कायाकल्प की राह देख रहे दर्जनों जर्जर एएनएम सेंटर
जनपद के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते मैथा क्षेत्र में दर्जनों एएनएम सेंटर बदहाली के शिकार है। लाखों रुपए की लागत से बनाए गए एएनएम सेंटर देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो रहे...
जनपद के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते मैथा क्षेत्र में दर्जनों एएनएम सेंटर बदहाली के शिकार है। लाखों रुपए की लागत से बनाए गए एएनएम सेंटर देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो रहे है,लेकिन शासन की महत्वकांक्षी कायाकल्प योजना की किरण नहीं पहुंच पा रही है। इससे महिलाओं व बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही है। लोगों ने एएनएम सेंटरों की बदहाली दूर करने की मांग की है।
शासन ने ग्रामीण अंचल में गर्भवती महिलाओं व बच्चों के टीकाकरण के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में निश्चित स्थान पर लाखों रुपये की लागत से एएनएम सेंटर का निर्माण कराया है। शुरुआत में लोगों को काफी राहत मिली, लेकिन अब एएनएम सेंटर उपेक्षा का शिकार है। स्वास्थ्य कर्मचारियों के उपयोग न करने व देखरेख के अभाव में सेंटर बेमकसद साबित हो रहे हैं। हालात यह है कि मैथा क्षेत्र के मांडा मैथा, रामपुर शिवली, रैपालपुर, नौबस्ता, नेवादा देवराय, बारनपुर कहिंजरी समेत दर्जनों स्थानों पर बने एएनएम सेंटर बदहाली के शिकार हैं। जर्जर हालत में पहुंच चुके केंद्रों में बड़ी-बड़ी खरपतार खड़ी है। भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है, लेकिन जिम्मेदारों का ध्यान इस तरफ नहीं जा रहा है। वहीं शासन लगातार पुरानी इमारतों को दुरुस्त कराने के लिए कायाकल्प योजना के तहत करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रहा है, लेकिन जिम्मेदारों की नजर वहां नहीं पहुंच पा रही है।
इससे लाखों रुपए की लागत से बने एएनएम सेंटर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। इस संबंध में प्रभारी चिकित्साधिकारी मैथा डा. सिद्धार्थ पाठक ने बताया कि जर्जर उपकेंद्रों की सूची बनाकर सीएमओ कार्यालय भेजी गई थी। वहां से कायाकल्प योजना के तहत मरम्मत कराने के लिए विकास विभाग को दी गई , लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। इसकी सूचना विभागीय अधिकारियों को दोबारा भेजकर इमारतों का कायाकल्प कराने का प्रयास किया जाएगा।
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