शहर में प्रतिभाएं तमाम.. स्टेडियम और कोच मिलें तो मार लें मैदान
Kannauj News - कन्नौज में महिला खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन संसाधनों की कमी और प्रशासन की उदासीनता के कारण वे अपनी प्रतिभा को नहीं निखार पा रही हैं। खेल स्टेडियम 50 किलोमीटर दूर है और यहां सुरक्षा तथा कोचिंग...
कन्नौज । कन्नौज में महिला खेल प्रतिभाएं भरी पड़ी हैं पर उनके पास संसाधन नहीं हैं। यहां के जिमनास्टिक, क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन के खिलाड़ी अपने दम पर तैयारी कर आगे बढ़ रहे हैं। शिकायतों के बावजूद प्रशासन खेल के प्रति उदासीन है। खेल स्टेडियम शहर से 50 किलोमीटर दूर है। वहीं शहर के अन्य मैदानों से हरियाली गायब है। मैदान भी ऊबड़-खाबड़ हैं और यहां हमेशा धूल उड़ती रहती है। स्टेडियम और कोच की कमी से महिला खिलाड़ी निराश हैं। आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे निकल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। खास कर खेल के क्षेत्र में बीते कुछ सालों में कई महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर नाम और शोहरत कमाई है। यही वजह है कि अब कन्नौज में भी बेटियां अपने सपनों को लेकर खेल के मैदान में पसीना बहा रही हैं। बावजूद इसके इन उदीयमान महिला खिलाड़ियों के सपने को सुविधाओं और संसाधनों के अभाव में पंख नहीं लग पा रहे हैं। न ही शहर में स्टेडियम है और न ही कोच। कन्नौज के उदीयमान महिला खिलाड़ियों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से समस्याओं और सुझावों पर अपनी बात रखी। महिला खिलाड़ी शिवानी ने कहा कि शहर में कई प्रतिभावान महिला खिलाड़ी हैं। बस कमी है तो उनको निखराने की। हमें शहर में ही अच्छा स्टेडियम, कोच और खेल के अन्य संसाधन मिलें तो हम भी शहर, देश का नाम रोशन कर सकते हैं।
जिला मुख्यालय व ग्रामीण क्षेत्रों में खेल मैदान नहीं होने से खेल प्रतिभाएं दबकर रह गई हैं। खेल मैदान के अभाव में खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में यहां की महिला खिलाड़ियों से बेहतर करने की उम्मीद करना बेमानी है। खिलाड़ी अनुष्का ने कहा कि खेल मैदान के आसपास नशेड़ी घूमते रहते हैं, जिनसे हमेशा असुरक्षा का डर बना रहता है। अन्य खिलाड़ियों ने कहा कि सुरक्षा का कोई इंतजाम है न ही पानी की व्यवस्था। यहां पर शौचालय भी नहीं है। सुबह से लेकर देर शाम तक यहां युवा अपने-अपने हिसाब से खेलते हैं और हुड़दंग करते हैं।
महिला खिलाड़ी सुमेधा ने कहा खेल संसाधनों की कमी है। शहर में प्रस्तावित स्पोर्ट्स स्टेडियम जमीन मिलने के बाद भी बजट न मिलने से बन नहीं पा रहा है। इतना ही नहीं यहां कोई ऐसा बड़ा पार्क भी नहीं है। जहां बेफिक्र होकर बेटियां अभ्यास कर सके। और तो और अलग -अलग खेलों का अभ्यास कराने और उन्हें इनकी बारीकियां सिखाने के लिए कोई प्रशिक्षक तक नहीं है। ऐसे में पथरीले मैदानों पर बेटियों के सपने बिना किसी संसाधन के ही दम तोड़ देते हैं। शहर की बात करें तो यहां करीब 1000 ऐसी उदीयमान खिलाड़ी हैं जो किसी न किसी खेल में अपना कॅरियर बनाने का सपना बुन रही हैं। बावजूद इसके संसाधनों की कमी इन सपनों को पंख नहीं लगने देती है। हालांकि बाउंड्री फांद कर बच्चे मैदान में घुसते हैं और खेल का अभ्यास करते हैं। ज्योती ने बताया कि खेल मैदान नहीं है और न ही कोच। संसाधनों के अभाव में खिलाड़ियों का खेलों के प्रति रुझान कम हो रहा है। जिमनास्टिक की तैयारी कर रहीं महिला खिलाड़ियों ने बताया कि हमारे यहां तो खेल का मैदान ही नहीं इससे मजबूरी में सड़क पर ही दौड़ लगाते हैं। जिले में सिर्फ एक स्टेडियम : खिलाड़ी चांदनी सिंह ने कहा कि जिले में सिर्फ एक स्टेडियम है। वो भी मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर सौरिख में है। यहां पर पहुंचना किसी जंग के बराबर है। खिलाड़ी हर्षिता ने कहा कि बेहतरीन खिलाड़ियों की कमी नहीं है पर मौका नहीं मिल पाता है। क्रिकेट को छोड़कर कोई बड़ा आयोजन नहीं होता। गांव और कस्बा स्तर पर भी फुटबॉल और अन्य खेलों का आयोजन कराया जाना चाहिए।
शिकायतें
1. जिला मुख्यालय पर कोई ऐसा बड़ा पार्क या मैदान नहीं है जहां अभ्यास करने की सुविधा हो।
2. स्पोर्ट्स स्टेडियम जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर सौरिख में है। वहीं शहर में प्रस्तावित स्पोर्ट्स स्टेडियम बजट के अभाव में सालों से बनने का इंतज़ार कर रहा है।
3. खेल का अभ्यास कराने वाले प्रशिक्षक और संसाधनों का अभाव होने से खिलाड़ी अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पा रहीं।
4. उदीयमान बेटियां असुरक्षा के डर से अभ्यास करने से परहेज करती हैं।
सुझाव
1. शहर में कोई ऐसा स्थान विकसित किया जाए जहां बेटियां अपने सपनों को साकार कर सकें।
2. जिला मुख्यालय पर प्रस्तावित स्पोर्ट्स स्टेडियम के लिए बजट को लेकर नेता और अफसर प्रयास करें।
3. जब तक स्टेडियम नहीं बनता तब तक सौरिख स्पोर्ट्स स्टेडियम से कुछ खेल संसाधन शहर के खिलाड़ियों को मुहैया कराए जाएं।
4. कलेक्ट्रेट के सामने वाले पार्क में सप्ताह में एक बार पालिका के टैंकर से पानी का छिड़काव और साफ-सफाई कराई जाए।
बोलीं- महिला खिलाड़ी
स्पोर्ट्स स्टेडियम से क्रीड़ा अधिकारी कुछ खेल संसाधन हम लोगों को मुहैया करा दें तो कुछ राहत मिले।-अनुष्का
डीएम अंकल ने हमें इस मैदान पर खेलने की अनुमति दी है। इसलिए उनका शुक्रिया पर मैदान की साफ सफाई नहीं होती है। -सिद्धी
हमारे खेलने के लिए मंत्री असीम अरुण अंकल अपने पास से फुटबॉल और फर्स्ट एड आदि मुहैया करा देते हैं । -हर्षिता
कोई भी ऐसा खेल मैदान नहीं जो संसाधनों और सुविधाओं से सुसज्जित हो। ऊबड़-खाबड़ मैदान में अभ्यास करते हैं। -शिवानी
शहर में कोई ऐसा खेल मैदान नहीं है जहां सारे खेल सीख सकें। आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं पर बढ़ नहीं पाते । -समृद्धि
बोले जिम्मेदार
जिला क्रीड़ा अधिकारी नूर हसन ने बताया कि जिला मुख्यालय पर प्रस्तावित स्टेडियम बजट के अभाव में नहीं बन पा रहा है। शासन से बजट मिलते ही स्टेडियम का निर्माण शुरू हो जाएगा। जहां तक बात शहर में लड़कियों के प्रशिक्षण की है तो एथलेटिक्स का जिले में कोई कोच नहीं है। फुटबॉल की खिलाड़ियों को समय निकालकर मैं स्वयं खेल की बारीकियां सिखाने का प्रयास करूंगा। अन्य समस्याओं को भी दूर करने का प्रयास करेंगे।
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