बोले कन्नौज:केमिकल वाले रंगों से रहें दूर..खुशियां मनाएं भरपूर
Kannauj News - कन्नौज में होली का बाजार सज चुका है, लेकिन मिलावटी और सिंथेटिक रंगों से सावधान रहना जरूरी है। इन रंगों में खतरनाक केमिकल होते हैं जो त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है...
कन्नौज। रंगों का पर्व होली नजदीक है। होली के रंगों का बाजार सज गया है। दुकानों पर अबीर-गुलाल और रंगों की कई वैरायटी उपलब्ध हैं जो लोगों की होली को रंगीन बनाएंगीं। लेकिन सिंथेटिक और मिलावटी रंगों के खतरे से सावधान रहने की जरूरत है। बाजार में मिलावट वाले रंग भी तेजी से बिक रहे हैं। इनसे त्वचा, आंख व बालों तक को नुकसान हो सकता है। जरूरी है कि रंग पर्व पर खुद ही सावधानी बरती जाए। वरना धड़ल्ले से बिक रहे ये मिलावट वाले रंग बड़ी मुसीबत खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। होली का बाजार सज चुका है। मस्ती, जोश, जश्न में कोई कसर नहीं रह जाए, इसके लिए हर कोई तैयारियों में जुटा है। बाजार में तरह-तरह की क्वालिटी वाले रंगों की कीमत भी अलग-अलग है। त्योहारी जश्न मानने को आतुर लोग भी यह भूल रहे हैं कि रंगों में मिलावट व्यापक स्तर पर हो रही है। जानकारों के अनुसार, होली पर रंगों को चटख बनाने के लिए खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है, जो बाजार में खुलेआम बिक रहे हैं। होली की तैयारियों को लेकर आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने होली बाजार का हाल जाना। व्यापारियों से बात की तो त्योहार पर बेहतर कारोबार की उम्मीद देखनेको मिली।
शहर हो या कस्बे या फिर गांव हर जगह होली का उल्लास दिखाई दे रहा है। होली को लेकर का बाजार भी सज चुका है। कन्नौज की संकरी गलियों से लेकर शहर की सड़कों तक कन्नौजी अंदाज में होली का धमाल अलग ही छटा बिखेरता है। होली के पर्व पर रंगों की भी जमकर मांग हो रही है इस सब सके बीच कुछ केमिकल युक्त मिलावटी रंग भी बाजार में सेंध लगा चुके हैं। जश्न मनाने की उत्सुकता के बीच लोग असावधानी भी बरत रहे हैं। रंगों में मिलावट कर शहर से लेकर कस्बों तक दुकानें सजा दी गई हैं। जानकारों की मानें तो होली पर रंगों को चटख और आकर्षक बनाने के लिए मिलावट खोर खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूक रहे हैं। बाजार में खुलेआम बिक रहे मिलावटी रंगों को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि खतरनाक केमिकल से त्वचा, आंख, लिवर, किडनी और फेफड़ों को बड़ा नुकसान हो सकता है। इतना ही नहीं इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। ऐसे में मिलावटी रंगों से सतर्क रहने की जरूरत है ताकि कहीं ये रंग पर्व की खुशियों को बदरंग न कर दें। डॉक्टर बताते हैं कि हर रंग अलग अलग तरीके से शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। यहां तक कि इन रंगों कुछ ऐसे केमिकल भी होते हैं जो कैंसर जैसी घातक बीमारी तक का खतरा पैदा कर सकते हैं। मिलावटी रंगों में कापर सल्फेट, पेट एवं एसिड समेत तमाम खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल होने से त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे एलर्जी, खुजली, लालपन, जलन, दाने व छाले आदि हो सकते हैं। सोहल कुमार का कहना है कि इस बार केमिकल वाले रंगों को बिल्कुल नहीं खरीदना है। हर्बल रंग खरीदा है, लेकिन यह कितना शुद्ध और खरा है, इसे लेकर कोई अंदाजा नहीं है। रंगों से आंखों को भी खतरा रहता है। डॉ. केवी गौतम कहते हैं कि हरे, काले, नारंगी रंग में पारा, क्रोमियम, आयोडाइड एवं बारीक कांच मिलाया जाता है। यह रंग काफी गहरे होते है पर इनसे खतरा भी बड़ा होता है। इनमें आक्यूलर टाक्सिसिटी मिलाया जाता है यह आखों में गए तो रेटिना को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आप्टिक नर्व को भी खतरा रहता है। जिला अस्पताल में सीएमएस डॉ. शक्ति बसु कहते हैं कि मिलावटी रंग अस्थमा, ब्रोकाइंटिस और क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी बीमारियों से ग्रसित मरीजों को जोखिम बढ़ा सकते सकते हैं। रंगों के दुकानदार कुलदीप बताते हैं कानपुर और दिल्ली की बाजारों से आने वाला अधिकांश रंग खुली बोरियों में आता है और थोक भाव में बिना किसी कागज के ही बेचा जा रहा है। लोग वैसे भी पहले की तरह होली में रंग नहीं खेलते ऐसे में मिलावट की बातें कारोबार को और घाटे में ले जा रही हैं।। रंग खरीद रही क्षमा कहती हैं कि बाजार से हर्बल रंग का पैकेट खरीदा है, लेकिन यह शुद्ध है, इसे लेकर असमंजस है।
मिलावटी रंगों ने छीना सुकून, ग्राहक भी दूर
कारेाबारी कहते हैं कि रंगों में मिलावट व खतरनाक केमिकल होने की खबरों ने कारोबार को चौपट कर दिया है। लोग वैसे भी अब पहले की तरह होली नहीं खेलते हैं, ऐसे में मिलावट की तमाम बातें तेजी से ग्राहकों को दूर कर रही हैं।
रंग नहीं गुलाल पर टिका कारोबार
अब होली खेलने का जोश पहले जैसा नहीं है। लोग हरे-पीले समेत तमाम रंगों से परहेज करते हैं। इसकी जगह अब पूरा कारोबार पिछले चार-पांच साल से गुलाल की बिक्री पर टिका है। युवाओं की टोली भी रंग की जगह गुलाल की खरीद पर ज्यादा जोर देने लगी है।
फूलों से रंग तैयार रंग बाजार में लुभा रहे:कन्नौज चूंकि इत्र व्यवसाय का गढ़ है ऐसे में यहां फूलों की खेती भी बड़ी तादात में की जाती है। अमूमन तो यहां फूल इत्र कारोबार के लिए ही होता है। बावजूद इसके होली पर कई फॉर्मर प्रोडयूसर कंपनियां फूलों से रंग तैयार कर रहे हैं।
ऑनलाइन कारोबार से टूटा पुरखों का धंधा
रंगों का कारोबार शहर की कभी पहचान रहा है। आसपास के लगभग एक दर्जन जिलों के व्यापारी महानगरों में रंगों की खरीदारी करने जाते हैं। ऑनलाइन कारोबार बढ़ने से रंगों का व्यापार लगभग 50 फीसदी तक गिर गया है। कोरोना काल के बाद तो खरीदारों में कमी तेजी से आई है। रंगों के थोक व्यापारी बताते हैं कि पहले होली के एक माह पहले से आर्डर आने लगते थे, लेकिन अब यह रफ्तार काफी कम हो गई है।
इन बातों का रखें ख्याल
होली खेलने के पहले ही बालों सहित पूरे शरीर पर सरसों का तेल लगाएं। रंग या गुलाल आंखों या मुंह में जाता है तो साफ पानी से कुल्ला करें।
होली खेलने के बाद नारियल या बादाम का तेल पूरे शरीर पर लगाएं। आंख में रंग जाने पर रगड़े नहीं, पानी के छींटे धीरे-धीरे मारें ।
बोले व्यापारी-ग्राहक
ऑनलाइन ही रंग घर पर हर बार मंगा लेते हैं। बाजार में भीड़ और दिक्कत होने के कारण जाने से कतराते हैं। -रविभान
बच्चों की खुशी के लिए रंग खरीदने आए हैं। हालांकि मिलावटी रंगों से खतरा रहता है। हर्बल कलर खरीद रहे हैं। -शिवम
दशकों से घर में यह कारोबार हो रहा है पर अब मिलावट के चक्कर में असली रंगों की बिक्री भी कम हो गई है। -कुलदीप व्यापारी
रंगों में मिलावट व खतरनाक केमिकल होने की खबरों ने हताश कर दिया है। खरीदार भी सिर्फ खानापूर्ति करने आते हैं। -राहुल
रंग कारोबार में अब पहले जैसी बात नहीं है। ऑनलाइन कारोबार के बढ़ते चलन ने बाजार को काफी पीछे छोड़ दिया है। -श्रीश चंद्र
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