किसानों का खेत असिंचित क्षेत्र में है तो अलसी की करें खेती
वैज्ञानिकों की सलाह, खाद की पूर्ति भी जरूरत अनुसार करें बुन्देलखंड के कई किसान असिंचित वाले उठा सकते लाभ झांसी,संवाददाताबुन्देलखंड में रबी की बुआई पा
चार का बॉटम वैज्ञानिकों की सलाह, खाद की पूर्ति भी जरूरत अनुसार करें
बुन्देलखंड के कई किसान असिंचित वाले उठा सकते लाभ
झांसी,संवाददाता
बुन्देलखंड में रबी की बुआई पानी के संसाधनों की कमी के चलते किसान नहीं करते है। उनके पास न तो कुआं का साधन है और न ही बोरिंग है। नहर की निकासी भी पास से नहीं है। ऐसे में कई छोटे किसान अपने खेतों को खाली छोड़ देते है। ऐसे में अलसी की बुआई वह किसान कर सकते है। वैज्ञानिकों की सलाह है कि सूखे जैसे हालातों वाले किसान अलसी बो सकते है।
रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने असिंचित क्षेत्र में वैज्ञानिक विधि से अलसी की खेती करने की सलाह दी है। डॉ संदीप उपाध्याय और डॉ सुशील कुमार सिंह ने बताया कि बुंदेलखण्ड में सूखा के चलते रबी में अलसी की फसल कारगर साबित हो सकती है। यह फसल सूखा सहन करने की क्षमता रखती है। अलसी चना (3:1) / चना अलसी (3:1) और अलसी गेहूँ (1:3 अनुपात) में भी अन्तवर्ती फसल की बुवाई की जा सकती है।
अलसी की खेती के साथ चना लगाने से चने में मुरझान और फली में छेद की क्षति कम होती है। यदि अलसी की एकल फसल ली जाये तो अलसी के तेल की गुणवत्ता और अधिक पैदावार के लिये वर्षा सिंचित क्षेत्र में 40 किलो नाइट्रोजन और 20 किलो फास्फोरस प्रति हैक्टेयर की जरूरत होती है। इसके लिये किसान 18-20 किलो डीएपी और 28 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से डालें।
उर्वरक की समग्र गुणवत्ता का सदुपयोग बुवाई से पूर्व अन्तिम जुताई के दौरान किया जाना चाहिये। उर्वरक की मात्रा अलसी की सिंचित दशाओं में बढ़ाई जा सकती है। अन्यथा इस फसल में 5 मिली नैनो यूरिया प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें और बीज अंकुरण के 30-35 दिन पर 2-4 लीटर प्रति लीटर पानी पर्णीय छिड़काव कर दें। ऐसे में नैनो यूरिया उपचार और छिड़काव के साथ डीएपी की बुवाई से पूर्व प्रयोग (बेसल ड्रेसिंग) आवश्यक है। असिंचित क्षे़़़त्रों में अलसी की खेती किसानों की अधिक आय बढाने के लिये सहायक होगी।
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