औरैया से गेल अधिकारियों का बयान ले लें किसान दिवस पर भी नहीं हो सका फर्टिलाइजर में यूरिया का उत्पादन
Kanpur News - गेल ने 650 करोड़ रुपये बकाया होने के कारण पनकी स्थित फर्टिलाइजर प्लांट में नेचुरल गैस की सप्लाई रोक दी है। इसके कारण यूरिया का उत्पादन छठे दिन भी ठप है, जिससे 2000 कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। कंपनी...
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गेल से नेचुरल गैस की सप्लाई रोकने से छठवें दिन भी बंद रहा काम गेल ने 650 करोड़ रुपया बकाया होने पर रोक दी प्लांट को सप्लाई
कल्याणपुर। संवाददाता
गेल से नेचुरल गैस की आपूर्ति बंद होने के कारण छठवें दिन भी पनकी इंडस्ट्रियल एरिया स्थित फर्टिलाइजर प्लांट में यूरिया का उत्पादन ठप रहा। बकाया भुगतान न किए जाने के कारण गेल ने आपूर्ति बाधित कर दी। वहीं कंपनी के अधिकारी गेल प्रबंधन से लगातार संपर्क में जुटे हैं। फर्टिलाइजर अधिकारी सेंट्रल मिनिस्ट्री और यूपी सरकार को भी समस्या से अवगत करा चुके हैं।
पनकी के इंडस्ट्रियल एरिया में कानपुर फर्टिलाइजर और केमिकल लिमिटेड (केएफसीएल) का प्लांट है। यहां प्रतिदिन 2100 टन से ज्यादा यूरिया का उत्पादन किया जाता है। गत 18 दिसंबर से गेल ने 650 करोड़ रुपये बकाया न मिलने पर नेचुरल गैस की आपूर्ति को रोक दिया। जिससे प्लांट में हाहाकार मच गया। लगातार छठवें दिन सोमवार को भी उत्पादन ठप रहा। केएफसीएल के डायरेक्टर डीएस आहूजा ने बताया कि पिछले कई सालों से कंपनी को पेमेंट और बकायों को किस्तों में दिया जाता है। गेल अधिकारियों से संपर्क कर समस्या के समाधान का प्रयास किया जा रहा है। दूसरी तरफ गेल के पीआरओ नवनी राजपूत ने बताया कि पाइपलाइन डिविजन से ही पता चलेगा की गैस की सप्लाई क्यों रोकी गई है।
2000 कर्मचारी हो रहे प्रभावितः केएफसीएल के डायरेक्टर( कमर्शियल) मेजर जनरल विनोद कुमार ने बताया कि 6 दिनों से उत्पादन ठप होने के कारण 2000 कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। किसी भी कर्मचारी को काम नहीं मिल पा रहा है। वहीं लगभग 5000 लोग प्रत्यक्ष रूप से भी उत्पादन बंद होने के कारण प्रभावित हैं।
भुगतान में यह हो रही है समस्याः केएफसीएल के डायरेक्टर डीएस आहूजा ने बताया कि गेल का भुगतान किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। हर महीने डेढ़ सौ करोड़ की नेचुरल गैस की खपत केएफसीएल करता है। हर 15 दिन में गेल अपना बिल भेजता है। कंपनी हर 3 महीने में बकाया पर गेल को ब्याज भी देती है। पहले खाद बनते ही सरकार सब्सिडी भेज देती थी। लेकिन अब किसान के खाद खरीद लेने के बाद ही कंपनी के खाते में रकम आ पाती है। कंपनी के खाते में रकम आते ही ऑटोमेटिक गेल के खाते में ट्रांसफर हो जाती है। लेकिन सब्सिडी देर से आने के कारण बकाया नहीं दिया जा पा रहा है।
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उत्पादन बंद होने से बढ़ेगी मुसीबतः सबसे ज्यादा यूरिया की डिमांड खरीफ और रबी की फसल में होती है। रबी की फसल के समय कानपुर ग्रामीण के इलाकों में पहले ही यूरिया की किल्लत चल रही है। अब फर्टिलाइजर में उत्पादन ठप होने के कारण यह मुसीबत बढ़ेगी। बिल्हौर के कारोबारियों ने बताया कि इलाके में खाद की बहुत किल्लत है। किसानों की माने तो 275 रुपये की यूरिया की बोरी ब्लैक में 360 में बिक रही है। 360 रुपये में भी यूरिया की बोरी मिल जाए तो यही बड़ी राहत है।
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