बैंक शाखाओं में लगी भीड़ गांव में पड़ सकती है भारी
बैंक शाखाओं में लगी भीड़ गांव में पड़ सकती है भारी-प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि निकालने के लिए हर रोज सैकड़ों किसान पहुंच रहे-नहीं है कोरोना महामारी...
कन्नौज। संवाददाता
इन दिनों बैंक शाखाओं में लगी भारी भीड़ गांव के लिए भारी पड़ सकती है। वैसे भी ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण पैर पसार रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि व अन्य योजनाओं का रुपया निकालने के लिए हर रोज एक-एक शाखा में सैकड़ों किसान पहुंच रहे हैं। इसके अलावा अन्य लोग भी लेन-देन के लिए जाते हैं।
कुछ दिनों पहले ही भारत सरकार ने किसानों के बैंक खातों में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत दो-दो हजार रुपए भेजे थे। इत्रनगरी में भी इसका लाभ मिला है। करीब दो सालों से यह योजना चल रही है। किसानों की भीड़ आर्यावर्त बैंक शाखाओं के बाहर अधिक लगती है। इसके साथ ही भारतीय स्टेट बैंक में भी ग्राहक व खाताधारक खासी तादाद में पहुंचते हैं। इनकी शाखाओं में खाते अधिक खुले हैं। गांव के रहने वाले लोग आर्यावर्त बैंक में ज्यादा पहुंचते हैं, इसका कारण, गांव व कस्बों में यह शाखाएं सुलभ हैं।
शहर के तिर्वा क्रॉसिंग सरायमीरा स्थित आर्यावर्त बैंक की मुख्य शाखा में आसपास के कई गांव के लोगों के सैकड़ों खाते खुले हैं। साथ ही काफी शहरी भी खाताधारक हैं। यहां लेनदेन के लिए पहले से ही भीड़ जुटती रही है, इन दिनों अपनी बारी का इंतजार करते हुए बहुत से लोग खड़े और बैठे मिल जाएंगे। कुछ किसानों ने बताया कि वह वृद्धावस्था, निराश्रित पेंशन और सम्मान निधि का रुपया निकालने आए हैं।
आर्यावर्त बैंक तिर्वागंज में तो भीड़ का कोई ठिकाना नहीं है। नगर पंचायत क्षेत्र की यह काफी पुरानी शाखा है। यहां हजारों की संख्या में लोगों के खाते खुले हैं। शाखा में तो अंदर से ताला लगता है, फिजिकल डिस्टेंसिंग की वजह से थोड़े-थोड़े लोगों को अंदर बुलाया जाता है। इस दौरान धक्का-मुक्की होना आम बात है। तस्वीर देखकर लगता है कि किसी को कोरोना का खौफ नहीं है, केवल रुपयों से मोह है।
क्या कहते हैं एलडीएम
एलडीएम अभिषेक सिन्हा बताते हैं कि पहले तो इतनी भीड़ बैंक शाखाओं में नहीं दिखती थी, लेकिन लॉकडाउन में ज्यादा लग रही है। रुपए निकालने वाले लोगों की संख्या अधिक है। इसमें कई योजनाओं के तहत आने वाली किस्त वाले लोग शाखाओं में पहुंच रहे हैं।
खर्चे के लिए तो कुछ ऐसे ही निकालने पहुंच रहे
बैंक शाखाओं से रुपए निकालने के लिए ज्यादातर लोग खर्चा चलाने के लिए पहुंच रहे हैं। लॉकडाउन में कमाई का जरिया ठप है। दूसरी ओर सरकारी योजनाओं का रुपया कहीं वापस न जाए, इस वजह से भी पहुंचते हैं। हालांकि अधिकारियों का तर्क है कि पात्रों के खातों से ऐसा नहीं होता है।
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