सती सुलोचना का विलाप देख भर आई आंखें
तालग्राम में श्री रामलीला कमेटी द्वारा 15 दिवसीय रामलीला का आयोजन किया गया है। बुधवार को कुंभकरण-मेघनाथ और सती सुलोचना की लीला का मंचन हुआ। दर्शकों ने भाव-विभोर होकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।...
तालग्राम, संवाददाता। रामलीला मैदान पर श्री रामलीला कमेटी के तत्वावधान में 15 दिवसीय रामलीला रंगमंच का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को कुंभकरण-मेघनाथ और सती सुलोचना लीला का मंचन किया गया। रामलीला मंचन के दौरान बड़ी तादाद में धर्मगुरु और दर्शक मौजूद रहे। कलाकारों के रामलीला मंचन के दौरान दर्शकों ने भाव-विभोर होकर तालियां बजाकर उत्साहवर्धन किया। कलाकारों ने कुंभकरण-मेघनाथ और सती सुलोचना का मार्मिक ढंग से मंचन किया। जैसे ही रावण को लक्ष्मण की मूर्छा टूटने का समाचार मिला तो वह बहुत क्रोधित हो उठा। उसने राम लक्ष्मण और उनकी सेना का वध करने के लिए भाई कुंभकरण को युद्ध में भेजने का निर्णय लिया। छह महीने से गहरी नींद में सोए कुम्भकर्ण को युद्ध में भेजा गया। इस दौरान रावण और कुंभकरण में मार्मिक संवाद होता है। कुल की शान रखने के लिए कुंभकरण युद्ध करने के लिए जाता है। युद्ध में कुंभकरण भगवान राम से वीरगति को प्राप्त होता है। इसके बाद रावण पुनः मेघनाथ को युद्ध के लिए भेजते हैं। युद्ध से पहले मेघनाथ अपनी कुलदेवी की पूजा करने जाता है। मेघनाथ और लक्ष्मण में भयंकर युद्ध होता है। युद्ध में मेघनाथ मारा जाता है। मेघनाथ की मारने की सूचना पर सुलोचना श्री राम के पास अपने पति का शीश मांगने जाती है। प्रभु श्री राम सुलोचना को सासम्मान मेघनाथ का शीश वापस कर देते हैं। श्री रामलीला समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार, संरक्षक अशोक राठौर, विनोद राजपूत, जैस सिन्हा, ध्रुव गुप्ता, शैलेंद्र कुमार, राजीव शर्मा, पवन दुबे राजेश सैनी, जय सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।
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