बचल की खबर :::: डबल सोर्स बिजली सप्लाई फिर भी नहीं मिलता लाभ
कानपुर में केस्को के कई सबस्टेशनों में डबल सोर्स लाइनों से लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक ही खंभे पर ट्रांसमिशन लाइनों के होने से मेंटेनेंस के दौरान बिजली बंद करनी पड़ती है। इसके समाधान के लिए अलग खंभे...
- प्लानिंग की कमी से की गई व्यवस्था बेअसर, एक ही खंभे पर डबल सोर्स गलती - एक खंभे पर होने से मेंटेनेंस का काम कराने पर दूसरा सोर्स भी बंद करना पड़ रहा
- दबौली, हैरिसगंज, बाबूपुरवा समेत कई केस्को सबस्टेशनों में समस्या, अब होगी दूर
कानपुर, प्रमुख संवाददाता। केस्को के करीब दो दर्जन सबस्टेशन ऐसे हैं, जहां ट्रांसमिशंस से आने वाली डबल सोर्स लाइनों का कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है। अलग-अलग सबस्टेशनों को जाने वाली लाइनें भी एक ही बिजली के खंभे से निकलने की वजह से भी दिक्कतें हो रही हैं। ऐसे में न चाहते हुए भी बिजली बंद रहती है। फॉल्ट या शटडाउन होने पर मरम्मत के लिए एक ही खंभे से गुजरीं दोनों हाईटेंशन लाइनों को बंद करना पड़ता है। ऐसा न करने पर बड़ा हादसा होने की आशंका रहती है। डबल सोर्स सप्लाई देने या फीडर बनाने के दौरान प्लानिंग की कमी से यह संकट पैदा हुआ है।
इन सबस्टेशनों से जुड़े उपभोक्ता होते हैं परेशान
हैरिसंगज सबस्टेशन को नौबस्ता और कृष्णा नगर ट्रांसमिशन सबस्टेशन से अलग-अलग लाइनें मिलती हैं। नौबस्ता में फॉल्ट होने पर कृष्णा नगर ट्रांसमिशन से हैरिसगंज सबस्टेशन को बिजली मिल जाती है। लेकिन जब तक फॉल्ट वाली लाइन में मरम्मत होती है, तब तक बाबूपुरवा सबस्टेशन की बिजली बंद रहती है। यानी हैरिसगंज सबस्टेशन के फॉल्ट से बाबूपुरवा सबस्टेशन बंद होता है। जबकि हैरिसगंज में दूसरे सोर्स से बिजली मिल जाती है। नौबस्ता से आने वाली दोनों सबस्टेशनों की लाइनें एक ही बिजली के खंभे पर होने से यह समस्या है। यही समस्या दबौली और पराग डेयरी सबस्टेशन की है। नौबस्ता से आने वाली दोनों लाइनें एक ही खंभे पर हैं। फजलगंज के जी-1, जी-4 फीडर, जी-9 और जी-11 फीडर, आईआईटी और नानकारी, सर्वोदय नगर का एसवाई-1 और 2 और शास्त्री नगर के दो फीडर ऐसे करीब दो दर्जन फीडर ऐसे हैं, जहां दोनों लाइनों के लिए संयुक्त खंभे हैं।
क्या है डबल सोर्स
डबल सोर्स में दो ट्रांसमिशन से अलग अलग लाइन केस्को के सबस्टेशनों को दी जाती है। एक में फॉल्ट होने से दूसरे सोर्स से बिजली मिलने लगती हैं।
निदान
- फीडरों के लिए अलग खंभे हों। संयुक्त खंभों का इस्तेमाल तब हो, जब दूसरे ट्रांसमिशन से वैकल्पिक फीडर हो।
- फीडर भूमिगत हों, इससे खंभे नहीं लगाने होंगे और अगल बगल डबल लाइनों के होने से खतरा भी नहीं होगा।
इस समस्या के समाधान पर प्रबंधन विचार कर रहा है। बिजनेस प्लान, आरडीएसएस योजना समेत कई परियोजनाओं से काम कराए जाएंगे। पहले डबल सोर्स बनाने के दौरान प्लानिंग के अभाव की वजह से ऐसा हुआ होगा।
- श्रीकांत रंगीला, मीडिया प्रभारी, केस्को
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