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कानपुर देहात में हाई-वे और सड़कों पर अन्ना पशुओं का डेरा, कोहरे में बन सकते काल

कानपुर देहात में गोशालाओं में गोवंश के लिए उचित प्रबंध नहीं होने से वे परेशान हैं। सर्दियों में भी काऊकोट और पर्याप्त चारा की कमी है। अन्ना गोवंश सड़क पर डेरा डाले हुए हैं, जिससे हादसों का खतरा बढ़...

Newswrap हिन्दुस्तान, कानपुरFri, 22 Nov 2024 08:40 AM
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कानपुर देहात। जिले की अधिकांश गोशालाओं में संरक्षित गोवंश के लिए समुचित प्रबंध नहीं होने से वह बेहाल हो रहे हैं। सर्दी शुरू के बाद भी अभी गो आश्रय ग्रहों में काउकोट आदि की व्यवस्था नहीं हो सकी है, पर्याप्त चारा तक नहीं मिलने से गो वंश भूख से बेहाल हो रहे हैं। बड़ी संख्या में अन्ना गोवंश हाई- वे व प्रमुख सड़कों नगरीय क्षेत्रों में डेरा डाले हए हैं। रात में सड़कों पर जमे गोवंश जहां दुर्घटनाओं के कारक बने हैं। वहीं पेट भरने के लिए खेतों में धावा बोलकर फसलें चौपट करने के साथ ही हिंसक होकर हमलावर भी हो रहे हैं। शासन के निर्देश के बाद भी अन्ना गोवंश को अभी तक गोशालाओं में में संरक्षित नहीं कराया जा सका। जिले के 104 गोआश्रय गृहों में अब 11242 की जगह 9324 गोवंश ही संरक्षित बताए जा रहे हैं। जबकि करीब दस हजार गोवंश अभी भी अन्ना घूम रहे हैं। सर्दी शुरू होने के बाद भी गो आश्रय ग्रहों में काऊ कोट, छाया आदि का इंतजाम तो दूर भरपेट चारा भी नहीं मिल पर रहा है । इससे अधिकांश आश्रय ग्रह गो वंश के लिए यातना गृह बने हैं। वहीं बड़ी संख्या में गोवंश इस समय जिला मुख्यालय के साथ ही हाई- वे, सड़कों, थाना व अस्पताल परिसरों में डेरा जमाए हुए हैं। गुरुवार सुबह रूरा शिव ली मार्ग पर कारी के पास बड़ी तादाद में गोवंश डेरा जमाए दिखे। हाई- वे व सड़कों पर घूम रहे अन्ना गोवंश जहां हादसों की वजह बन रहे हैं। वहीं रात के अंधेरे में खेतों में धावा बोलकर फसलों को चौपट करने के साथ ही हिंसक होकर राहगीरों व खेतों में खड़ी फसल की रखवाली कर रहे किसानों पर हमलावर भी हो रहे हैं।

गोवंश के सर्वेक्षण के नाम पर आंकडों का खेल

वर्ष 2019 में हुए सर्वेक्षण में जिले में14 हजार अन्ना गोवंश चिह्नित हुए थे। इनकी टैंगिग कराने के साथ ही साड़ों के बधियाकरण की अनदेखी से इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसके बाद भी शासन से शत प्रतिशत गोवंश को संरक्षित करने के निर्देश के बाद पशु पालन विभाग ने 2022में कराए गए सर्वेक्षण के नाम पर आंकड़ों में इनकी संख्या घटाकर 8095 कर दी थी। फिर इतनी बड़ी तादाद में अन्ना गोवंश कहां से आए इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

गोशालाओं में काऊकोट तो दूर, पर्याप्त चारा नहीं

मौजूदा समय में नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र के 104 गौआश्रय गृहों में पूरव के 11242 की जगह सिर्फ 9324 गोवंश ही संरक्षित बताए जा रहे हैं। जबकि सहभागिता में 787 किसानों के पास संरक्षित गाोवंश की संख्या 1357 बताई गई है। सर्दी शुरू होने के बाद भी गौ आश्रय गृहों में काऊकोट व पर्याप्त छाया का इंतजाम नहीं हो पाया है। जबकि हरा चारा चोकर गुड तो दूर भरपेट भूसा तक इन गोवंश को नहीं मिल पा रहा है। खुले आसमान में डे रा डाले गोवंश इन आश्रय गृहों में यातना का शिकार हो रहे हैं।

बोले जिम्मेदार

जिले की 102 गौशालाओं में 9324 गोवंश संरक्षित हैं। जबकि 1357 गोवंश सहभागिता के आधार पर 787 पशु पालकों के यहां संरक्षित कराए गए हैं। इस माह में 1050 अन्ना गोवंश पकड़वा कर सरक्षित किए गए हैं। सर्दी से गोवंश को बचाने के लिए सीडीओ ने सभी पशु आश्रय गृहों में तिरपाल, काऊकोट की व्यवस्था करने तथा सर्दी बढ़ने पर अलाव की व्यवस्था के साथ ही बीमार गोवंश का तत्काल उपचार करने का निर्देश भी दिया गया है।- डॉ. सुबोध कुमार बर्नवाल, जिला पशु चिकित्साधिकारी।

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