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केडीए के बाबुओं को घूस नहीं दी तो रजिस्ट्री मुश्किल

केडीए के विक्रय विभाग के बाबू नीरज मल्होत्रा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। कुसुम देवी के ईडब्ल्यूएस प्लॉट की रजिस्ट्री के लिए 10,000 रुपये की मांग की गई थी। विजिलेंस टीम ने मामले की जांच शुरू...

Newswrap हिन्दुस्तान, कानपुरWed, 11 Sep 2024 05:21 PM
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केडीए में विक्रय विभाग के बाबुओं के पास रजिस्ट्री या नामांतरण की फाइल जाते ही फंस जाती है। केडीए उपाध्यक्ष की सख्ती के बाद भी कुछ बाबू तो ऐसे हैं जो बिना घूस लिए काम ही नहीं करते। घूस न दी तो रजिस्ट्री ही मुश्किल है। हकीकत यह है कि सिंगल विंडो सिस्टम इसलिए बनाया गया था कि फाइलें फटाफट निपटें। आवेदनों का रोस्टर के हिसाब से अनवरत निस्तारण हो सके। मगर ज्यादातर केस में ऐसा होता ही नहीं। किस्तों के भुगतान की रसीदों के मिलान की जिम्मेदारी केडीए की है। लेखा विभाग में इसका सारा रिकॉर्ड है मगर बाबुओं ने आवंटियों पर इसका जिम्मा इसलिए छोड़ा है कि वे थककर चूर हो जाएं और मजबूर होकर रिश्वत दे दें। रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ बेलदार (सहायक लिपिक) नीरज मल्होत्रा भी दीपेंद्र कुमार शुक्ला को इसीलिए मजबूर कर रहा था।

40 साल पहले आवंटित हुआ था प्लॉट

हकीकत यह है कि बसंत विवाह के डब्ल्यू-2 निवासी कुसुम देवी शुक्ला को ईडब्ल्यूएस प्लॉट 8 मार्च 1984 को आवंटित हुआ था। नियमानुसार उन्होंने केडीए की किस्तों का भुगतान भी किया। भुगतान की रसीदों का मिलान भी हो चुका था मगर नीरज मल्होत्रा ने कुसुम देवी के दीपेंद्र को मिलान के नाम पर दौड़ाना नहीं छोड़ा। पर्ची पर लिखकर दे दिया 10 हजार। दीपेंद्र ने नहीं समझा तो खुलकर बता दिया। कहा-इतने पैसे दोगे तभी रजिस्ट्री होगी। दीपेंद्र ने सोच लिया था कि रिश्वत तो किसी सूरत में नहीं देंगे। अपनी इस मंशा से विजिलेंस की ट्रैप टीम को अवगत कराया। इसके बाद ही नीरज मल्होत्रा को रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनी।

आखिर कहां से आए 37 हजार, होगी जांच

अब विजिलेंस की टीम इस बात की भी जांच करेगी कि नीरज मल्होत्रा के पास रिश्वत के अतिरिक्त 37,140 रुपये कहां से आए? इस संबंध में भी पूछताछ हो रही है कि क्या यह रकम भी किसी और से लिए गए रिश्वत की थी। फिलहाल यह रकम जब्त कर ली गई है। अब केडीए भी सीसीटीवी फुटेज खंगालेगा और नीरज की पिछले कई दिनों तक की कार्यशैली और हरकत को देखेगा। बताते चलें कि पूरे केडीए भवन में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।

आज या कल तक निलंबन संभव

केडीए को अभी तक अधिकृत तौर पर नीरज मल्होत्रा के रंगे हाथों पकड़े जाने की अधिकृत जानकारी विजिलेंस ने नहीं दी है। हालांकि इस घटना का उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल ने संज्ञान लिया है। पूरी रिपोर्ट तलब की है। विशेष कार्याधिकारी सत शुक्ला से भी नीरज के कामकाज की जानकारी मांगी गई है। उसे बुधवार या गुरुवार तक निलंबित किया जा सकता है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान कानपुर सेक्टर द्वारा इस मामले में अभियोग पंजीकृत करा दिया गया है।

29 जुलाई को भी निलंबित हो चुका एक बाबू

केडीए उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल ने 29 जुलाई 2024 को भी बाबू सत्यम पांडेय को ऐसे ही मामले में निलंबित किया था। उस बाबू ने 55 वर्षीय दिव्यांग से पांच माह के भीतर 40 चक्कर लगवाए फिर भी रजिस्ट्री नहीं की। महज 30 वर्ग मीटर जैसे छोटे ईडब्ल्यूएस प्लॉट की रजिस्ट्री कराने के लिए 15 हजार रुपये मांगे, इसके बाद भी भ्रष्टाचार की भूख नहीं मिटी। दौड़ाने का क्रम जारी रखा। आखिरकार दिव्यांग ने जनता दर्शन में केडीए उपाध्यक्ष के सामने न सिर्फ सारी कहानी बताई बल्कि अपनी बेबसी और दर्द को भी बयां किया। जांच के बाद उपाध्यक्ष ने बाबू सत्यम पांडेय को निलंबित कर दिया था।

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