Hindi NewsUttar-pradesh NewsKannauj NewsSchool Vehicle Drivers in Kannauj Face Safety and Traffic Challenges

बोले कन्नौज: बच्चों की बसों में जाम-जुर्माना-वसूली के ब्रेकर

Kannauj News - कन्नौज में स्कूल वाहन चालकों को सड़क सुरक्षा और यातायात की कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वेतन की कमी, खराब सड़कों और जाम के कारण बच्चों को समय पर स्कूल लाना और उन्हें सुरक्षित घर छोड़ना मुश्किल...

Newswrap हिन्दुस्तान, कन्नौजSat, 1 March 2025 04:46 PM
share Share
Follow Us on
बोले कन्नौज: बच्चों की बसों में जाम-जुर्माना-वसूली के ब्रेकर

कन्नौज। सड़क सुरक्षा के लिए बातें तो बड़ी-बड़ी होती हैं, लेकिन अमल नहीं किया जाता। जब तक अभियान चलता है, तब तक ही सुधार दिखता है। इसके बाद स्थिति जस की तस बन जाती है। कन्नौज की तंग और अतिक्रमण से पटी सड़कों पर कभी जाम का झाम तो कभी बारिश में जर्जर सड़क और गलियों में जलभराव के बीच बच्चों को लेकर जाने वाले स्कूल वाहनों को अक्सर देखा जाता है। बावजूद इसके बच्चों को सुरक्षित और समय पर पहुंचाने की पूरी जिम्मेदारी। जरा सी देरी होने पर स्कूल में क्लॉस लग जाए या फिर घर छोड़ने में देरी हो जाए तो अभिभावकों को जवाब देना पड़ता है। इन स्कूल वाहन के चालकों की भी अपनी तमाम समस्याएं हैं, जिनको झेलते हुए ये अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं ।

बच्चों को समय से स्कूल लाना और फिर उन्हें सुरक्षित घर छोड़ना। इस अहम जिम्मेदारी को निभा रहे स्कूली बस और वैन चालक वेतन की कमी, खराब सड़क, जाम, पुलिस कार्रवाई जैसी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी इन्हीं समस्याओं पर जब आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने उनसे बातचीत की तो उनका दर्द छलक उठा। चालक मोहसिन ने कहा कि जाम, जुर्माना और फिर अवैध वसूली से हर रोज हम लोग जूझ रहे हैं। इनसे हम लोगों को निजात दिलाई जाए। जिससे न सिर्फ हमारी समस्या दूर होगी बल्कि बच्चों को भी परेशान नहीं होना पड़ेगा।

कन्नौज में करीब 500 बसें स्कूलों में चल रही हैं। इन बसों से सरकार का खजाना भी भरता है। बावजूद इसके स्कूल बस चालक और संचालक की स्थिति अच्छी नहीं है। चालक महेंद्र सिंह ने बताया कि समय की कमी के चलते अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के लिए स्कूल वैन या बस पर ही भरोसा करते हैं । इसमें भी बच्चों को सुरक्षित और समय से स्कूल लाने व ले जाने की जिम्मेदारी हम वाहन चालकों पर ही होती है। ऐसे में हम लोग समय का पाबंद रहकर ड्यूटी निभाते हैं। बावजूद इसके इन वाहनों के चालकों को तमाम ऐसी दुश्वारियां और मुश्किलें पेश आती हैं जो इनके लिए परेशानी का सबब बन जाती हैं। शहर में जीटी रोड से लेकर अंदर की सड़कों तक जगह-जगह जाम में फंसना उसके बाद भी बच्चों को समय पर स्कूल पहुंचाना बहुत ही मानसिक तनाव का काम होता है। रही बची कसर छुट्टी के समय निकल जाती है। दोपहर में सड़कों पर वाहनों की संख्या अधिक होती है और तो और जगह-जगह ठेले और खोमचों के साथ अन्य अतिक्रमण समस्या और बढ़ा देते हैं। वाहन चालक वीरपाल ने बताया कि बात अगर सुरक्षा की करें तो कई बार छोटे बच्चे सीट बेल्ट ही नहीं लगाते । वाहन चालक बेल्ट लगाते हैं पर बच्चे फिर खोल देते हैं। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा भी बड़ी जिम्मेदारी होती है । उसमें भी जरा सा चूके तो ट्रैफिक पुलिस चालान काट देती है। जाम की समस्या से मिले निजात तो बने बात : स्कूल वाहन चालकों का कहना है कि शहर में जाम की समस्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। अतिक्रमण के चलते सड़कें सिमटती जा रही हैं। ऐसे में छुट्टी के समय शहर की सड़कों पर जाम में फंसकर काफी समय बर्बाद हो जाता है। ऐसे में बच्चों के साथ हमें भी परेशान होना पड़ता है। स्कूलों की छुट्टी के समय यातायात पुलिस को सक्रिय रहना चाहिए।

गलती कोई करे और सजा हमें भुगतनी पड़ती है : स्कूल वाहन चालकों का कहना है कि हम लोगों की गाड़ियां पूरी तरह से फिट रहती हैं। इतना ही नहीं नियम और कायदों का भी हम लोग पूरा ध्यान रखते हैं । बावजूद इसके कई बार ऐसा होता है कि निजी वैन अन्य वाहन जो नियम विरुद्ध चलते हैं और स्कूली बच्चों को लेकर आते जाते हैं। इन वाहनों से ही हादसे होते हैं । कोई हादसा होता है तो इसके बाद प्रशासन सख्ती दिखाते हुए कार्रवाई करता है । कार्रवाई निजी वाहनों पर नहीं होती क्योंकि वो लोग गायब हो जाते हैं और कोरम पूरा करने के लिए हम लोगों के चालान छोटी और मामूली कमियां निकाल कर काट दिए जाते हैं। इन समस्याओं के बीच ड्यूटी करना कठिन होता है।सरकार दे रियायत: सरकार की ओर से कोई रियायत नहीं दिए जाने से स्कूल बस संचालकों के समक्ष कठिन स्थिति पैदा हो गई है। कर्ज लेकर बस संचालक किस्त जमा कर रहे हैं।

वेतन की कमी: कई स्कूल वाहन चालकों को उनकी सेवाओं के लिए पर्याप्त वेतन नहीं मिलता है, जिससे उनकी आर्थिक सही नहीं हो पा रही है। स्कूली वाहन चालकों ने कहा इतने कम पैसे मिलते हैं कि घर खर्च चलाना भी मुश्किल होता है। समस्या तब होती है जब पुलिस की कार्रवाई होने पर स्कूल वाहन मालिक हमलोगों के पैसे काट देते हैं।

स्वास्थ्य की जांच हो, मुफ्त चश्मे दिए जाएं

निजी बस चालकों और परिचालकों का कहना है कि पूरे दिन धूल और धुएं के बीच उन लोगों को रहना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भेजे जाएं। सेहत के साथ ही विशेष तौर पर आंखों की जांच हो, जिनकी नजर कमजोर है उन चालकों और परिचालकों को मुफ्त चश्मा उपलब्ध कराए जाएं। वहीं, जिनके आयुष्मान कार्ड नहीं बने हैं उनके कार्ड मौके पर ही बनवा दिए जाएं ताकि विषम हालात में अपना इलाज कराया जा सके।

शिकायतें

1. ऊपरी कमाई के चक्कर में पुलिस बेवजह चालान काटकर आर्थिक चोट पहुंचाती है।

2. गड्ढों के कारण टूट-फूट अधिक होती है। मरम्मत में कमाई का ज्यादातर हिस्सा खर्च होता है।

3. डीजल महंगा होने से घाटा हो रहा है।

4. छापेमारी व जांच के दौरान आए दिन चालान कर दिए जाते हैं। इससे आर्थिक मार सहनी पड़ती है।

5. बस चालकों को जानकारी के अभाव में सरकारी योजनाओं से मदद नहीं मिल पा रही।

6. फिटनेस के नाम पर हम लोगों को बेवजह परेशान किया जाता है।

7. शहर में जाम के चलते रोजाना जाम में फंसते हैं।

सुझाव

1. बिना परमिट के चल रहे अवैध वाहनों पर प्रतिबंध लगे।

2. आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए फर्जी चालान तुरंत रोके जाएं ताकि हम अपना काम कर सकें।

3. बसों का संचालन करने के लिए टैक्स में छूट देकर रियायत दी जाए।

4. बैटरी बसें सीमित दूरी तय करें। उनके रूट अलग किए जाएं।

5. बस मालिकों को ब्याज मुक्त ऋण दिया जाए।

6. शहर में जाम और अतिक्रमण की समस्या पर ठोस काम होना चाहिए।

7. सिर्फ कोरम पूरा करने के लिए स्कूल वाहनों के चालान काटने बंद हों ।

बोले चालक

स्कूली वाहनों को जांच के नाम पर बेवजह रोका न जाए। इससे बच्चों को परेशानी होती है वे लेट होते हैं ।-उदय प्रकाश

सड़कों पर लगने वाला जाम मुसीबत का सबब बनता है। यही वजह है कि स्कूल वाहन जाम में फंसकर लेट हो जाते हैं। -ब्रजेश

स्कूल वाहन चालकों की मामूली कमियों पर चालान काट दिया जाता है। यह ठीक नहीं है। इसमें सुधार होना चाहिए। -श्याम

स्कूल वाहन चालकों से वेरिफिकेशन के नाम पर पुलिस पैसे लेती है। जबकि हम लोग सही जानकारी देते हैं।- राजेश

चालकों को कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है। हम लोगों की परेशानी को समझते हुए सुविधाएं मिलनी चाहिए। -राजू

निजी वाहनों से कई बार हादसे होते हैं ऐसे में स्कूल वाहनों पर कोरम पूरा करने के नाम पर कार्रवाई कर देते हैं। -फूल सिंह

बोले जिम्मेदार

स्कूली वाहनों को जाम में न फंसना पड़े इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सभी चौराहों पर यातायात व्यवस्था को चाक चौबंद रखने का प्रयास किया जाता है। जहां तक बात स्कूल वाहनों के चालान की है तो चालान बिना वजह के नहीं होता है। बच्चों की सुरक्षा का सवाल होता है, ऐसे में नियमों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। - आफाक खान, यातायात प्रभारी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें