कुदरत की कहानी ने सुनी की गोद, सुखा दिया आंखों का पानी
कुदरत की कहानी ने सुनी की गोद, सुखा दिया आंखों का पानीदूसरे बच्चे का इलाज कराया, खुद का मिला तो वह भी नहीं बचाफोटो नंबर 06 बच्चे की मौत के बाद गांव बम
कुदरत की कहानी ने सूनी की गोद, सुखा दिया आंखों का पानी दूसरे बच्चे का इलाज कराया, खुद का मिला तो वह भी नहीं बचा
फोटो नंबर 06 बच्चे की मौत के बाद गांव बमेर की पत्नी लक्ष्मी गम में डूबी व पास खड़ी रिश्तेदार भी रोती हुई।
झांसी, संवाददाता
मेडिकल कॉलेज के अग्निकांड ने न सिर्फ लोगों को जिंदगी भर का दर्द दे दिया। बल्कि कुदरत ने भी अजब कहानी लिख डाली। पहले अपने बच्चों को तलाशा। फिर दूसरे को अपना समझकर मां दूध पिलाती रही। बाद में स्वयं बच्चा मिला तो बीती इलाज उसकी भी इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद मां लक्ष्मी आंख से पानी तक सूख गया। वह सुध-बुध खो बैठी।
बबीना ब्लॉक के गांव बमेर की रहने वाली महेंद्र की पत्नी लक्ष्मी को 13 नवंबर को प्रसव पीड़ा हुई। अस्पताल में भर्ती कराया तो बेटे को जन्म दिया। सब खुशी से झूम उठे। बेटे की तबियत ठीक नहीं थी तो मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। यहीं से सबकुछ बुरा होने लगा। 15 नवंबर को आग लगी तो भगदड़ मच गई। एक बच्चा रोने लगा। उसी को वहां से उठाकर लक्ष्मी अपना समझकर ले आई। उसे दूध पिलाया तो वह चुप हो गया। फिर बीमार होने पर प्राइवेट मिथला अस्पताल में भर्ती कराया। तभी अस्पताल में मौजूद स्टॉफ ने बच्चे पर लगी पर्ची से निकालकर पुलिस को सूचना दी। जिसमें बताया गया कि एक बच्चा अस्पताल में महिला लेकर आई है। यहां बच्चे के असली पिता कृपाराम लगातार पुलिस-प्रशासन से मिलकर गुहार लगा रहे थे। इसी बीच सूचना पर मिलने पर पुलिस के साथ अस्पताल पहुंची। बच्चे लगी पर्ची से मिलान किया तो फिर बच्चे को असली पिता कृपाराम को सौंप दिया गया। लक्ष्मी को उसका बेटा दिया गया। पति महेंद्र संग लक्ष्मी उसका मेडिकल में इलाज करा रही थी। बीती रात उसकी मौत हो गई। इसके बाद पूरा परिवार बिलख पड़ा। उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 15 नवंबर की रात आग लगी तो चीख-पुकार मच गई। रेस्क्यू कर रही टीम ने एक बच्चा दिया। उसे अपना समझकर मिथला अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन, अब उसकी भी मौत हो गई। उसकी मौत के बाद पूरा परिवार गम में डूब गया।
गम में डूब गया परिवार
हे भगवान यू तूने क्या किया। ...इतनी देर को खुशी क्यों दी थी? यह कहते हुए बबीना ब्लॉक के गांव बाजाना की रहने वाली कॉजल और उनके पति बॉबी रो पड़ते हैं। बीती रात बच्चे की मौत के बाद पूरा परिवार गम में डूब गया।
गुरुवार को जब शव परिजनों के हाथ में आया तो काया कंपकंपा उठी। दबी चीखों के बीच आहें निकल रही थी। मां काजल बेहोश हो गई। परिजनों पर मानो गम का पहाड़ टूट गया हो। गांव के लोग भी रो पड़े गमगीन माहौल के बीच बच्चे का अंतिम संस्कार किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि बॉबी की पत्नी काजल ने 13 नवंबर को प्रसव पीड़ा हुई थी। आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां उसने बच्चे को जन्म दिया। यहां हालत नाजुक होने पर डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज भेजा। 15 नवंबर को मेडिकल में आग लगी। तब बॉबी वहीं पर था। पूरे वार्ड में भगदड़ मच गई। उसने दूसरे बच्चे को बचा दिया। बाद में उसे पता चला कि उसका बच्चा कहीं और है। बाद में मेडिकल में बच्चा सुरक्षित मिला। उस पर लगा टैग-पर्ची से पहचाना गया। बुधवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
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