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बोले कन्नौज: उजाड़ने से पहले बताएं ... कहां दुकान लगाएं

Kannauj News - कन्नौज के पटरी दुकानदारों का कहना है कि उन्हें अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ दिया जाता है। वे स्थायी दुकानें नहीं होने के कारण फुटपाथ पर अपने सामान बेचते हैं। सरकार से मदद न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब...

Newswrap हिन्दुस्तान, कन्नौजSat, 1 March 2025 04:27 PM
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बोले कन्नौज: उजाड़ने से पहले बताएं ... कहां दुकान लगाएं

कन्नौज। परिवार का भरण-पोषण करना है तो कमाना ही पड़ेगा। कुछ नहीं मिलता है तो टिन के शेड और टाट-पट्टी बिछाकर सामान बेच लेते हैं। ठेला लगाकर पेट पाल लेते हैं पर अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ दिया जाता है। कन्नौज के पटरी दुकानदार यह कहते-कहते भावुक हो गए। बोले-हमारे सामने समस्याओं का पहाड़ है। हम आर्थिक रूप से इतने समृद्ध नहीं कि कहीं पर भी किराये पर दुकान ले सकें। दुकानदारों का कहना है कि सरकार आगे बढ़ाने का काम कर रही है पर स्थानीय स्तर पर उनको मदद नहीं मिल पाती है। सड़कों के किनारे फुटपाथ पर टाट पट्टी डालकर, ठेले लगाकर तो कहीं लकड़ी और टिन के खोखे रखकर अपना और परिवार का पेट पालने वाले पटरी दुकानदार परेशान हैं। अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई के नाम पर अक्सर उन्हें उजाड़ दिया जाता है। कभी दुकान उठाते वक्त टूट जाती है तो कभी लाने-ले जाने में क्षतिग्रस्त हो जाती है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से अपनी समस्याएं साझा करते हुए इन दुकानदारों का दर्द छलक पड़ा। पटरी दुकानदार अशोक गुप्ता ने कहा, क्या अपना पेट पालना गुनाह है! हमें ऐसे न उजाड़ें। उजाड़ने से पहले तो बताएं कहां दुकान लगाएं।

पटरी दुकानदार पक्की दुकानें न मिलने, फुटपाथ पर दुकानों के पास से निकले नाले-नाली गंदगी से पटे होने, आयुष्मान कार्ड न बनने, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ न मिलने जैसी कई समस्याओं से बेहाल हैं। पटरी दुकानदार संजीव का कहना है कि पेट भरने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं। इतनी जमापूंजी नहीं है कि पक्की दुकान किराये पर ले सकें। मजबूरी में सड़क किनारे जहां जगह मिल जाती है वहीं दुकान लगा लेते हैं। ऐसे में उजाड़ने की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। ऐसा करने से पहले कहीं न कहीं पुनर्वास करने का इन्तजाम किया जाए, जो लोग सालों से खोखा रखकर परिवार का पेट भर रहे हैं उन्हें अचानक बुलडोजर और पुलिस का खौफ नहीं दिखाना चाहिए। इन दुकानों पर दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ कपड़े और खाने पीने के सामान उपलब्ध रहते हैं। शहर की सड़कों और फुटपाथों के किनारे लगने वाले ठेलों की बात करें तो पूरे शहर में करीब 1500 ऐसी दुकानें मिल जाएंगी। सराएमीरा इलाके में जीटी रोड किनारे लगभग 230 ऐसी पटरी दुकानें हैं जो तिर्वा क्रॉसिंग से लेकर रोडवेज बस अड्डा और रेलवे स्टेशन रोड तक सजती हैं। इन पटरी दुकानदारों को सुविधाएं तो मिलतीं नहीं पर अक्सर इन्हें अतिक्रमण हटाने के नाम पर समेटकर किनारे कर दिया जाता है। तिर्वा क्रॉसिंग के पास ओवर ब्रिज के नीचे भी पटरी दुकानदारों की अच्छी खासी संख्या है। यहां भी कई बार इन्हें हटा दिया जाता है। वहीं मकरंदनगर, लाखन तिराहा और सब्जीमंडी में भी 200 से 300 दुकानें हैं जो अस्थायी तौर पर चलती हैं। इतना ही नहीं बेतरतीब खड़े वाहनों के चलते मुख्य मार्ग और बाजारों में जाम की समस्या पेश आती है तो भी इनको ही सबसे पहले निशाने पर लिया जाता है। इसके अलावा कुछ दुकानदारों का कहना है कि दुकानें लगाने के नाम पर इनसे वसूली भी की जाती है। हालांकि इन दुकानदारों से वसूली कौन करता है यह कोई स्वीकारता नहीं। वजह कि नगर पालिका से इनको कोई लाइसेंस या दुकान लगाने की जगह आवंटित नहीं होती है। ऐसे में यह दुकानदार कहां जाएं। पटरी दुकानदार बताते हैं कि इनसे कुछ लोग वसूली करने आते हैं । रोजाना अपनी कमाई का कुछ हिस्सा सुरक्षा और यहां दुकानें लगाने के नाम पर देना पड़ता है। इसके अलावा भी इन दुकानदारों की कई समस्याएं हैं। जिनमें बारिश के समय कई बार इनका नुकसान हो जाता है । बावजूद इसका इनको कोई हर्जाना नहीं मिलता। साथ ही अन्ना मवेशी और बंदर भी जरा सी नजर चूकने पर नुकसान कर देते हैं। दुकानदारों का कहना है कि 60 से अधिक उम्र हो जाने पर पटरी दुकानदार को कम से कम मासिक पांच हजार रुपये की पेंशन देने के लिए योजना लाई जाए। हम लोगों को भी कुछ सुविधाएं मिलें और नगर पालिका से कोई लाइसेंस मिलना चाहिए ताकि हमारी रोजी रोटी चलती रहे।

अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ रहे दुकानें

सड़क, पटरी और फुटपाथों के किनारे पर दुकानें लगाकर छोटी-मोटी पूंजी से व्यवसाय करने वाले पटरी दुकानदार केशव ने बताया कि नगर पालिका से कोई राहत या रियायत नहीं मिलती। बल्कि अतिक्रमण का नाम देकर जो छोटी मोटी दुकान बनाई जाती है उसे हटवा दिया जाता है। दुकान हटाने के दौरान हुए नुकसान की कोई भरपाई भी नहीं होती है। एक बार दुकान हटने में काफी नुकसान हो जाता है। मजबूरी में दोबारा दुकान सजाने के लिए सामान व दुकान, टट्टर आदि का इन्तजाम करने के लिए कर्ज लेना पड़ता है।

शहर में पार्किंग की हो व्यवस्था ताकि न लगे जाम

पटरी दुकानदार प्रताप सिंह ने बताया कि रोड किनारे खड़ी होने वाली बाइक, कार और बसें हम लोगों के लिए मुसीबत का सबब हैं। बाजार आने वाले लोग तो कभी राहगीर अपने वाहनों को दुकानों के सामने खड़ा कर चले जाते हैं। ऐसे में दुकान के आगे बिल्कुल जगह नहीं रहती है। इसकी वजह से ग्राहक वहां तक नहीं पहुंच पाते हैं। यदि दुकानदार वाहन हटाने को कहते हैं तो वाहन चालक अभद्रता और लड़ाई झगड़े पर आमादा हो जाते हैं। दुकानदारों का कहना है कि लगातार वाहन बढ़ते जा रहे हैं। शहर में पार्किंग की व्यवस्था है नहीं। सबसे पहले शहर में वाहन पार्किंग स्थल बनाए जाने चाहिए। इसक साथ ही आस पास सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए ताकि अगर कोई व्यक्ति दुकानदारों से दबंगई या बदसलूकी करता है तो उसपर कार्रवाई हो। जिससे पटरी दुकानदार खुद को सुरक्षित महसूस करें।

शिकायतें

1. पटरी दुकानदारों को अक्सर अतिक्रमण हटाने के नाम पर उजाड़ दिया जाता है इससे काफी नुकसान हो जाता है ।

2. पटरी दुकानदारों के लिए पालिका या शासन स्तर से कोई ऐसी योजना नहीं है जिससे इनका स्थायी समाधान हो ।

3. शहर समेत कस्बों में भी सड़क किनारे फुटपाथों पर गंदगी फैली रहती है। इससे ग्राहक आना पसंद नहीं करते।

4. पटरी दुकानदारों से दुकान लगाने के नाम पर अवैध वसूली की जाती है। पैसे न देने पर बदसलूकी करते हैं।

5. शहर में पार्किंग की व्यवस्था न होने के चलते फुटपाथ पर लोग वाहन पार्क करते हैं।

सुझाव

1. शहर के प्रमुख चौराहों के पास जमीन चिह्नित कर मार्केट बनाकर दुकानदारों को आवंटित की जाएं।

2. शहर के विभिन्न मार्गों किनारे और फुटपाथों पर दुकान लगाने वाले पटरी दुकानदारों से होने वाली धन की वसूली बंद कराई जाए।

3. पटरी दुकानदारों के व्यवसाय को मजबूती प्रदान करने के लिए इनको लाइसेंस के साथ ही आर्थिक सहायता दी जाए।

4. फुटपाथों और सड़कों के किनारे की साफ-सफाई संग प्रकाश व्यवस्था बेहतर की जाए।

5. शहर में पार्किंग की व्यवस्था की जानी चाहिए। ताकि सड़कों के किनारे वाहन न खड़ा करें।

बोले-पटरी दुकानदार

कभी पॉलीथीन तो कभी अन्य जांच पड़ताल के नाम पर पालिका कर्मचारी आए दिन तलाशी लेते हैं। पंकज कुमार

पटरी दुकानदारों के पास कोई स्थायी दुकान नहीं है हमें आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। - प्रताप सिंह

इन दिनों सर्दी के चलते बाजार में रौनक कम है। अगर अवैध वसूली बंद हो जाए तो कुछ राहत मिले। -इब्राहिम

मजबूरी में फुटपाथ पर दुकान लगाते हैं। हम लोगों को लाइसेंस या फिर कोई स्थान दिलाया जाए। -केशव

बोले- जिम्मेदार

एडीएम आशीष कुमार सिंह ने बताया कि पटरी दुकानदार असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की श्रेणी में आते हैं। इनको सबसे पहले श्रम विभाग में अपना पंजीकरण करवाना चाहिए। ताकि इन्हे सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले। पटरी दुकानदारों की सहूलियत के लिए जो प्रयास किए जा सकते हैं उनपर काम किया जाएगा।

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