चक्रवात : महज दो मिनट के तूफान से तहस-नहस हुआ जगतपुर
यह सुनने में अजीब जरूर लगता है कि बिल्कुल शांत माहौल हो और अचानक तबाही का मंजर आंखो के समने आ जाए। जी हां एसा ही कुछ नजारा रविवार दोपहर जिले के जलाला
कन्नौज, संवाददाता। जलालाबाद ब्लॉक स्थित फरिकापुर गांव के मजरा जगतपुर में रविवार दोपहर लगभग तीन बजे कम दबाव का क्षेत्र बनने से करीब दो मिनट का चक्रवाती तूफान आया। इससे शांत माहौल दहशत में तब्दील हो गया और देखते ही देखते कुछ बिजली के पोल और पेड़ धराशायी हो गई। गांवों को जाने वाले मार्ग अवरुद्ध होने के अलावा घरों पर लगी टिन शेड उड़ गई। रोजाना की तरह लोग अपने दैनिक कामों में व्यस्त थे। कुछ लोग घरों के बाहर बैठकर आपस में बातचीत कर रहे थे तो कई लोग गांव में दुकानों पर बैठकर चर्चा में व्यस्त थे। खेतों में किसान फसलों की देखरेख और किसानी के कामों में जुटे थे। माहौल बिल्कुल शांत था और मौसम भी सामान्य। तभी अचानक मौसम ने ऐसी करवट बदली कि लोगों में दहशत का माहौल बन गया। बताया जा रहा है कि अचानक भयंकर चक्रवात उठा और गांव में धूल और धुंध का गुबार फैल गया। चक्रवात इतना ताकतवर था कि देखते ही देखते गांव में करीब 15 पेड़ जड़ से उखड़कर जमीदोंज हो गए। वहीं, करीब 30 घरों पर लगे टीनशेड उड़कर आसपास के घरों और गलियों में बिखर गए। इतना ही नहीं गांव में करीब चार लोगों के कच्चे मकान भी धराशाई होने की बात कही जा रही है। कुछ घरों के लेंटर भी टूटे हैं। महज दो मिनट के इस चक्रवात ने गांव में दहशत फैला दी।
तबाही देख कांपी लोगों की रूह
गांव में महज दो मिनट के लिए आए चक्रवात ने इस कदर तबाही मचाई कि जब यह शांत हुआ तो काफी देर तक लोग घरों से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। काफी देर बाद जब लोग घरों से बाहर निकले तो उनकी आंखों के सामने तबाही का मंजर था। कहीं पेड़ टूटे पड़े थे तो कहीं बिजली के पोल। इतना ही नहीं गांव की गलियों में घरों से उड़कर आए टीन शेड इधर-उधर बिखरे पड़े थे। हालांकि, गनीमत रही कि किसी को जान का जोखिम नहीं उठाना पड़ा।
करीब तीन सौ बीघा धान की फसल बर्बाद
जगतपुर में लगभग 300 बीघा जमीन में ग्रामीणों ने धान की फसल बोई है। इस चक्रवात ने लोगों की धान की फसल को भी खासा नुकसान पहुंचाया है। गांव के लालाराम, नन्हेलाल, नीलेश, विजय, सिंटू , दिलीप, आमोद और नरेंद्र ने बताया कि फसल पूरी तरह से गिरकर खराब हो गई है। इससे किसानों का बहुत नुकसान हुआ है। किसानों ने प्रशासन से मुआवजा दिलाने की मांग उठाई है।
गांव का रास्ता बंद, बिजली भी गुल
चक्रवात से गांव के मुख्य मार्ग पर बड़े पेड़ जड़ से उखड़कर जमींदोज हो गए हैं। इससे गांव जाने वाला रास्ता बंद हो गया। लोग इन पेड़ों को हटवाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, गांव में करीब चार बिजली के पोल भी टूटकर गिरे हैं। इससे गांव की बिजली व्यवस्था भी ध्वस्त हो गई। लोगों का कहना है कि जल्द से जल्द व्यवस्था सही कराई जाए ताकि लोगों को परेशानी न पेश आए।
स्थानीय निम्न दाब क्षेत्र बनने से आया चक्रवात
इस चक्रवात को लेकर मौसम वैज्ञानिक अमरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि स्थानीय स्तर पर निम्न दाब एरिया बनने के चलते इस तरह के चक्रवात आते हैं। जगतपुर में आया चक्रवात भी इसी का नतीजा है। उन्होंने बताया कि इस एरिया में निम्न दाब क्षेत्र बनने के पीछे की वजह पर गौर करें तो यहां असंतुलित खेती और अत्यधिक उर्वरकों का प्रयोग होना माना जा सकता है। बताया गया कि बीते पांच साल में यह अनुभव किया गया कि जलालपुर पनवारा इलाके में प्रकृतिक असंतुलन बढ़ा है। कभी बारिश तो कभी ओले और चक्रवात जैसे मामले देखने को मिले हैं। इस तरह के मामले से लोगों को सबक लेना चाहिए।
पहले भी आ चुके इसी तरह के चक्रवात
जगतपुर में आया चक्रवात जिले में इस तरह की होने वाली इकलौती घटना नहीं है। इससे पहले साल 2020 में उमर्दा में भी इसी तरह का चक्रवात आया था। वहां भी कई लोगों के मकान और पेड़ आदि गिरे थे। साल 2017 में कपूरपुर, जबकि 2008 में बंसरामऊ मानीमऊ के पास करीब आठ किलोमीटर की परिधि में आया था।
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