सौ साल पुराने पेड़ बनेंगे राजकीय विरासत, नौ को खोजा
जिले में सौ साल पुराने पेड़ों को राजकीय विरासत के रूप में सहेजा जाएगा। जिला पंचायतराज विभाग इनकी सूची तैयार कर रहा है। अब तक ऐसे नौ पेड़ों को चिह्नित भी कर लिया गया है, जो गैर वन क्षेत्र में उगे हैं...
जिले में सौ साल पुराने पेड़ों को राजकीय विरासत के रूप में सहेजा जाएगा। जिला पंचायतराज विभाग इनकी सूची तैयार कर रहा है। अब तक ऐसे नौ पेड़ों को चिह्नित भी कर लिया गया है, जो गैर वन क्षेत्र में उगे हैं और इनकी आयु सौ वर्ष या उससे अधिक है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले 100 साल से अधिक पुराने पेड़ों को धरोहर घोषित करने की बात कही थी। इसके बाद से जलवायु परिवर्तन विभाग गैर वन क्षेत्रों में उगे सभी उम्रदराज पेड़ों की सूची बनाने में लगा है।
गांव-गांव पूछ रहे पेड़ों की उम्र
इन दिनों अधिकारी गांव-गांव जाकर लोगों से सबसे पुराने पेड़ के बारे में पता कर रहे हैं। हालांकि पेड़ों के तनों की मोटाई, ऊंचाई और लोगों की बातों के आधार पर ही पेड़ की उम्र का अंदाजा लगाया जा रहा है।
अब तक ये चिह्नित
अब तक चिह्नित पेड़ों में महिगवां का एक और नानामऊ व बिल्हौर के दो-दो बरगद शामिल हैं। बिपौसी और दीपापुर के पाकड़ व नानामऊ एवं महाराजपुर के पीपल के पेड़ भी सूची में शामिल किए गए हैं। जिला पंचायत राज अधिकारी सर्वेश कुमार पांडेय ने बताया कि नानामऊ के अनुराग नगर स्थित बरगद का पेड़ का तना आठ मीटर का है। ये अभी तक का सबसे मोटे तने वाला पेड़ है। इन सभी पेड़ों को संरक्षित किया जाएगा। आसपास के लोगों को भी इनका महत्व बताया जाएगा।
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