हमारी सेवा को इनाम नहीं सुरक्षा की दरकार
Kannauj News - कन्नौज की नर्सें अपनी सेवा में जुटी हैं, लेकिन उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इनमें आवास की कमी, अस्पताल परिसर में गंदगी, खराब सड़कें और सुरक्षा की कमी शामिल हैं। नर्सें 24 घंटे की...
कन्नौज। नर्स, दो अक्षर के इस शब्द में सेवा भाव कूट-कूट के भरा है। खुद बीमार होकर भी ये 24 घंटे आपको दवा देना नहीं भूलती हैं। इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के बाद भी नर्सें कई समस्याओं से गुजर रही हैं। इनमें आवास, आवारा कुत्तों व बंदरों का खतरा, साफ-सफाई न होना, अस्पताल कैंपस की खराब सड़कें और अंधेरा मुख्य समस्या है, पर इससे भी बड़ी परेशानी है असुरक्षा। तीमारदारों का उनसे झगड़ना आम है। ऐसे में जिले की नर्सों का कहना है कि 24 घंटे पुलिस और गार्ड की कैंपस में तैनाती जरूरी है। स्वास्थ्य महकमे में नर्सों की अहम जिम्मेदारी होती है। मरीज की आधी बीमारी एक अच्छे नर्सिंग स्टाफ से ही दूर हो जाती हैं, पर स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ कहे जाने वाले इस नर्सिंग स्टाफ के सामने वर्तमान में खुद की इतनी समस्याएं हैं कि वह इसी में उलझकर रह गया है। अस्पताल कैंपस में आवास न मिल पाना एक बड़ी समस्या है। इसके चलते उन्हें कैंपस से दूर शहर में किराये का कमरा लेकर रहना पड़ता है। इसके अलावा अस्पताल कैंपस में गंदगी, अंधेरा, खराब सड़कें और आवारा कुत्तों व बंदरों के आतंक से भी दो-चार होना पड़ता है। इन सबसे बड़ी भी एक समस्या है, वह है असुरक्षा की। इन नर्सों की समस्याओं पर आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने इनसे बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा। इन्हीं में से एक अल्का ने बताया हमारे काम में सबसे जरूरी है ‘सेवा भाव, पर जब हम खुद ही अपने आपको ‘असुरक्षित महसूस करते हैं तो ये ‘सेवा भाव कहां से आए। जिले में बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही नर्सिंग स्टाफका भी अहम रोल होता है । अस्पताल में सुबह, दोपहर और रात की ड्यूटी पर पूरी तन्मयता से मुस्तैद रहने वाले स्टाफ की तमाम ऐसी पीड़ा हैं जिसको सहन करते हुए नर्सें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं। जिले में नर्सों की बात करें तो अकेले जिला अस्पताल में ही 120 नर्सें तैनात हैं। सीएचसी और पीएचसी में अलग। जिला अस्पताल में तैनात 120 नर्सों में से महज 15 को ही अस्पताल कैंपस में आवास उपलब्ध हो पाया है। बाकी नर्सें किराये पर मकान लेकर रहने को मजबूर हैं।
साधना का कहना है कि सरकारी आवास के लिए कई बार प्रार्थनापत्र दिया पर कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसे में शहर में किराये का कमरा लेकर रहने की मजबूरी है। नर्सिंग स्टाफ की माने तो कुछ ऐसे भी स्वास्थ्यकर्मी हैं जो अनाधिकृत रूप से दूसरी कैटगरी के आवासों पर काबिज हैं। साथ ही कुछ स्थानीय स्टाफ भी सरकारी आवासों में रह रहा है जबकि वह स्थानीय हैं उन्हें आवास की जरूरत नहीं है ।
भारती का कहना है कि जिला अस्पताल परिसर में सुरक्षा को लेकर एक पुलिस चौकी है, पर ये सिर्फ नाम की है। अस्पताल के ही एक कमरे में संचालित इस चौकी में महज एक दरोगा की तैनाती है। और तो और इन दरोगा के पास अस्पताल के अलावा आस-पास के कई गांवों की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी है। ऐसे में अस्पताल में सुरक्षा के कोई खास इंतजाम नजर नहीं आते हैं। कई बार ऐसा मामला आ जाता है कि जब किसी मरीज के तीमारदार स्वास्थ्य कर्मियों से उलझने लगते हैं। अभद्रता करने लगते हैं। ऐसे में अस्पताल के प्राइवेट गार्ड मौके पर पहुंचकर मामला शांत कराने का प्रयास करते हैं पर उनसे तीमारदार दबते नहीं हैं। मौके पर पुलिस के जवान मौजूद हों तो शायद इस तरह के मामले न हों। वहीं जिला अस्पताल के कैंपस में जिन आवासों में स्टाफ नर्स रहती हैं उन आवासों के पास ही डॉक्टर भी रहते हैं। बावजूद इसके कैंपस की सुरक्षा कितनी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते साल कैंपस में चोरों ने डॉक्टर्स के आवास के ताले तोड़कर चोरी की वारदात को अंजाम दिया था। बावजूद इसके कैंपस की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। यहां सुरक्षा को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती है। कुछ स्टाफ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक दो ऐसे मामले भी हुए जिनमें स्टाफ के साथ अभद्रता की गई। स्टाफ कार्रवाई भी चाहता था। बावजूद इसके कुछ रसूखदार लोगों के बीच में पड़ने के बाद स्टाफ को कार्रवाई न करने के लिए कहा गया और फिर मामला खत्म हो गया। कुल मिलाकर अस्पताल परिसर में साफ-सफाई , सड़कों की मरम्मत व सुरक्षा व्यवस्था ठीक होना चाहिए।
अस्पताल कैंपस की सड़कें हो ठीक
शीलम का कहना है कि अस्पताल कैंपस में बनी सड़कें सालों पुरानी हैं। इस वजह से यह सड़कें जर्जर हो रही हैं। इन जर्जर सड़कों की न तो मरम्मत होती है और न ही नई सड़कें बनाई जा रहीं हैं। ऐसे में कई बार रात में ड्यूटी आते जाते समय स्टाफ गिरकर घायल हो जाता है। सबसे खराब स्थिति बारिश के दिनों में होती है। कैंपस में बारिश का पानी भरता है तो जर्जर सड़कों के गड्ढे नजर नहीं आते।
कुत्तों व बंदरों से बना रहता खतरा
शीलम का कहना है कि अस्पताल कैंपस में बनी सड़कें सालों पुरानी हैं। इस वजह से यह सड़कें जर्जर हो रही हैं। इन जर्जर सड़कों की न तो मरम्मत होती है और न ही नई सड़कें बनाई जा रहीं हैं। ऐसे में कई बार रात में ड्यूटी आते जाते समय स्टाफ गिरकर घायल हो जाता है। सबसे खराब स्थिति बारिश के दिनों में होती है। कैंपस में बारिश का पानी भरता है तो जर्जर सड़कों के गड्ढे नजर नहीं आते।
शिकायतें
1. जिला अस्पताल कैंपस में नर्सों को पर्याप्त आवास की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में किराये का कमरा लेकर रहने की मजबूरी है।
2. अस्पताल कैंपस में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते अक्सर अंधेरा पसरा रहता है, इस वजह से कैंपस में चोरी होने का खतरा बना रहता।
3. अस्पताल कैंपस में साफ सफाई को लेकर सिर्फ खानापूर्ति होती है, हर जगह कूड़े के ढेर-गंदगी से कैंपस में रहने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को परेशानी होती है।
4. अस्पताल कैंपस की पुरानी सड़कें जर्जर और क्षतिग्रस्त हैं। कई बार दोपहिया वाहन फिसल जाते हैं। ऐसे में स्वास्थ्यकर्मी जख्म हो जाते हैं।
सुझाव
1. नर्सों की संख्या के अनुसार अस्पताल कैंपस में आवासों का निर्माण करवाया जाए। ताकि स्टाफ को रहने की समस्या न हो और ड्यूटी आसानी से हो।
2. अस्पताल कैंपस की सड़कों के किनारे स्ट्रीट लाइट लगाई जाए। ताकि अंधेरे में चोरी और किसी अन्य बात का खतरा न रहे।
3. अस्पताल प्रांगण में फैली गंदगी को साफ कराया जाए। रोजाना यहां साफ-सफाई करवाने की व्यवस्था की जाए।
4. पुरानी और जर्जर सड़कों को दुरुस्त करवाया जाये। या फिर नई सड़कें बनवाई जाएं ताकि लोगों को आने जाने में असुविधा न हो
बोलीं नर्सें
नर्सों के लिए नए आवास बनाए जाने चाहिए। जो आवास अभी उपलब्ध हैं वह पर्याप्त नहीं हैं। -साधना
अस्पताल परिसर में प्रकाश की व्यवस्था पर काम होना चाहिए। रात में कैंपस में अंधेरा रहता है। -संगीता पटेल
अस्पताल परिसर की पुलिस चौकी में और स्टाफ बढ़ना चाहिए। वारदातों पर सख्ती से रोक लगे। -रजनी पाल
अस्पताल कैंपस में कुछ आवासों के पास सीवर ओवरफ्लो हो रहा है। इसका समाधान होना चाहिए।-सहरीन
अस्पताल में लोग लड़ाई झगड़े पर उतर आते हैं। इसके लिए पुलिसकर्मी तैनात किए जाने चाहिए।-नीलम यादव
बोले जिम्मेदार
जिला अस्पताल डॉ. शक्ति वसु,सीएमएस ने बताया कि नर्सों की संख्या के तुलना में आवास काफी कम बने हैं। वन बीएचके वाले आवास में नर्स रहने को तैयार नहीं हैं। जो आवास बने हैं उनमें नर्सिंग पैरामेडिकल, लिपिक स्टाफ ही रह रहा है। नर्सों को आवास उपलब्ध करवाने के लिए उच्च अधिकारियों से पत्राचार किया जा रहा है। जल्द ही समस्या का समाधान निकल आएगा। अस्पताल कैंपस में रोशनी की व्यवस्था दुरुस्त कराई जा रही है। जल्द ही रोशनी की व्यवस्था हो जाएगी। जहां तक बात सुरक्षा की है तो जिला अस्पताल में गार्ड तैनात हैं। पुलिस चौकी भी है।
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