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बोले कन्नौजः मुसीबत में यशोदा मैया, कैसे पालें-पोसें कन्हैया

Kannauj News - कन्नौज में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार हैं। हालाँकि, उन्हें उचित मानदेय नहीं मिल रहा है और राशन की पूर्ति में समस्याएँ आ रही हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, कन्नौजSat, 1 March 2025 04:32 PM
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बोले कन्नौजः मुसीबत में यशोदा मैया, कैसे पालें-पोसें कन्हैया

कन्नौज। आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों की जिम्मेदारी संभालने के कारण ‘यशोदा यानी दूसरी मां का दर्जा मिला। यह जिम्मेदारी वे अब भी निभा रही हैं। उनसे कई दूसरे सरकारी काम भी कराए जाते हैं। हर दिन बढ़ती मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां उचित मानदेय की मांग लंबे समय से कर रही हैं पर उनके सामने सबसे बड़ी समस्या राशन की पूर्ति को लेकर होती है। मनरेगा मजदूरों से भी कम मानदेय पर काम करते हुए अपनी जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत से निभाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां आज खुद को ठगा सा महसूस कर रही हैं। सरकारी कार्यक्रमों की शोभा बढ़ानी हो या फिर स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं में जमीनी स्तर पर काम करना हो। हर जगह इन कार्यकर्त्रियों को लगाया जाता है। तमाम दिक्कतों और उलझनों के बीच ये अपनी ड्यूटी में लग जाती हैं। डाटा एंट्री आदि के लिए जरूरी इंटरनेट रिचार्ज का खर्च भी खुद उठाना पड़ता है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों का दर्द छलक उठा। इन्हीं में से एक आंगनबाड़ी कार्यकत्र्री रजनी राठौर ने कहा कि जब यशोदा मैया ही मुसीबत में हैं तो कन्हैया कैसे पालें-पोसें ।

भारत के ग्रामीण और शहरी समाज में जमीनी स्तर पर बदलाव लाने में खास भूमिका निभाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों का मुख्य काम बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। कन्नौज में 1615 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें कुल 1422 आंगनबाड़ी कार्यकत्र्री व 1210 सहायिकाएं काम करती हैं। अव्यवस्थाओं के बीच खराब कामकाजी परिस्थितियां उसपर भी काम का दबाव उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। बावजूद इसके सारी मुश्किलें और समस्याओं को दरकिनार करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां अपने काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं। सबसे बड़ी समस्या राशन को लेकर होती है। बिना टोकन के कोटेदार राशन नहीं देते हैं। राशन के लिए कई चक्कर लगाने पड़ते हैं।

कार्यकत्र्री किरन अहिरवार ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्र्री और सहायिकाओं को विभागीय कार्यों के इतर प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना, पोलियो रोधी अभियान, टीकाकरण अभियान, राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान, ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस, मतदाता पुनरीक्षण अभियान में काम करना पड़ रहा है। इसके साथ ही चुनाव में मतदाता पर्ची तैयार कर उन्हें घर-घर पहुंचाने का काम भी हमें ही करना पड़ता है। कार्यकर्त्रियों और सहायिकाओं को डिजिटल पर काम करने और डाटा आदि फीड करने के लिए दिए गए मोबाइल भी पांच साल पुराने हो चुके हैं। ऐसे में इन खराब मोबाइलों के सहारे काम नहीं हो पा रहा है।

आंगनबाड़ी कार्यकत्री श्रुती ने बताया कि राज्य कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम 18 हजार मानदेय की मांग एक लंबे समय से की जा रही है। यह मांग न केवल उनकी आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है, बल्कि आत्मसम्मान को भी बढ़ावा देगी। वहीं अतिरिक्त जिम्मेदारियां उनके मूल कार्य को प्रभावित करती हैं। इन कार्यों के लिए उन्हें कोई मेहनताना भी नहीं दिया जाता।

शिकायतें

1. स्वास्थ्य विभाग से संबंधित कार्यक्रमों में लगातार सहयोग करने के बाद भी रुपये नहीं मिलते।

2. आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को पांच साल पहले मिले मोबाइल खराब हो चुके हैं, रिचार्ज का भी पैसा नहीं मिलता।

3. ऑनलाइन काम कराने से पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को प्रशिक्षण नहीं दिया जाता इससे काम में दिक्कत आती है।

4. बीमारी में भी छुट्टी नहीं मिलती मजबूरी में काम करना होता है।

5. टीकाकरण कार्य में कई बार लोग आनाकानी करते हैं अभद्रता भी कर देते हैं ।

सुझाव

1. टीकाकरण और फाइलेरिया ड्यूटी सहित स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों में काम करने के रुपये मिलने चाहिए।

2. जहां आंगनबाड़ी केंद्र नहीं हैं वहां बैठने और काम करने के लिए जगह के साथ कुर्सी मेज आदि की व्यवस्था हो ।

3. ऑनलाइन काम कराने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

4. आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को महज शोभा और भीड़ जुटाने के लिए बुलाने की परंपरा खत्म हो।

5. बीमारी या आपात स्थिति में कार्यक्त्रिरयों को अवकाश दिया जाना चाहिए ।

बोलीं कार्यकत्र्री

आश सैनी ने बताया कि सरकारी एप हर सप्ताह अपडेट होता है। यह एक बड़ी समस्या है। अनावश्यक इससे तनाव बढ़ता है। इसे रद्द किया जाए।

रजनी राठौर ने बताया कि समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से होना चाहिए। अन्य विभागीय कार्यों से राहत दी जानी चाहिए।

सीमा दोहरे ने बताया कि प्रोत्साहन राशि को सीधे मानदेय में जोड़ा जाए। इससे उन्हें आर्थिक स्थिरता मिलेगी , गड़बड़ी ज्यादा नहीं होगी।

बोले जिम्मेदार

सीडीपीओ अर्चना वर्मा ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों की जो समस्याएं हैं उनको लेकर उच्चाधिकारियों से बैठक में चर्चा की जाती है। अगर इनसे संबंधित समस्या ठीक नहीं होती तो शिकायत करें । स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से निस्तारण पर बात की जाएगी।

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