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हटाने से पहले ये तो बताएं हम कहां जाएं

Kannauj News - कन्नौज में फल विक्रेताओं की आजीविका सड़क किनारे दुकानों पर निर्भर है, लेकिन अतिक्रमण के नाम पर उनकी दुकानों को हटाया जा रहा है। फल विक्रेताओं ने स्थायी दुकानें और बेहतर सुविधाओं की मांग की है। वे कहते...

Newswrap हिन्दुस्तान, कन्नौजThu, 27 Feb 2025 12:21 AM
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हटाने से पहले ये तो बताएं हम कहां जाएं

कन्नौज। कन्नौज में फल विक्रेताओं की आजीविका सड़क किनारे दुकानों पर निर्भर है। अतिक्रमण के नाम पर जिला प्रशासन द्वारा सबसे पहले उनकी दुकानों को ही हटाया जाता है। इससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ खड़ा होता है। फल विक्रेताओं ने कहा, हमसे इतनी ही दिक्कत है तो प्रशासन को चाहिए कि हमें स्थायी दुकानें दे। वैसे भी सड़क किनारे जहां हम दुकानें लगाते हैं, वहां इतनी दुर्गंध और गंदगी रहती है कि ग्राहक आने से कतराते हैं। दूसरों को सेहतमंद रखने वाले फल दुकानदार खुद ‘अस्वस्थ हैं। एक-दो नहीं, बल्कि कई समस्याएं उन्हें काफी समय से परेशान कर रही हैं। अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ दिया जाता है। कई बार गुहार लगाने के बाद भी स्थायी दुकानें नहीं मिली हैं। विभिन्न चौराहों व मार्गों के किनारे नाले चोक पड़े हैं। जगह-जगह पानी भर जाता है। प्यास बुझाने के लिए पानी खरीदना पड़ता है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने फल दुकानदारों से बातचीत की तो उनका दर्द छलक उठा। फल दुकानदार मो. राशिद ने कहा कि अतिक्रमण के नाम पर सबसे पहले हमें हटाया जाता है। जिला प्रशासन को हमें हटाने से पहले ये बताना चाहिए कि हम कहां दुकान लगाएं।

शहर हो या गांव, लगभग हर जगह फल और जूस बेचने वाले व्यापारियों की नई पीढ़ी तैयार हो रही है। फलों के व्यापार में ऐसे भी लोग हैं जो तीन पीढ़ियों से इस व्यवसाय में लगे हैं। इत्रनगरी में स्थायी फल मंडी के अभाव में फल कारोबार दिनों दिन चरमरा रहा है।

फल विक्रेता मो.सलीम ने बताया कि दूर दराज से फल मंगाने में ट्रांसपोर्ट पर आने वाले खर्च के चलते फल कारोबारियों को महंगा पड़ता है। अपेक्षा के अनुरूप बिक्री न होने और बड़ी तादाद में फल खराब हो जाने पर फल दुकानदारों को घाटा झेलना पड़ता है। यही वजह है की इत्रनगरी के फल कारोबारी के लिए अब धंधा करना दुश्वारियों भरा साबित हो रहा है। फल कारोबारी मो. आजाद ने कहा कि मंडी समिति में अस्थायी रूप से फल मंडी लगाई गई थी। जबकि फल व्यापारियों को कोई भी दुकान या गोदाम आवंटित नहीं किया गया था। इतना ही नहीं फल कारोबार के लिए टीन शेड भी उपलब्ध नहीं कराया गया। केवल खुले में अस्थायी फल बाजार लगाने के निर्देश दिए गए थे। इसके चलते जिला मुख्यालय पर फल कारोबारी के लिए व्यापार करने में काफी कठिनाई आ रही है। फल व्यापारियों ने मंडी से कुछ दूरी पर महंगे किराये पर गोदाम ले रखे हैं। दुकानों का महंगा किराया और बाहर की फल मंडियों से फल मंगाने पर ट्रांसपोर्ट का खर्चा फल व्यापारियों पर भारी पड़ रहा है। वहीं गुरसहायगंज, छिबरामऊ एवं तिर्वा में फल जिला मुख्यालय की अपेक्षा सस्ते दामों पर बिक रहे हैं।

कन्नौज में छोटे बड़े मिलाकर तकरीबन 300 फल व्यापारी हैं। फल मंडी के अभाव में अब इस कारोबार से लोग किनारा करने लगे हैं। फल व्यापारियों ने प्रशासनिक अधिकारियों से स्थायी फल मंडी बनाने और व्यापारियों को दुकान एवं गोदाम आवंटित करने की मांग की है। बावजूद इसके अधिकारियों ने इस और ध्यान नहीं दिया, जबकि फल कारोबार से छोटे तबके के व्यापारी ज्यादा जुड़े हुए हैं। उनके घरों का चूल्हा फल कारोबार से ही जलता है।

बुजुर्गों को कैंप लगाकर पेंशन दी जाए

चौराहे पर फल बेचने वाले मो. खलील ने बताया कि 60 साल के बुजुर्गों को पेंशन मिलनी चाहिए। कैंप लगाकर फार्म भरवाए जाएं। दुकानदार विभाग के चक्कर लगाते रहते हैं पर जानकारी के अभाव में पेंशन नहीं मिल पा रही। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के घर के लिए फल दुकानदार को पात्र माना जाए। चौराहों पर आरओ लगवाए जाएं, जिससे साफ पानी पी सकें। फुटपाथ पर पीली पट्टी से पेंट कराकर फल की दुकान, ठेला लगाने के लिए जगह अधिकृत करें।

सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं

फल कारोबारी शानू का कहना है कि उन्हें अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए सुविधा और सहयोग चाहिए। वह लोग सुबह से शाम तक मेहनत करने के बाद भी अपने परिवार को अच्छे तरीके से पालने भर की कमाई नहीं कर पाते हैं। अच्छी कमाई के लिए उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए बैंक की सहायता चाहिए पर उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी देने वाला कोई नहीं है। गर्मी में फल खराब होने की सबसे बड़ी परेशानी है। उन्हें सुरक्षित रखने के लिए स्थानीय स्तर पर कोल्ड स्टोरेज का अभाव है, इसकी कमी दूर करनी चाहिए।

शिकायतें

1. फल विक्रेताओं को अवैध और अतिक्रमणकारी

माना जाता है।

2. बार-बार प्रशासन द्वारा दुकानों को हटा दिया जाता है, जिससे कारोबार प्रभावित होता है।

3. सड़क किनारे दुकान लगाने पर मकान, प्रतिष्ठान के लोगों द्वारा किराया वसूला जाता है।

4. बाजारों में सफाई व्यवस्था और कचरा प्रबंधन

की कमी है।

5. चौराहों पर पीने के पानी और शौचालय की

सुविधा नहीं है।

6. व्यापारियों को सरकारी योजनाओं की जानकारी

नहीं मिलती।

7. फलों को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज

की सुविधा नहीं है।

सुझाव

1. प्रशासन को फल व्यापारियों को वैध मान्यता देनी चाहिए ताकि अपना कारोबार ठीक से कर सकें।

2. पालिका की ओर से निश्चित स्थान पर स्थायी दुकानें बनाने की जरूरत है।

3. नगर प्रशासन उचित और तयशुदा किराया प्रणाली लागू करे।

4. कचरा प्रबंधन और सफाई कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति की जाए।

5. चौराहों पर पानी और शौचालय की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए।

6. जिला प्रशासन द्वारा व्यापारियों को लोन और योजनाओं की जानकारी दी जाए।

7. स्थानीय स्तर पर छोटे कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएं ताकि फल सुरक्षित रख सकें।

बोले फल दुकानदार

सरकारी योजनाओं की जानकारी न मिलने से हमें लोन नहीं मिलता। कैंप लगा लोन व सब्सिडी दें।-लालमियां पप्पू

छोटे कोल्ड स्टोरेज बनें। जिला मुख्यालय पर एक कोल्ड स्टोरेज बने तो फलों की कीमत घट जाएगी।- मो. सलीम

चौराहों पर ठंडे पानी और शौचालय की सुविधा उपलब्ध हो। यूरिनल की नियमित सफाई कराई जाए।-मो. मुस्तकीम

फल मंडी में पेयजल की व्यवस्था दुरुस्त न होने से ग्राहकों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। मो. आजाद

फल दुकानों के आसपास पुलिस समय समय पर गश्त करे। अक्सर अराजकतत्व परेशान करते हैं। -ऋषभ

बोले जिम्मेदार

मंडी में करीब 70 से 80 फल व्यापारी पंजीकृत हैं, इन व्यापारियों ने दुकान एवं गोदाम आवंटन के लिए आवेदन नहीं किया था। अगले आवंटन के दौरान आवेदन करने पर दुकान उपलब्ध करा दी जाएगी और मंडी में दोनों गेटों के पास पेयजल की व्यवस्था कर दी गई है। शौचालय कई बार दुरुस्त कराए गए लेकिन अराजकतत्वों द्वारा शौचालय को जानबूझकर क्षतिग्रस्त कर दिया जाता है। इसको ठीक कराएंगे ।- रघुराज सिंह, मंडी सचिव

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