गुटखा, तंबाकू के चक्कर में ले रहे सुन्न की दो से तीन डोज
गुटखा और तंबाकू का सेवन करने वाले मरीजों के लिए दांत और जबड़े के इलाज में बड़ी चुनौतियाँ हैं। दांतों की समस्या के लिए एनेस्थीसिया में कई बार सुन्न करने की आवश्यकता होती है। यह मरीजों के लिए कठिनाई...
आप गुटखा, तंबाकू का सेवन करते हैं तो यह जानकारी महत्वपूर्ण हो सकती है। दांत, जबड़े में तकलीफ होने पर आपका यह शौक परेशानी का कारण तक बन सकता है। गुटखा, तंबाकू की आदत के कारण सुन्न करने की डोज एक बार कारगर नहीं हो रही है। इसको दो से तीन बार लेना पड़ रहा है। सरकारी से लेकर प्राइवेट एनेस्थीसिया विशेषज्ञों के लिए शहर में पान मसाला खाने वाले बड़ी चुनौती हैं। शहर के वरिष्ठ दंत रोग विशेषज्ञ डॉ मनीष विश्नोई कहते हैं कि दांत व जबड़े संबंधित दिक्कत वालों में से हर दूसरा मरीज तंबाकू व गुटखा का आदी होता है। गुटखा का लंबे समय तक सेवन से मुंह के भीतरी हिस्से की त्वचा कठोर हो जाती है। मुंह भी ऐसे मरीजों का पूरा नहीं खुल पाता है। दोनों स्थितियों को देखते हुए एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के लिए यह बड़ी चुनौती होती है। जिस जगह इलाज करना होता है, वहां सुन्न करना बेहद कठिन हो जाता है। ऐसे में एक बार में सफलता नहीं मिलती। दो से तीन डोज देने में ही सुन्न करने में सफलता मिलती है। डॉ विश्नोई के अनुसार, एक डोज दो एमएल की है तो तीन बार के प्रयास में मरीज को छह एमएल तक सुन्न करने की दवा देनी पड़ रही है।
नाक के रास्ते डालनी पड़ रही नली
मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर डॉ अपूर्व अग्रवाल के अनुसार, पान मसाला का सेवन करने वालों की किसी भी तरह की सर्जरी करना काफी कठिन है। अगर उन्हें श्वांस नली डालनी है तो मुंह कम खुलने के कारण तमाम दिक्कत होती है। आखिर में नाक में दूरबीन से पहले जांच-परख करने के बाद नली डालनी पड़ती है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।