहीं मानव सेवा में भी बाप-दादा की परंपरा आज भी निभ रही है। टैक्सों से सरकार को अच्छी-खासी आमदनी यहां से होती आ रही है पर आज किराना बाजार बुनियादी जरूरतों को लेकर संघर्ष को मजबूर है। यहां से सिर्फ शुल्क ही वसूला जाता है,सहूलियत के नाम पर कुछ भी नहीं है। तारों के मकड़जाल से बाजार में आए दिन चिंगारियां बरसती हैं। सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं। कभी शान-शौकत का किराना कारोबार धीरे-धीरे उजड़ता जा रहा है। पुरखों ने बड़ी मेहनत से रोजी-रोटी का जरिया हमें दिया, पर अब नहीं लगता है कि हम अपने बच्चों के लिए ऐसा कुछ कर जाएंगे। कहते-कहते 72 वर्षीय किराना मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश बाजपेई की आवाज भारी होने लगी तो बगल में बैठे राकेश अग्रवाल ने उनका हाथ थामा। ढांढस बंधाते हुए उन्होंने कहा, हिम्मत क्यों छोड़ते हो, हमारा काम आजतक बोलता रहा है, आगे भी ऐसा ही रहेगा। राजेश अग्रवाल ने दिलासा देने के लिए ये अल्फाज जरूर कहे, लेकिन कारोबार पर छाया संकट कैसे हटेगा, इसका जवाब वह भी नहीं जानते हैं। हां इतना जरूर कहा कि सरकार को हमारे बारे में कुछ न कुछ जरूर सोचना चाहिए। टैक्सों के बोझ तले कारोबारी छटपटा रहा है। सुनने वाला कोई नहीं है, कभी मंडी समिति तो कभी जीएसटी व आयकर वाले कार्रवाई को तैयार रहते हैं। पहले कभी भी ऐसा सलूक नहीं हुआ।
दूसरे प्रदेशों से आ रहा माल तो मंडी शुल्क का औचित्य नहीं : किराना एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अलंकार ओमर कहते हैं कि मंडी शुल्क ने हमारी कमर तोड़ दी है।डेढ़ फीसदी शुल्क वसूलने का औचित्य नहीं है। नियमानुसार, प्रदेश में उत्पादित होने वाली खाद्य सामग्री पर मंडी शुल्क देना है। बाजार में बिकने वाले हींग, धनिया, हल्दी, मिर्चा समेत तमाम खाद्य मसाले दूसरे प्रदेशों से आते हैं। मखाना, काजू, बादाम, अखरोट की भी आपूर्ति बाहर से है। मंडी शुल्क लेना उचित नहीं है। नियम बनाने वाले ही शोषण, अत्याचार के इरादे से नियमों को दरकिनार कर शुल्क नहीं बल्कि वसूली कर रहे। राज्य व केंद्र सरकार तक आवाज उठाई गई पर कहीं कोई सुनवाई नहीं। दिल्ली, बिहार में मंडी शुल्क नहीं लिया जा रहा है, ऐसा फायदा हमें क्यों नहीं मिल रहा है।
गलती से भी सीधे आ गई गाड़ी तो भारी जुर्माना : किराना कारोबारी मंडी समिति पर उत्पीड़न का आरोप भी लगाते हैं। कहते हैं कि दूसरे प्रदेशों से माल लेकर आने वाला वाहन अगर जानकारी न होने या फिर गलती से सीधे बाजार आ गया तो बड़ी मुसीबत आनी तय है। मंडी समिति में जाकर सारे कागजात दिखाकर प्रवेश पर्ची बनवानी पड़ती है। पहले ऐसा नहीं करने पर वाहन चालक को बेवजह रोक लिया जाता है। बाद में कम से कम दो लाख रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ा जाता है। यह जुर्माना माल भेजने वाले व्यापारी पर लगता है, इससे बाहरी कारोबारी शोषण के कारण माल भेजने से कतराते हैं। इसके बदले कहीं और माल भेजना पसंद करते हैं।
सिर्फ शुल्क ही वसूलेंगे, सहूलियत देना भूले : किराना कारोबारी शोभित शर्मा, राजन पांडेय कहते हैं कि मंडी समिति शुल्क और जुर्माना वसूलने करने में तो आगे हैं, लेकिन उसे बाजार में सहूलियत भी देनी है, इसको भूल चुकी है। दुकानों को बरसाती पानी से बचाने , शौचालय, चौकीदार रखने का जिम्मा मंडी समिति का है, पर दो दशक से यह सब बंद है।
बर्बाद कर रहा ऑनलाइन कारोबार : किराना कारोबारियों के सामने ऑनलाइन व्यापार किसी सदमे से कम नहीं है। कोरोना काल से किराना सामान ऑनलाइन के जरिए घर मंगवाने से छोटे कारोबारियों का तो वजूद ही खतरे में पड़ गया है। हमें मंडी शुल्क देना होता है, साथ में जीएसटी भी देना पड़ रहा है, जबकि ऑनलाइन माल बेचने वाली कंपनियों को कोई शुल्क नहीं देना है। ऑनलाइन कारोबार से किराना व्यापार 70 फीसदी तक कम हो गया है।
जीएसटी ने डुबाया तो औरों ने सताया : किराना बाजार में बिकने वाले खाद्य सामग्री पर पांच से 12 फीसदी तक जीएसटी लगता है। यह कारोबारियों के लिए बड़ी परेशानी का कारण नहीं है। दिक्कत तो यह है कि इसकी कागजी लिखापढ़ी इतनी जटिल होती है कि छोटा कारोबारी तो इसमें उलझकर ही रह जाता है। कारोबारी चाहते हैं कि इसके नियम सरल बनें। आए दिन जीएसटी, आयकर, खाद्य विभाग की कार्रवाई से भी कारोबारी हताश हैं।
सुझाव
1. मंडी शुल्क पूरी तरह से खत्म किया जाए
2. जीएसटी नियमों में सरलीकरण किया जाए
3. अहम विभागों के साथ अलग से बैठक हो
4. जीएसटी, आयकर विभाग उत्पीड़न बंद करें
5. शौचालय, सफाई, सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
6. किराना बाजार के पीछे अवैध सब्जी मंडी हटे
समस्याएं
1. बाहर से आता है माल तो मंडी शुल्क क्यों
2. सुरक्षा न होने से आए दिन चोरियां हो रहीं
3. विधायक, सांसद ने आजतक कुछ नहीं किया
4. ऑनलाइन कारोबार से किराना व्यापारी बर्बाद
5. जाम लगने से ग्राहकों को बड़ी परेशानी
6. मंडी समिति गलती पर भारी जुर्माना लगा रही
बोले व्यापारी
किराना व्यापारियों से मंडी शुल्क वसूला जाता है। ज्यादातर माल दूसरों राज्यों से लाया जाता है। सरकार शुल्क हटाए।
-अवधेश बाजपेयी
शहर के अन्य बाजारों का सुंदरीकरण किया जा रहा है। इस बाजार का भी कायाकल्प हो, जिससे व्यापार बढ़ेगा।
-राकेश अग्रवाल
बाजार में बिजली के तार लटक रहे हैं। बिजली के पोल में तारों का मकड़जाल है। रोड पर ट्रांसफार्मर रखे हुए हैं।
- अंलकार ओमर
बाजार में गंदगी बड़ी समस्या है। यहां सफाई कर्मी सही तरीके से कार्य नहीं करते। व्यापारियों को संक्रमण का खतरा रहता है।
-रवि बेरीवाल
पुलिस को सुरक्षा के लिहाज से रात्रि गश्त बढ़ानी चाहिए। जब बाजार में कोई घटना होती है तो सिर्फ गश्त बढ़ा दी जाती है।
-अनुज गुप्ता
बाजार में पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। जाम लगने से व्यापार प्रभावित होता है। बाजार में पार्किंग व्यवस्था करना चाहिए।
-सौरभ बाजपेयी
एक देश एक टैक्स होना चाहिए। सरकार तरह-तरह के टैक्स लेकर व्यापारियों पर अत्याचार कर रही है।
-सुरेंद्र भसीन
ऑनलाइन कारोबार करने वाली कंपनियों पर सख्त कानून हो। यह कंपनियां टैक्स दिए बिना उत्पादक से माल खरीदती है।
-चंदन अवस्थी
बोले जिम्मेदार
नयागंज थोक किराना बाजार मंडी समिति के अंतर्गत आती है। नियमानुसार चौकीदार, पौशाला या बरसाती देने के लिए समिति बाध्य नहीं है। मंडी परिसर में सुविधाएं देना ही हमारा काम है। अगर किसी व्यापारी को कोई दिक्कत है तो वह सीधे तौर पर आकर मिल सकता है। व्यापारियों को हो रही समस्याओं का निदान कराने का प्रयास किया जाएगा।
-विजिन बलियान, सचिव, मंडी समिति
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