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पीयू के बंटवारे की प्रक्रिया के खिलाफ विरोध के स्वर मुखर

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से जुड़े मऊ जिले को हटाने की तैयारी के विरोध में शिक्षकों एवं कर्मचारियों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। शिक्षकों ने कहा कि विश्वविद्यालय के अस्तित्व से सरकार...

जौनपुर वरिष्ठ संवाददाता Sat, 14 July 2018 04:38 PM
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वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से जुड़े मऊ जिले को हटाने की तैयारी के विरोध में शिक्षकों एवं कर्मचारियों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। शिक्षकों ने कहा कि विश्वविद्यालय के अस्तित्व से सरकार न खेले। मऊ के कालेजों के हट जाने से पीयू को प्रतिवर्ष करोड़ों का नुकसान होगा। इसे लेकर कर्मचारियों ने विरोध जताया है। कहा कि  मऊ कटा तो आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षामंत्री को मेल पत्र भेजा जा रहा है।

पीयू के डीन प्रो. बीडी शर्मा ने कहा विश्वविद्यालय और जौनपुर का अस्तित्व खतरे में डाला जा रहा है। इससे पूर्व 11 जिले जुड़े थे। 2009 में काटकर विश्वविद्यालय को कमजोर कर दिया गया। पीयू दोबारा अपने अस्तित्व में आया तो मऊ जिला काटने की तैयारी की जा रही है। इससे विश्वविद्यालय के आर्थिक व्यवस्था पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आजमगढ़ मंडल में भी विश्वविद्यालय खोलने की मांग तेज हो गयी है। नीतिगत रूप से प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। इसी तरह जिले कटते रहे पूर्वांचल विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र सिमट कर रह जाएगा। 

स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा संतोष सिंह, महामंत्री डा.  नीलेश सिंह, डा रमन सिंह, डा. प्रभाकर सिंह विश्वविद्यालय के बंटवारे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को किसी भी कीमत पर बंटने नहीं देंगे। इसके लिए शासन से लेकर के पूर्वांचल तक लड़ाई लड़ी जाएगी। 

कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमलदार यादव ने कहा कि दूसरी बार पीयू को बांटने की कोशिश की जा रही है। ठीक नहीं है। हर स्तर पर कर्मचारी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। महामंत्री डा स्वतंत्र कुमार ने कहा कि बंटने से वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी। करोड़ों का नुकसान होगा, काम कम हो जाएगा। विश्वविद्यालय से मऊ को अलग कर रहे हैं तो  तो यहां के कर्मचारियों का समायोजन भी वहां करें अन्यथा ढांचा गड़बड़ा जायेगा। 

कर्मचारी नेता डा.संजय श्रीवास्तव ने कहा की जरूरत पड़ी तो आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। पूर्व में जब 5 जिलों को तोड़ा गया तो यहां के कर्मचारियों का समायोजन काशी विद्यापीठ से नहीं किया गया था। यह कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा।  

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