आत्मनिर्भर योजना: लक्ष्य 476 का, फाइलें हुईं सात मंजूर
डीएम की कड़ी नाराजगी के बावजूद भी बैंक सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण पीएम स्ट्रीट बेंडर आत्मनिर्भर निधि योजना के लाभार्थी ऋण पाने के लिए पिछले एक पखवारे से बैंकों के चक्कर...
डीएम की कड़ी नाराजगी के बावजूद भी बैंक सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण पीएम स्ट्रीट बेंडर आत्मनिर्भर निधि योजना के लाभार्थी ऋण पाने के लिए पिछले एक पखवारे से बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं। बैंक अधिकारी इन्हे कोई न कोई बहाना बनाकर टरका देते हैं। दो दिन पहले कलेक्ट्रेट सभागार में डीएम ने बैंक अधिकारियों के साथ बैठक कर कड़े निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भी अभी तक 476 के सापेक्ष सिर्फ सात लाभार्थियों का ही लोन स्वीकृत हो पाया हैं।
कोरोना कॉल के दौरान गरीब परिवारों की बिगड़ी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेन्डर आत्मनिर्भर निधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत नगरीय क्षेत्र के गरीबों को 10 हजार रुपए का ऋण बिना किसी गारंटी के बैंकों की ओर से देने का ऐलान किया गया था। इसके लिए गुमटी, ठेला-ठिलिया, फल व सब्जी विक्रेता, फुटपाथ दुकानदार को इसका लाभ दिया जाना है। इन्हें सिर्फ आधार कार्ड व बैंक की पासबुक प्रस्तुत करनी होती है। इसके लिए नगर पंचायत तिर्वागंज को 476 लाभार्थियों का लक्ष्य दिया गया था। इस लक्ष्य के सापेक्ष 650 स्ट्रीट वेन्डरों ने नगर पंचायत में इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया था। नगर पंचायत में इस योजना का काम देख रहे कर्मी अंशू गुप्ता ने बताया कि 315 लाभार्थियों के आवेदन ऑनलाइन दर्ज कर दिए हैं। यह सभी आवेदन तिर्वा की विभिन्न बैकों को भेज दिए गए हैं। इसकी सूचना भी लाभार्थियों को दे दी गई है।
क्या कहते हैं आवेदनकर्ता
कस्बे के मोहल्ला बौद्धनगर निवासी सर्वेश कुमार, शास्त्री नगर निवासी मिन्टू सविता व सुनील कुमार सहित कई लाभार्थियों ने नगर पंचायत जाकर शिकायत की। उन सभी का आरोप है कि भारतीय स्टेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, आर्यावर्त बैंक तिर्वागंज व तिर्वाखास शाखाओं के अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। कई बार बैंक जाकर परेशान हो चुके हैं। इन सभी का कहना है कि जब पीएम की योजना पर बैंक अधिकारी ध्यान नहीं देते, तो और योजनाओं का क्या हाल होगा। उधर, इस मामले में जब इन सभी बैंक शाखाओं के जिम्मेदारों से पूछा गया तो उनका कहना है कि स्टाफ कम है और काम ज्यादा है।
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