Hindi NewsUttar-pradesh NewsKannauj NewsThe Importance of Guru in Bhakti Insights from Bhagwat Katha

प्रेम के बिना भक्ति असंभव

Kannauj News - कन्नौज में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भगवताचार्य हरिओम दीक्षित ने भक्ति के मार्ग में गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इंसान को अपने तन, मन और धन का अभिमान छोड़कर सभी जीवों से...

Newswrap हिन्दुस्तान, कन्नौजThu, 26 Dec 2024 06:00 PM
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कन्नौज, गुगरापुर। माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर, आशा तृष्णा ना मरी कह गए दास कबीर। जिसे देखा नहीं जाना नहीं फिर हम उसे प्रेम कैसे कर सकते हैं, क्योंकि प्रेम के बिना भक्ति असंभव है। कबीरदास ने लिखा भी है (प्रभु को जाना नहीं कर्म लिए ढरकाय,कबिरा ऐसे मानव घोर नरक में जायें) इसलिए भक्ति का रास्ता बताने के लिए गुरु बहुत जरूरी है। उदगार गोसाईंदासपुर स्थित प्राचीन भोलेदास मठिया में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिवस भगवताचार्य हरिओम दीक्षित ने रखे। उन्होंने कहा कि सत्संग जहां पर होता है वह स्थान सर्वोपरि होता है।सत्संग सभी भक्तियों में उत्तम है।आज इंसान तन,मन,धन का अभिमान करता है जो भक्ति के मार्ग में अवरोध पैदा करता है। हमें भूलकर भी इन तीनों का अभिमान नहीं करना चाहिए।मनुष्य को अपने तन,मन और धन से लोगों की सेवा करनी चाहिए जिससे इस मानव जीवन का सही उपयोग हो सके। उन्होंने कहा हमें सभी जीवो से प्रेम करना चाहिए क्योंकि सभी प्राणियों में परमब्रह्म विराजमान हैं और सन्मार्ग की तरफ ले जाने वाला होता है गुरु।गुरु मनुष्य को अधर्म के रास्ते से हटाकर धर्म के रास्ते पर ले जाकर जीवन को सफल कर ईश्वर के सानिध्य में पहुंचा देता है। सत्संगी कथा के उपरान्त भगवताचार्य हरिओम दीक्षित ने सप्तऋषियों की कथा सुनायी।कथा के दौरान परीक्षित परीक्षित विवेक चतुर्वेदी, धर्मपत्नी श्रीमती अर्चना चतुर्वेदी, आलोक चतुर्वेदी, दिलीप, सुधीर चतुर्वेदी, संदीप कुमार चतुर्वेदी ब्लाक प्रमुख गुगरापुर, पुनीत, देवांश, शिवांक, उत्कर्स, विधान, अथर्व सहित तमाम श्रोता उपस्थित रहे।

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