बोले कन्नौज: उद्योग लगें तो हमारा आलू बन जाएगा ‘सोना
Kannauj News - कन्नौज में आलू की बंपर पैदावार के बावजूद किसान निराश हैं। उचित दाम न मिलने, आलू आधारित उद्योगों की कमी, और खाद व बीज की उपलब्धता न होने के कारण किसान संकट में हैं। आलू की फसल को बचाने के लिए मवेशियों...
कन्नौज। कन्नौज में बंपर पैदावार होने के बाद भी आलू किसान निराश हैं। फसल का वाजिब दाम न मिलने से आलू किसानों की लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है। कारण कई हैं पर सबसे महत्वपूर्ण है- जिले में आलू आधारित उद्योग न होना। इसके अलावा अच्छा बीज न मिलना, समय पर खाद और पानी न मिलना, मवेशी, कोल्ड स्टोरेज के मनमाने दाम, रेलवे रैक पॉइंट न होना आदि समस्याएं उनके आड़े आ रही हैं। आलू हमेशा राजनीतिक सुर्खियों में छाया रहता है, फिर भी यहां के आलू किसान परेशान हैं। यह स्थिति तब है जब यहां की प्रमुख पैदावार आलू है। जिले में 80 फीसदी किसान आलू की खेती करते हैं। इसके बाद भी किसानों को न अच्छा बीज मिल रहा है और न, समय पर खाद और पानी। किसी तरह किसान ने अपने संसाधन और मेहनत के बल पर फसल अच्छी कर भी ली तो आवारा पशु उसे बर्बाद कर देते हैं। इन आलू किसानों की समस्याओं पर आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने इनसे बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा। ओमकार कहते हैं कि जिला प्रशासन से हम आलू किसानों कोई सहयोग नहीं मिलता है। खून-पसीने से फसल को सींचकर हम आलू की बंपर पैदावार कर रहे हैं, पर वाजिब दाम न मिलने से आलू की फसल घाटे की सौदा साबित हो रही है। बीते वर्ष किसानों को भारी नुकसान भी हो चुका है। किसानों की स्थायी नीति के साथ ही आलू आधारित उद्योग की मांग है। अगर हमें उद्योग की सौगात मिल जाए तो हमारा खेत आलू नहीं ‘सोना उगलेगा। क्षेत्र के किसानों की तकदीर बदल जाएगी। जिले में करीब 55 हजार हेक्टेयर में आलू का रकबा है। किसान रामसेवक ने बताया कि जिले के करीब 80 फीसदी किसान आलू की खेती करते हैं। कन्नौज में सालाना लगभग 19 हजार एमटी आलू उत्पादन होता है। बावजूद इसके आलू उत्पादक किसानों के सामने कई समस्याएं हैं, जिनमें सबसे अहम समस्या जिले में आलू आधारित उद्योग और कोल्ड स्टोरेज में भंडारण दाम की अनिश्चितता के साथ ही समय से खाद की उपलब्धता का न होना है । किसान रामचन्द्र ने बताया कि अगर यहां चिप्स या आलू से बनने वाले उद्योग की कोई यूनिट स्थापित हो जाए तो यहां के किसानों को बहुत राहत मिलेगी। खासकर यहां के किसानों को आलू बेचने के लिए गैर जिलों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी इतना ही नहीं आलू का ठीक दाम भी मिलेगा। बावजूद इसके अब तक इस पर कोई काम नहीं किया गया। सागर कहते हैं कि किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या समय से खाद और बेहतर बीज न मिलना है। खाद के लिए बड़ी मारामारी सहनी पड़ती है। कई दिनों तक लाइन लगाकर इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद भी कई बार समितियों में कर्मचारी अपने चहेतों को खाद दे देते हैं। खाद की किल्लत तो है ही इसके साथ ही किसानों के सामने मवेशियों की समस्या सबसे बड़ी है। मेहनत कर फसल तैयार करने के बाद रात दिन उसकी रखवाली करनी पड़ती है। इसके अलावा किसानों को आलू के भंडारण में भी दिक्कत आती है। आलू के भंडारण की बात करें तो इसके दाम कोल्ड स्टोरेज मालिक ही तय करते हैं। जिला प्रशासन को इस समस्या को दूर करना चाहिए।
शिकायतें
1. आलू उत्पादक जिले में आलू आधारित उद्योगों का न होना किसानों के लिए बड़ी समस्या है। ऐसे में किसान को आलू का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।
2. जिले में आलू भंडारण के लिए करीब 172 कोल्ड स्टोरेज संचालित हैं। इन कोल्ड स्टोरेज में आलू भंडारण के लिए जो शुल्क लिया जाता है वह कोल्ड स्टोरेज स्वामी ही तय करते हैं।
3. आलू किसानों के सामने तैयार फसल को बचाने की चुनौती भी है। जरा सी चूक हुई और अन्ना मवेशी किसानों की तैयार फसल को चट कर जाते हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान होता है।
सुझाव
1. आलू उत्पादक जिला होने के चलते किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले और आलू उत्पादन को बढ़ावा मिले इसके लिए जिले में आलू आधारित उद्योगों को लगाया जाए।
2. आलू किसानों को शोषण से बचाने के लिए आलू भंडारण की ठोस नीति बने ताकि किसानों को कोल्ड स्टोरेज में उपज रखने के एवज में मनमाना शुल्क न देना पड़े।
3. किसानों की बड़ी समस्या अन्ना मवेशी बने हुए हैं। इनपर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। गोशालाओं की व्यवस्थाएं दुरुस्त करनी चाहिए।
बोले आलू किसान
जिले में अन्य फसलों की अपेक्षा आलू का उत्पादन सर्वाधिक होता है। यहां आलू आधारित उद्योग लगने चाहिए।- ओमकार
आलू किसानों के सामने अक्सर खाद की किल्लत बनी रहती है। जिसके चलते समय पर आलू की बुवाई नहीं हो पाती। -लालाराम
जिम्मेदार अधिकारी आलू किसानों का सहयोग नहीं करते हैं। खाद एवं आलू बीज समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता है। -सागर
बिक्री के लिए आलू की फसल को ठठिया मंडी या फिर सीधे कोल्ड स्टोरेज से निकालकर गैर जनपद भेजना पड़ता है।-कन्हैया
आलू किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या खाद की उपलब्धता है। समय पर उपलब्ध न होने से फसल की उपज काफी कम हो जाती है। -राकेश कठेरिया
बोले जिम्मेदार
किसानों को खाद की उपलब्धता उचित मात्रा में कराई जाती है। जो कमी है उसे दूर करेंगे। जहां तक सवाल रेलवे के रैक पाॉइंट का है तो इसको लेकर प्रयास किया जा रहा है। सरकार को पत्र भेजा गया है। उम्मीद है इसकी मंजूरी मिल जाएगी ।
- आवेश कुमार, जिला कृषि अधिकारी
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