शरद पूर्णिमा पर घर घर बनाई गई खीर
शरद पूर्णिमा पर महिलाओं ने खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखा। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा से अमृत बरसता है। कई श्रद्धालुओं ने व्रत रखा और घर-घर खीर बनाई गई। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा से धन और...
जौनपुर, संवाददाता। शरद पूर्णिमा पर बुधवार की रात महिलाओं ने खीर बनाकर उसे चलनी या झीने कपड़े से ढ़ककर खुले आसमान के नीचे रखा। गुरुवार को सुबह इस अमृत रूपी खीर को लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा से अमृत की बरसात होती है। कई श्रद्धालुओं ने पूर्णिमा पर व्रत भी रखा। शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने के लिए महिलाएं सुबह से व्यवस्था में लग गई थीं। जिनके घर दुधारू पशु हैं, उनके घर की महिलाएं सुबह गाय या भैस का दूध निकालकर पहले खीर बनाने के लिए अलग रख दीं। फिर बाकी दूध को इस्तेमाल में लिया गया। जिनके घर गाय भैस नहीं पाली गई है वह दूध देने वाले के घर सुबह पहुंच कर साफ शुद्ध दूध ले आए। बहुत से लोग तो दूध देने वाले से मंगलवार को ही कह दिए थे कि सुबह दूध दे दीजिएगा। इस प्रकार घर घर खीर बनाई गई। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन रात्रि में धन एवं ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी ऐरावत पर आसीन होकर भ्रमण करती हैं। देखती हैं कि कौन भक्त जाग कर मां का स्मरण कर रहा है। जो भक्त जागरण कर भक्ति पूर्वक मां की अर्चना करता है, उसे अचल धन-सम्पत्ति से मां भरपूर कर देती हैं। ज्योतिषाचार्य व भागवत कथा व्यास डॉ.रजनीकान्त द्विवेदी के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन रात्रि में मां लक्ष्मी की विधि पूर्वक पूजा करके श्रीसूक्त व लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने व खीर से हवन करने पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। वह धनधान्य, मान-प्रतिष्ठा व सुख वैभव प्रदान करती हैं।
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