बोले कानपुर : कब्जा-कटौती और जलभराव का रोग, देसी मैनचेस्टर में उजड़ रहे उद्योग
Kanpur News - कानपुर के औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यमियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे अवैध कब्जे, बिजली कटौती और जलभराव। हालाँकि, वे भारी टैक्स देते हैं, लेकिन फिर भी सुविधाएँ अपर्याप्त हैं। उद्यमी...
शहर के विकास में औद्योगिक क्षेत्रों का अहम किरदार है। यहां के उद्यम सिर्फ तरक्की ही नहीं बल्कि हजारों की रोजी-रोटी का जरिया भी हैं। करोड़ों का टैक्स सरकारी खजाने में हर माह देने के बाद भी यहां के मुद्दे हाशिए पर हैं। जो सहूलियतें मिलती हैं वो दोयम दर्जे की हैं। शिकायतों का निस्तारण भी जल्द नहीं होता। उद्यमी कहते हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों में कब्जा, बिजली कटौती और जलभराव का रोग लग गया है। ऐसे में इस देसी मैनचेस्टर में उद्योग भी उजड़ रहे हैं। कानपुर की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में भी है। यही सोचकर यहां से सालों पहले कारोबार शुरू किया था। दशकों पहले जिन हालातों के बीच खड़े थे, आज भी वहीं स्थितियां हमारे सामने हैं। दस से बीस फिर सौ से हजार अब तो औद्योगिक इकाइयों की लंबी कतार है, लेकिन समस्याओं ने हमारा पीछा नहीं छोड़ा। वरिष्ठ उद्यमी तरुण खेत्रपाल कहते हैं कि जनाब, सुविधाओं की अब कोई बात करता हैं तो लगता है कि हमारा मजाक बना रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में कब्जा, बिजली कटौती और जलभराव का रोग लग गया है। ऐसे में देसी मैंचेस्टर में उद्योग उजड़ रहा है। हम उद्यमी सालों से बार-बार एक ही बात कहते चले आ रहे हैं लेकिन किसी अफसर ने तनिक भी गंभीरता से नहीं लिया। समाधान का आदेश जरूर किया पर वह आदेश कहां गया यह तो हम उद्यमी आजतक नहीं समझ सके। उनके बगल में ही बैठे आलोक अग्रवाल का मिजाज भी कुछ अलग नहीं रहा। भर मुठ्ठी टैक्स जमा करने के बाद भी समस्याओं से लड़ने की कसक चेहरे पर साफ झलकती है। कहते हैं कि आप सिर पटक लीजिए यहां बिजली, सफाई, सुरक्षा के मुद्दे कभी समाधान की राह नहीं पकड़ने वाले हैं। विभागों को सिर्फ राजस्व लेना याद है, सुविधाएं देना नहीं।
अवैध कब्जों की भरमार, रोकने-टोकने पर लड़ने को तैयार : वरिष्ठ उद्यमी सुनील वैश्य कहते हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों का सबसे बड़ा दुख यहां जगह-जगह अवैध कब्जे हैं। समय के साथ इनका दायरा भी तेजी से बढ़ रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों की मुख्य सड़क पर ही अवैध कब्जों की भरमार है। थम्सअप चौराहा तो सबसे ज्यादा अराजक तत्वों की गिरफ्त में है। खानपान के ठेले लगाकर रास्ता ही रोक दिया जाता है। अगर आपने किसी को रोकने या टोकने का प्रयास किया तो अवैध कब्जा लगाने वाले लड़ने को तैयार हो जाते हैं।
तीन गुना हाउस टैक्स, एक भी सफाई कर्मी नहीं : औद्योगिक क्षेत्र में सालों से दवा उद्यम चलाने वाले अरुण भाटिया कहते हैं कि नगर निगम की ओर से सफाई के लिए यहां कोई भी कर्मचारी नहीं रखा गया है। हाउस टैक्स की वसूली तीन गुना ज्यादा की दर से होती है। इस वजह से इकाइयों के बाहर या आसपास गंदगी का अंबार लगा रहता है।
लोकल फॉल्ट ने उड़ाया सुख-चैन : औद्योगिक क्षेत्रों पर बिजली लोकल फॉल्ट की मार पड़ रही है। उद्यमी विक्रांत अग्रवाल, विवेक निगम कहते हैं कि बिजली व्यवस्था आज भी पुराने ढांचे पर टिकी है। दिन में कई बार लोकल फॉल्ट होने से उत्पादन पर असर पड़ता है। उद्योग बंधु की कई बैठकों में लगातार इस मुद्दे को उठाया गया पर कभी किसी ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया। सड़क पर कई जगह खतरनाक ट्रांसफॉर्मर भी रखे हंै, इससे हर वक्त अनहोनी का डर सताता है। पहले कई बार हादसे होते भी बचे हैं। यह बड़ी समस्या है, जिसका निदान प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए। इसके बावजूद अबतक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया।
भोर में कबाड़ी बनकर घूमते हैं अराजकतत्व : औद्योगिक क्षेत्रों की सबसे बड़ी परेशानी अराजकतत्व और चोर से है। अवैध ठेले और शराब के ठेकों के पास इनकी चहलकदमी रहती है। इसके बाद भोर तीन से चार बजे यह कबाड़ी बनकर चोरी के इरादे से बेहिचक घूमते हैं। इकाइयों में काम करने वाले कर्मियों की मिलीभगत से यह बेकार उपकरण की चोरी करने में माहिर हैं। कई बार मामले पकड़े भी जा चुके हैं। इनकी अराजकता पर रोक लगाने के लिए कभी कोई प्रयास नहीं हुआ है।
हल्की बारिश में फैक्टरी में घुसता पानी: महिला उद्यमी सुचिता वाही, प्रेरणा वर्मा की सबसे बड़ी परेशानी जलजमाव है। बताती हैं कि हल्की बारिश में ही पानी भर जाता है। नाले-नालियां जाम होने के कारण पानी की निकासी नहीं हो पाती है। ड्रेनेज सिस्टम न होने के कारण फैक्टरी तक पानी घुस जाता है। इस वजह से तो कई बार उत्पादन भी रोकना पड़ता है। कई बैठकों में इस समस्या को विस्तार से रखने के बाद भी समाधान के लिए कुछ नहीं हुआ। अरुण भाटिया बताते हैं कि सफाई का कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। नगर निगम की ओर से कोई भी स्थायी कर्मचारी नहीं लगाया है। कूड़ा कलेक्शन के लिए शुल्क तय किया गया है। अजीब स्थिति बनी हुई है। वहीं उद्यमी प्रीति अग्रवाल बताती हैं कि उद्योग बंधु में औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों को कई बार रखा गया। एक बार भी इन पर गंभीरता नहीं दिखाई गई। हर बार वहीं मुद्दे रखे जाते हैं, आखिर फिर इस बैठक का मतलब ही क्या है।
सुझाव
1.उद्योग बंधु में उठे मुद्दों को मिले तरजीह, जो भी बिंदु उद्योग बंधु की बैठकों में उठें उन पर अमल कराने की योजना बने।
2. बिजली आपूर्ति के ऐसे इंतजाम किए जाने चाहिए कि औद्योगिक क्षेत्रों में अबाध रूप से आपूर्ति हो सके।
3. औद्योगिक क्षेत्रों में प्रवेश के लिए नियम बनने चाहिए, सुरक्षा की कड़ी योजना बननी चाहिए।
4. स्ट्रीट लाइटें बंद होने से हमेशा सड़क पर सुरक्षा को लेकर खतरा बना रहता है, इससे निजात मिले।
5. टैक्स के हिसाब से सुविधाएं भी देनी चाहिए। जब हम भारी टैक्स दे रहे हैं तो सुविधाएं भी उसी हिसाब से मिलनी चाहिए।
समस्याएं
1. औद्योगिक क्षेत्रों में नियमित रूप से सफाई व स्थायी कर्मचारी नहीं, इससे सफाई व्यवस्था प्रभावित होती है।
2. बिजली व्यवस्था के लिए आज भी पुराना ढांचा है, इसे सुधारने के लिए केस्को ने ठोस पहल की ही नहीं।
3. औद्योगिक क्षेत्र में कोई भी सीधे कर रहा प्रवेश, सुरक्षा के इंतजाम न होने और बेरोकटोक आने से दिक्कतें हैं।
4. भरपूर राजस्व देने के बाद भी समस्याएं सुलझी नहीं, उद्योग बंधु की बैठकों में मामले उठाने के बाद ये हालत हैं।
5. ड्रेनेज सिस्टम न होने से जलजमाव से कारोबार बाधित, कई बार मांग उठाई गई कि जलभराव से निजात दिलाई जाए।
बोले उद्यमी
पुरानी समस्याओं का समाधान अब तक नहीं हुआ। हम लोग आखिर कब तक एक ही बात बार-बार कहते रहें। हम थक चुके हैं। सरकारी मशीनरी को गंभीर होना चाहिए।
तरुण खेत्रपाल, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईआईए
राजस्व देने में उद्यमी पीछे नहीं हैं, इसके बावजूद समस्याओं का जाल बिछा है। मामूली सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं हैं। अफसरों को अन्य शहरों से सीख लेने की जरूरत है।
आलोक अग्रवाल, राष्ट्रीय महामंत्री, आईआईए
हमारी समस्याओं के समाधान के लिए कोई भी गंभीर नहीं है। उद्योग बंधु ही नहीं बल्कि कई बार यहां की जरूरतों को रखा गया। आश्वासन मिलने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
सुनील वैश्य,पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईआईए
सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं है। आए दिन चोरियां भी होती हैं। पुलिस को रात में गश्त ठीक से करने की जरूरत है। कबाड़ी बनकर चोर घूमते रहते हैं। रोक लगनी चाहिए।
विक्रांत अग्रवाल, उद्यमी
औद्योगिक क्षेत्र में कोई भी सीधे प्रवेश कर रहा है। इसके लिए घेराबंदी की व्यवस्था होनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति आता है तो उसके बारे में सही जानकारी के बाद रही प्रवेश दिया जाए।
ममता शुक्ला, वरिष्ठ उद्यमी
बिजली व्यवस्था के लिए आज भी पुराना ढांचा अपनाया जा रहा है। लोकल फॉल्ट के कारण कई बार उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है। कई जगह जमीन पर ट्रांसफॉर्मर रखे गए हैं।
जय हेमराजनी, वरिष्ठ उद्यमी
हल्की बारिश में ही पानी भर जाता है। नाले-नालियां जाम होने से पानी की निकासी नहीं हो पाती है। यह बड़ी समस्या है। इसके निदान के लिए लगातार आवाज बुलंद की जा रही है।
नवीन खन्ना, वरिष्ठ उद्यमी
टैक्स के हिसाब से उद्यमियों को सुविधाएं भी देनी चाहिए। यहां की समस्याओं के निदान के लिए कभी कुछ नहीं किया गया। हर बार आश्वासन मिलता रहा। यह निराशाजनक है।
सुचिता वाही, अध्यक्ष, महिला विंग
बोले जिम्मेदार
औद्योगिक क्षेत्रों से आई शिकायतों का पहले भी निस्तारण हुआ है। आगे भी जो शिकायतें आएंगी उनका निराकरण होगा। अब यूपीसीडा को कुछ औद्योगिक क्षेत्र हैंडओवर होने हैं। अधिसूचना जारी हो चुकी है। फिलहाल जहां भी गंदगी, अतिक्रमण और मलबे से संबंधित समस्याएं होंगी उनका निस्तारण करने के लिए टीम भेजी जाएगी।
-सुधीर कुमार गहलौत, नगर आयुक्त
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।