व्यवसायिक प्रशिक्षण में मिले पराली से मशरूम की खेती के टिप्स
Jhansi News - एक सप्ताह का हुआ प्रशिक्षण, कृषि अपशिष्ट प्रबंधन बताए कई प्रकार की बताएं मशरूम, किसानों की बढ़ सकती कमाई फोटो नंबर 11 बुविवि में मशरूम के बारे में जान
झांसी,संवाददात बुविवि में मशरूम का व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाना है। एक सप्ताह के प्रशिक्षण में धान की पराली का उपयोग भी बेहतर बताया गया। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रौद्योगिकी सक्षम केंद्र द्वारा 11 से 17 दिसंबर 2024 तक धान की पराली का उपयोग कर मशरूम की खेती और प्रसंस्करण पर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की।
मनुप्रा फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के परिसर में संस्थापक प्रवीण वर्मा कर रहे हैं। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों, छात्रों, शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों और गैर-सरकारी संगठनों के बीच उद्यमिता कौशल का विकास करना और उन्हें कृषि अपशिष्ट प्रबंधन में सक्षम बनाना है। प्रशिक्षण में मशरूम की खेती की विस्तृत जानकारी दी। जिसमें बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम और मिल्की मशरूम जैसी लोकप्रिय प्रजातियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा। प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में स्थायी विकास को बढ़ावा देना है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है।
किसानों को पराली जैसे कृषि अवशेषों का उपयोग करने के लाभों से अवगत कराया जा रहा है, जो सामान्यत: जलाई जाती है और पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनती है। पराली को मशरूम की खेती के लिए उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण और फसल अवशेषों का उत्पादक उपयोग किया जा रहा है। मशरूम को एक वैकल्पिक नकदी फसल के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और शहरी पलायन को कम करने में मदद मिलेगी। यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर बनाने उनकी आय में वृद्धि करने का एक अनूठा प्रयास है।
मशरूम की खेती, जो कम लागत और कम जगह में की जा सकती है, किसानों के लिए दीर्घकालिक लाभकारी विकल्प है। इस दौरान डॉ. लवकुश द्विवेदी, समन्वयक, डीएसटी-टीईसी, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय; डॉ. संजीव श्रीवास्तव, डॉ. अनु सिंघला और डॉ. अनुपम व्यास के अलावा अन्य भी मौजूद रहे।
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