बोले कन्नौज: जाम में फंसी ‘कपड़ेकी नैया कोई तो बने हमारा खेवैया
Kannauj News - कन्नौज का रेडीमेड कपड़ा कारोबार जाम, अतिक्रमण और ऑनलाइन खरीदारी के कारण प्रभावित हो रहा है। बाजार में पार्किंग और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। व्यापारी अपनी समस्याओं को लेकर चिंतित हैं और...
कन्नौज। कभी ग्राहकों से गुलजार रहने वाला कन्नौज का रेडीमेड कपड़ा कारोबार बेरंग होता जा रहा है। अतिक्रमण से सड़कें संकरी हो गई हैं। पार्किंग न होने से लोग वाहन बेतरतीब ढंग से खड़े कर देते हैं जिससे जाम लगता है। ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते ट्रेंड के बीच जीएसटी ने भी बाजार को प्रभावित किया है। फिर भी रेडीमेड कपड़ा कारोबारी बाजार में डटे हुए हैं। उनका कहना है कि वर्षों से यहां व्यापार कर रहे हैं पर सुविधाएं शून्य हैं। पार्किंग, सुलभ शौचालय और सुरक्षा का इंतजाम हो जाए तो रेडीमेड कारोबार में जान आ जाएगी। शहर के बाजार में 250 से अधिक रेडीमेड कपड़ों की दुकानें हैं। दुकानदार लाखों रुपये टैक्स देते हैं। फिर भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पार्किंग है न शौचालय। अतिक्रमण अलग से हावी है। ये समस्याएं सालों से परेशान कर रही हैं, पर समाधान नहीं किया गया। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में रेडीमेड कारोबारियों ने अपनी दुश्वारियां सामने रखीं। कारोबारी भगत सिंह ने बताया कि जाम में फंसी ‘कपड़ेकी नैया, कोई तो बन जाए हमारा खेवैया। शहर की तालबारान रोड पर सजी रेडीमेड की दर्जनों दुकानें कभी सुबह से देर रात तक ग्राहकों से गुलजार रहती थीं। बदलते दौर में ऑनलाइन शॉपिंग एवं शहर में खुले बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल के कारण रेडीमेड बाजार की रौनक दिनों दिन कम होती जा रही है। कारोबारी समीर राठौर ने बताया कि शहर की तंग गलियों में बसा यह बाजार दिनों दिन अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहा है। वाहन पार्किंग के अभाव एवं बेतरतीब ढंग से लगी रेहड़ी दुकानों से बाजार तक जाने वाले मुख्य मार्गों एवं चौराहों पर हर रोज जाम लगता है। यही वजह है कि लाखों रुपये के कपड़ों से भरी रेडीमेड दुकानों पर पूरे दिन में कुछ ग्राहक ही खरीदारी करने आते हैं।
कारोबारी सोनू ने बताया कि जाम से बचने के लिए लोग रेडीमेड बाजार जाने की बजाय शहर के मुख्य मार्ग के आसपास ही खरीदारी करने लगे हैं। होली और दीवाली के त्योहार एवं बड़ी सहालग पर ही रेडीमेड बाजार में थोड़ी बहुत बिक्री हो जाती है जिसके सहारे यहां के व्यापारी अपनी जीविका चला रहे हैं। रेडीमेड कारोबारियों ने बताया कि रोज की दुकानदारी देखी जाए तो दुकान का किराया बिजली का बिल एवं नौकर की तनख्वाह देना भी मुश्किल पड़ता है। ऐसे में बरसों पुराना कन्नौज का रेडीमेड बाजार अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। बाजार में सुविधाओं की बात की जाए तो यह बाजार मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है। यहां कोई शौचालय नहीं है पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अलावा आने-जाने वाले ग्राहकों के लिए पार्किंग का भी कोई इंतजाम नहीं है। यही वजह है की रेडीमेड कारोबार में लगे लोग बाजार से निकलकर दूसरा व्यवसाय तलाश रहे हैं। कई व्यापारियों ने शहर के बाहर कारोबार शुरू भी कर दिया है। स्थानीय लोगों का महानगर कानपुर से कनेक्शन भी कहीं न कहीं रेडीमेड व्यापार को प्रभावित करता है। यहां के अधिकांश लोग आए दिन कानपुर जाते रहते हैं और जरूरत की खरीदारी भी वहां से ही करते हैं जिसके चलते कन्नौज की बाजार विकसित होने की बजाय सीमित होती जा रही है। कारोबारी कलीम के मुताबिक महंगाई के दौर में दुकान में सामान भरने के लिए लाखों रुपये लगते हैं। बाजार की दिक्कतों के बीच दिनों दिन घट रही बिक्री से व्यापारी का लाखों रुपये दुकान में जाम हो जाता है। दुकान में नियमित बिक्री होने पर व्यापारी रेडीमेड कपड़ों की खरीद फरोख्त करता रहता है । जिसके चलते ठीक-ठाक मुनाफा भी हो जाता है लेकिन ग्राहक का आवागमन कम होने से बिक्री प्रभावित होती है और कारोबार भी मंदा रहता है। एक तो ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता प्रचलन दूसरे बाजार में अतिक्रमण रेडीमेड व्यापारियों की बड़ी समस्या बनी हुई है। वहीं व्यापारी सलमान ने बताया कि दुकानदारों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम होने चाहिए,संकरी गली में आगजनी से बचाव के लिए इंतजाम किए जाएं।
विकसित नहीं है कन्नौज का बाजार: बाजार में एक दो दुकानों को छोड़कर लगभग 90 फीसदी दुकानें पुरानी हैं। बात की जाए रेडीमेड व्यापारियों की तो यहां के अधिकांश व्यापारी परंपरागत तरीके से व्यापार कर रहे हैं। जबकि आधुनिकता के दौर में अच्छी दुकानों पर बिकने वाले कपड़ों की डिजाइनों एवं रंगों में समय के अनुसार बदलाव होता रहता है।
संकरी गलियों एवं अतिक्रमण के चलते रोजमर्रा के अलावा बड़े ग्राहक बाजार आने से कतराते हैं और वह विवाह आदि की खरीदारी के लिए कन्नौज के बजाय बाहर जिलों में रवाना हो जाते हैं। यही वजह है कि बरसों से कन्नौज का रेडीमेड बाजार विकसित नहीं हो सका है।
दरअसल कॉमर्शियल कनेक्शन लेने के चक्कर में व्यापारी लगातार पिस रहे हैं। ऐसे में उनका मानना है कि छोटे दुकानदार जिनका टर्नओवर अधिक नहीं है उन्हें सामान्य मीटर कनेक्शन की सुविधा दी जाए अथवा उन्हें किसी प्रकार की सब्सिडी देकर कुछ राहत प्रदान की जा सकती है।
शिकायतें
1. पार्किंग न होने से बाजार में बेतरतीब तरीके से वाहन खड़े हो जाते हैं।
2. बड़े शहरों से माल लाने पर रास्ते में पुलिस बेवजह ही परेशान करती है।
3. रेडीमेड बाजार में पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था नहीं है लिहाजा दुकानदारों एवं ग्राहकों को अक्सर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
4. बाजार में अराजक तत्व घूमते रहते हैं और मौका पाकर टप्पेबाजी एवं जेबकतरी जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं ।
सुझाव
1. शहर में पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था की जाए, जिससे वाहनों से लगने वाले जाम को रोका जा सके।
2. ऑनलाइन कपड़ों की खरीदारी पर 10 फीसदी जीएसटी लगे।
3. जीएसटी की अनियमितता को समाप्त किया जाए और ऑनलाइन व्यापार की भी निगरानी विभाग द्वारा की जाए ।
4. बाजार में घूमने वाले अन्ना पशुओं व बंदरों को पकड़वाकर शहर से बाहर करें।
5. बाजार में स्ट्रीट लाइट नियमित रूप से चेक करनी चाहिए। खराब होने पर उसे ठीक करना चाहिए।
बोले व्यापारी
सलमान ने बताया कि ऑनलाइन कारोबार ने रिटेल की कमर तोड़ दी है, इस समस्या का जल्द निस्तारण किया जाए।
समीर राठौर ने बताया कि बाजार में दुकानदारों और ग्राहकों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए।
सोनू ने बताया कि बाजार में कोई भी पेयजल की व्यवस्था नहीं है। यहां के ग्राहकों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है।
तौफीक ने बताया कि पार्किंग न होने से लोगों को सबसे अधिक दिक्कत हो रही हैं। इसके लिए तत्काल व्यवस्था की जाए।
-
बोले ªजिम्मेदार
अधिशासी अधिकारी श्यामेंद्र मोहन ने बताया कि शहर का बाजार काफी पुराना है इसकी वजह से यह काफी घना बसा है। यहां आसपास कोई जगह नहीं है जहां पार्किंग की व्यवस्था की जा सके। हालांकि पाटानला के निकट सार्वजनिक शौचालय बनाया जा रहा है। खराब लाइट व पेयजल व्यवस्था को पता करके ठीक कराएंगे। और जो समस्याएं है उसको लेकर कारोबारियों से बात की जाएगी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।