अवैध नर्सिग होम्स के विरुद्ध मोर्चा का सीएम के नाम ज्ञापन
प्रतिबंध के बाद भी चिकित्सक रहे प्राईवेट प्रैक्टिस गरीब बुंदेले सरकारी अस्तपतालों के ही भरोसे फोटो नंबर 14 डीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने जाते
प्रतिबंध के बाद भी चिकित्सक रहे प्राईवेट प्रैक्टिस गरीब बुंदेले सरकारी अस्तपतालों के ही भरोसे
फोटो नंबर 14 डीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने जाते मोर्चा पदाधिकारी।
झांसी,संवाददाता
अवैध नर्सिग होम्स के विरुद्ध बुन्देलखंड निर्माण मोर्चा ने मोर्चा खोल दिया है। जिलाधिकारी अविनाश कुमार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। जिसमें कहा है कि प्राईवेट प्रैक्टिस यदि बैन है तो पूरी तरह से प्रतिबंधित कराया जाए। उन्होंने कहा कि यह गरीबों का बुन्देलखंड है अधिकांश की जेबों में इतना पैसा नहीं है कि वह प्राईवेट अस्पतालों में इलाज करा सकें।
बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय के नेतृत्व में मुख्य मंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी को सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र की चिकित्सीय व्यवस्था बेहद बदहाल है। बुन्देलखण्ड में लोगो के पास धन का बहुत अभाव है जिस कारण यहां के लोग सरकारी चिकित्सीय सुविधाओ पर निर्भर रहते है। आधे से भी ज्यादा चिकित्सीय पद खाली पड़े है, साथ ही चिकित्सीय उपकरण व संसाधनों की भी बहुत कमी हैं।
बुंदेलखंड में समस्त मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सी. एच. सी. पी.एच. सी. में जितने भी मेडिकल, पैरा मेडिकल, तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पद रिक्त है उन्हे प्राथमिक स्तर पर भरा जाए जिससे गरीब लोगो को सस्ती एवम् अच्छी चिकित्सीय सुविधा प्राप्त हो सके। बुन्देलखण्ड में धड़ल्ले से बिना नक्शा पास करवाए , गैर भू उपयोग वाली भूमि पर निर्माण, बिना अग्नि शमन यन्त्र लगाए, बिना सरकार की वैध अनुमति लिए, बिना प्रदूषण उपकरण लगाए, वही दवाएं लिखी जाती है जो संबंधित चिकित्सक के नर्सिंग होम में स्थापित केमिस्ट की दुकान पर ही मिलती।
वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करने पर जांच के नाम पर जांच करके शिकायत को ठंडे बस्ते में कई सालों से डाला जा रहा है। कहा कि
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी चिकित्सको की प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाया। जिसके बदले सरकारी चिकित्सको को नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस दिया जाता। पर उत्तर प्रदेश सरकार अपने प्रतिबंध को लागू करवा पाने में भ्रष्ट्राचार के कारण असफल हो रही। इससे बेहतर हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार को सरकारी चिकित्सको की प्राइवेट पर से प्रतिबंध समाप्त कर देना चाहिए, जिससे भ्रष्ट्राचार समाप्त हो। ज्ञापन देने वालों में अशोक सक्सेना, रघुराज शर्मा, कुंवर बहादुर आदिम, हनीफ खान, प्रदीप झा, नरेश वर्मा, सईदा बेगम, प्रभु दयाल कुशवाहा आदि शामिल रहे।
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