Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़कानपुर84-Year-Old Wins Legal Battle for Bhikshuk Home Ownership in Naubasta

84 साल के बुजुर्ग ने लड़ी बेटे-बहू की लड़ाई, जीता भिक्षुक गृह भवन

84 साल के बुजुर्ग ने नौबस्ता स्थित राजकीय भिक्षुक गृह के भवन की स्वामित्व की लड़ाई जीत ली। मंगलवार को जिला समाज कल्याण अधिकारी ने स्वामित्व पत्र सौंपा। बेटे-बहू की श्रद्धांजलि के रूप में बुजुर्ग ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, कानपुरWed, 14 Aug 2024 04:23 PM
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नौबस्ता स्थित राजकीय भिक्षुक गृह के भवन की जंग एक 84 साल के बुजुर्ग ने सरकार से जीत ली। शासन के निर्देश पर मंगलवार को स्वामित्व का पत्र जिला समाज कल्याण अधिकारी ने सौंप दिया। पत्र मिला तो बुजुर्ग की आंखें छलछला उठीं। कहा कि यह जीत बेटे-बहू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। भिक्षुकों को हुनरमंद बनाने के लिए सरकार ने नौबस्ता में वर्ष 1979 में राजकीय भिक्षुक गृह खोला था। 7009 वर्गफीट जमीन पर बने तीन मंजिला भवन को समाज कल्याण विभाग ने दो हजार रुपये किराए पर लिया था। यह जमीन कुंती देवी पत्नी श्याम सिंह तोमर को दान में मिली थी। वर्ष 1990 में कुंती देवी के निधन के बाद पति श्याम सिंह ने पशुपति नगर निवासी शैलेंद्र शुक्ला पुत्र जगदीश प्रसाद शुक्ला को जमीन बेच दी। 2005 से शैलेंद्र शुक्ला जमीन की लड़ाई को हाईकोर्ट तक लेकर गए। हाईकोर्ट ने भिक्षुक गृह खाली करने का आदेश दिया था। समाज कल्याण विभाग ने आदेश पर स्टे ले लिया था। 2018 में सड़क दुर्घटना में शैलेंद्र शुक्ला का निधन हो गया। भवन का स्वामित्व पाने की लड़ाई शैलेंद्र शुक्ला की पत्नी किरन शुक्ला ने लड़नी शुरू की। वर्ष 2022 में किरन शुक्ला का भी निधन हो गया।

82 वर्ष की उम्र में लड़ाई की संभाली कमान

2018 में बेटे और 2022 में बहू को खोने के बाद जगदीश प्रसाद शुक्ला टूट गए थे, लेकिन बेटे-बहू को उनका हक दिलाने की जिद ने उन्हें हौसला दिया। 82 साल की उम्र में उन्होंने जमीन को हासिल करने की कमान संभाली। कागज को मजबूत बनाकर पौने दो साल में ही जमीन का स्वामित्व प्राप्त कर लिया। इसके लिए जगदीश प्रसाद शुक्ला ने नगर निगम, केडीए और राजस्व विभाग से सत्यापित दस्तावेज निकलवाने के बाद समाज कल्याण निदेशालय का दरवाजा खटखटाया। कागजात सही पाए जाने पर समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत ने भवन को हस्तगत करने का निर्देश दिया था। मंगलवार को बुजुर्ग जगदीश प्रसाद शुक्ला विकास भवन पहुंचे तो सीढ़ियों पर चढ़ पाने में उन्होंने असमर्थता जताई। लिहाजा, जिला समाज कल्याण अधिकारी ने भूतल पर आकर उन्हें भवन का स्वामित्व पत्र सौंपा।

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