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लाक्षागृह जैसी कोचिंगें और रास्ता केवल एक

Kannauj News - कन्नौज में 300 से अधिक कोचिंग सेंटर चल रहे हैं, लेकिन प्रशासन के आंकड़ों में केवल 42 हैं। इनकोचिंग सेंटरों में बुनियादी सुविधाएं और सुरक्षा का अभाव है, जिससे छात्रों की जिंदगी खतरे में है। छात्रों ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, कन्नौजWed, 19 Feb 2025 06:56 PM
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लाक्षागृह जैसी कोचिंगें और रास्ता केवल एक

कन्नौज। जिले में पॉश इलाकों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के गली-मोहल्लों में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 300 से अधिक कोचिंग सेंटरों का संचालन हो रहा है, पर प्रशासन के आंकड़ों में सिर्फ 42 ही दर्ज हैं। इनमें शायद ही कोई कोचिंग सेंटर हो जो सभी मानकों पर खरा है। शायद ही किसी कोचिंग में अग्निशमन की पूरी व्यवस्था हो। ऐसे में यह भवन लाक्षागृह जैसे हैं,जिनमें आग लगने पर भागने का रास्ता भी केवल एक ही है। न्नौज में कई कोचिंग सेंटर बच्चों के सुनहरे भविष्य का सपना दिखा रहे हैं पर हकीकत इससे उलट है। न तो इन कोचिंग सेंटर में अच्छे शिक्षक हैं और न ही यहां पढ़ने के लिए पर्याप्त स्टडी मटेरियल । बुनियादी सुविधाएं भी यहां मयस्सर नहीं है। पेयजल, सुरक्षा, पार्किंग, शौचालय, सुव्यवस्थित भवन के अलावा सबसे महत्वपूर्ण अग्निशमन यंत्र। वह भी आपको यहां देखने को नहीं मिलेगा। इसके बाद भी कोचिंग सेंटर मनमानी फीस वसूल रहे हैं। ऐसे में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को अपने भविष्य के लिए घर छोड़ना पड़ रहा है और जो बाहर नहीं जा सकते वे इन कोचिंग सेंटर को मुंह मांगी फीस देने को मजबूर हैं। यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की समस्याओं पर आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने इनसे बात की तो इनका दर्द छलक पड़ा। इन्हीं में से एक छात्रा पल्लवी ने कहा जिले में अच्छी कोचिंग होनी चाहिए । इसके साथ ही प्रशासन को इन कोचिंग सेंटर की मनमानी फीस पर रोक लगानी चाहिए। जब इन कोचिंग सेंटरों की दशा सुधरेगी तभी हमारे भविष्य को दिशा मिलेगी। शहर में सराएमीरा, मकरंदनगर सहित कई इलाकों में कोचिंग संचालित हैं। इन कोचिंग में शहर ही नहीं गांव और कस्बों के सैकड़ों बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं के तैयारी कर अपना भविष्य संवारने की आस में लगे हैं। जिले की बात करें तो करीब 300 कोचिंग सेंटर हैं, जबकि शहर में 25 । इन कोचिंग सेंटरों में लगभग दस हजार बच्चे आते हैं। इन कोचिंग में फीस तो भारी भरकम जमा कराई जाती है। बावजूद इसके सुरक्षा के नाम पर बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कोचिंग में सुरक्षा के लिए कम से कम दो दरवाजे होने चाहिए, जबकि इनमें महज एक ही दरवाजा होता है। अधिकतर कोचिंग सेंटर संकरी गलियों में हैं। आपात स्थिति में इन कोचिंग से निकलना दूभर हो जाएगा। वहीं इस समस्या पर जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।

छात्रा एकता सिंह ने कहा, कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा के साथ आग के बचाव की व्यवस्था होनी चाहिए। कुछ जगहों पर सीसीटीवी कैमरे केवल देखने के लिए लगे हैं अगर कोई वारदात हो जाए तो इन कैमरों से रिकॉर्ड तक नहीं निकल पाता। सुरक्षा के साथ-साथ इनमें मूलभूत सुविधाओं की कमी है। कहीं शौचालय की व्यवस्था नहीं है तो कहीं वाहन खड़ा करने के लिए पार्किंग ही नहीं है। बाहर सड़कों पर ही बच्चे अपनी साइकिलें और बाइक खड़ी करते हैं। अनधिकृत कोचिंग सेंटरों पर नकेल कसने के लिए जिला प्रशासन के पास कोई ठोस योजना नहीं दिखती है । हालांकि सरकार की ओर से नि:शुल्क कोचिंग उपलब्ध कराई जा रही है पर ये नाकाफी साबित हो रही है। हमारी समस्याओं को दूर किया जाना चाहिए।

कोचिंग में छात्रों की संख्या तय हो

अंशिका शर्मा ने बताया कि जिले में कई कोचिंग सेंटरों का संचालन हो रहा है। इन कोचिंग में मूलभूत जरूरतों की कमी तो है ही साथ ही अव्यवस्थाओं के चलते खासी परेशानी आती है। कोचिंग में बढ़ती भीड़ को लेकर अब सेल्फ स्टडी बेहतर विकल्प है। कोचिंग में छात्रों की संख्या निर्धारित होनी चाहिए।

अच्छी कोचिंग न होने से जा रहे बाहर

नितिन ने बताया कि16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ट्यूशन और कोचिंग सेंटर में शिक्षा ग्रहण न करने के शासन के इस नए फरमान से छात्र -छात्राओं में नाराजगी है। यह नियम खत्म होना चाहिए। जिले में अच्छी कोचिंग होनी चाहिए, जिससे जिले के छात्रों को अच्छी पढ़ाई के लिए बाहर न जाना पड़े। वे अपने घर में ही रहकर परीक्षाओं की तैयारी कर सकें।

कोचिंग की फीस व छात्र संख्या तय हो

शुभम ने बताया कि जिले के कोचिंग सेंटर में अच्छे शिक्षक नहीं हैं। इसके साथ ही पेयजल, सुरक्षा, पार्किंग, शौचालय और अग्निशमन यंत्र तक की व्यवस्था नहीं होती है। इसके बाद भी कोचिंग सेंटर मनमानी फीस वसूलते हैं। प्रशासन को चाहिए कि वे कोचिंग की एक फीस तय करें और यहां छात्रों की संख्या भी तय होनी चाहिए।

बोले छात्र-छात्राएं

कोचिंग के बाहर हुड़दंगी खड़े रहते हैं। पुलिस को कोचिंग के समय गश्त करनी चाहिए। जिससे वह डरें।-सारिका

16 साल से कम उम्र के बच्चों के कोचिंग न जाने का फरमान किसी तरह से भी सही नहीं, इसे बदलें।-नितिन सिंह

कोचिंग सेंटर में सीसीटीवी के साथ आग से निपटने के सभी इंतजाम दुरुस्त होने चाहिए। -एकता सिंह

कोचिंग में सुरक्षा के साथ छात्र और छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। -पल्लवी यादव

कोचिंग सेंटरों में पढ़ाई का अच्छा माहौल मिले इसके लिए जरूरी है अच्छे टीचर। संख्या भी तय हो।-अंशिका शर्मा

बोले जिम्मेदार

जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. पूरन सिंह ने बताया कि जिले में 42 कोचिंग सेंटर विभाग के आंकड़ों में हैं। जिनमें10 रजिस्टर्ड हैं बाकी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। बिना मानकों के कोचिंग सेंटर संचालन अवैध है। ऐसे कोचिंग सेंटरों पर नकेल कसी जाएगी।

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