बोले जौनपुर : क्लीनिकों का टैक्स घटे, बढ़े चिकित्सा मद में बजट
Jaunpur News - कोविड महामारी के दौरान होम्योपैथिक चिकित्सा ने लोगों में आशा जगाई थी, लेकिन अब यह बुनियादी सुविधाओं की कमी, भारी टैक्स और प्रशासनिक लापरवाही के कारण संकट में है। जौनपुर में होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज...
कोविड महामारी के समय होम्योपैथिक चिकित्सा ने लोगों में एक नई उम्मीद जगाई थी। कई दवाएं कारगर साबित हुईं, मांग इतनी बढ़ी कि बाजार में कम पड़ गईं। आज वही होम्योपैथिक चिकित्सा बुनियादी सुविधाओं की कमी, भारी टैक्स और प्रशासनिक लापरवाही की वजह से संकट में है। राजकीय होम्योपैथक अस्पताल उधार के भवन में कराह रहे हैं तो निजी अस्पतालों के संचालकों के भी कई दर्द हैं। होम्योपैथी डॉक्टर चाहते हैं कि उनकी क्लीनिकों पर टैक्स कम हो, चिकित्सा मद में बजट बढ़ा दे तो उनकी मुश्किलें काफी कम हो जाएंगी। जौनपुर में कभी तीन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन सरकार ने उन्हें प्रयागराज में मर्ज कर दिया। नए कॉलेज खोलने के बजाय मौजूदा सुविधाएं भी खत्म कर दी गईं। रुहट्टा स्थित एक क्लीनिक पर जुटे शहर के होम्योपैथिक चिकित्सकों ने ‘हिन्दुस्तान से परिचर्चा की। कहा कि न तो होम्योपैथी के बजट में बढ़ोतरी हो रही है और न ही चिकित्सा शिक्षा को मजबूत किया जा रहा है। ऊपर से टैक्स और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की जटिलता ने हमारी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आयुष्मान योजना में होम्योपैथी को शामिल न करने से भी मरीजों को राहत नहीं मिल रही। शहर की धूलभरी सड़कों और दूषित पानी से नई बीमारियां फैल रही हैं, लेकिन प्रशासन बेखबर है। डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि टीडी कॉलेज, राज कॉलेज और खुटहन में एक कॉलेज थे लेकिन सरकार ने इन्हें बंद कर दिया और इलाहाबाद होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में मर्ज कर दिया। उन्होंने सवाल किया कि जब गोरखपुर और अलीगढ़ में नए होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज खोले जा सकते हैं, तो उसी वक्त जौनपुर के कॉलेजों को क्यों बंद किया गया? चिकित्सा शिक्षा के बिना अच्छे डॉक्टर कैसे निकलेंगे?
होम्योपैथिक का बजट बढ़े, तभी सुधार
डॉ. प्रतीक मिश्रा ने कहा कि सरकार होम्योपैथिक चिकित्सा को नजरअंदाज कर रही है। बजट की कमी के कारण न केवल होम्योपैथिक शिक्षा प्रभावित हो रही है बल्कि रिसर्च भी ठप है। होम्योपैथिक चिकित्सा सस्ती और कारगर है, लेकिन बजट न बढ़ने से इसका विस्तार नहीं हो पा रहा। सर्जरी और इमरजेंसी को छोड़ दें तो कई बीमारियों में होम्योपैथी का कोई विकल्प नहीं है। जैसे, अर्थराइटिस, माइग्रेन, किडनी, एग्जिमा, सोरायसिस, तनाव और अस्थमा। उन्होंने कहा कि बजट की कमी के कारण हम लोगों को बेहतर इलाज नहीं दे पा रहे हैं। डॉ. संदीप कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना का प्रचार खूब हो रहा है, लेकिन इसमें होम्योपैथिक चिकित्सा को जगह नहीं दी गई।
‘बड़े जितना ही ‘छोटे से भी टैक्स क्यों
डॉ. अशोक कुमार अस्थाना ने कहा कि सरकार छोटे होम्योपैथिक क्लीनिक से भी उतना ही टैक्स वसूल रही है, जितना बड़े नर्सिंग होम से लेती है। यह सरासर अन्याय है। होम्योपैथिक डॉक्टर महंगे उपकरणों और सुविधाओं की मांग नहीं करते, फिर भी उनकी क्लीनिक पर भारी-भरकम टैक्स लाद दिया जाता है। डॉ. प्रतीक एक छोटे होम्योपैथिक क्लीनिक का संचालन करता हूं, लेकिन नगर पालिका उनसे भी उतना ही टैक्स वसूलती है जितना बड़े नर्सिंग होम से। उन्होंने कहा कि हमारी आमदनी बहुत सीमित है, फिर भी हमें अधिक टैक्स भरना पड़ता है। प्रशासन को टैक्स का बोझ कम करने के संबंध में स्पष्ट नीति बनानी चाहिए।
होम्योपैथिक दवाओं से हटे जीएसटी
डॉ. सुमित कुमार सिंह बोले- सब कहते हैं कि होम्योपैथी गरीबों की चिकित्सा है, लेकिन जब सरकार होम्योपैथिक दवाओं पर जीएसटी लगा देती है तो यह चिकित्सा गरीबों के लिए कैसे सुलभ रहेगी? सरकार इसे आम लोगों तक पहुंचाना चाहती है तो होम्योपैथिक दवाओं पर टैक्स कम करे। इसी तरह टैक्स बढ़ता गया तो यह चिकित्सा भी आम लोगों की पहुंच से दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शहर में मेडिकल वेस्ट का निस्तारण भी ठीक से नहीं हो रहा।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया आसान बने
डॉ. प्रतीक मिश्रा के मुताबिक होम्योपैथिक रजिस्ट्रेशन बोर्ड की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि हर पांच साल में नवीनीकरण मुश्किल हो जाता है। लखनऊ तक भाग-दौड़ करनी पड़ती है। डॉक्टरों को हफ्तों परेशानी झेलनी पड़ती है। प्रक्रिया को ऑनलाइन और सरल बनाया जाना चाहिए ताकि डॉक्टर बिना परेशान हुए अपनी प्रैक्टिस जारी रख सकें।
सरकारी विभागों में होम्योपैथी की अनदेखी
डॉ. अरविंद सिंह ने कहा कि पहले भंडारी जंक्शन पर होम्योपैथिक मेडिकल ऑफिसर होते थे, लेकिन अब वहां कोई नहीं है। न ही पुलिस लाइन में कोई होम्योपैथिक डॉक्टर रखा गया, न ही पूर्वांचल विश्वविद्यालय में। सरकारी विभागों में होम्योपैथिक चिकित्सा को नजरअंदाज किया जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान हमने लोगों की काफी मदद की थी, लेकिन अब हमें दरकिनार कर दिया गया है। सरकार को सरकारी विभागों में होम्योपैथिक डॉक्टरों की नियुक्ति करनी चाहिए।
धूल और दूषित पानी से सेहत को खतरा
डॉ. अशोक कुमार अस्थाना, डॉ. शैलेश सिंह और प्रदीप ने कहा कि हमारी क्लीनिक में दवाओं के रैक पर रोज धूल की मोटी परत जम जाती है। मरीजों को साफ जगह पर दवा देनी चाहिए, लेकिन धूलभरे माहौल में यह संभव नहीं हो पा रहा। सड़कों की हालत के कारण अस्थमा, दमा, एलर्जी, त्वचा संबंधी बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं। सड़कों की यह हालत न सिर्फ हमारे बल्कि मरीजों के लिए भी हानिकारक है। प्रशासन को जल्द से जल्द सड़कों की मरम्मत करानी चाहिए और बार-बार सड़कें खोदने की परंपरा बंद होनी चाहिए।
गाय के मुंह में फंसी सिरिंज
डॉ. सतीश कुमार ने कहा कि नर्सिंग होम और अस्पतालों के बायो-मेडिकल वेस्ट का सही ढंग से निस्तारण नहीं हो रहा है। उसे खुले में फेंका जा रहा है, जिससे बच्चे और जानवर भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। एक दिन मैंने देखा कि एक गाय के मुंह में एक सिरिंज फंस गई थी। यह बेहद खतरनाक स्थिति है। प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा। अगर मेडिकल वेस्ट को जहां-तहां फेकने से रोका नहीं गया तो यह बड़ा संकट बन सकता है।
होम्योपैथिक फार्मेसी कॉलेज खोला जाए
डॉ. निलेश सिंह ने कहा कि जिले में एक फार्मेसी कॉलेज की जरूरत है। होम्योपैथिक दवाएं बनाने और वितरित करने के लिए प्रशिक्षित फार्मासिस्टों की आवश्यकता है, लेकिन इस दिशा में कोई प्रयास नहीं हो रहा। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।।
सरकारी अस्पतालों की हालत ठीक नहीं
जिले में 40 राजकीय होम्योपैथक अस्पताल हैं। इनकी हालत बहुत अच्छी नहीं है। करीब एक दर्जन ऐसे अस्पताल किराए के भवन में चल रहे हैं। वहीं आधा दर्जन अस्पतालन पंचायत भवन या किसी उधार के भवन में चलते हैं। भुपतपट्टी, ड़ियाहूं, आरा, पचेवरा, लाइन बाजार, कचगांव, विशुनपुर तारा, सोतीपुर में वरिष्ठ चिकित्साधिकारी नहीं हैं। यहां तीन दिन दूसरे अस्पताल के डॉक्टर जाते हैं, बाकी समय फार्मासिस्ट अस्पताल संभालते हैं।
सुझाव :
जौनपुर में फिर से होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज खोले जाएं, ताकि नए डॉक्टर तैयार हों और चिकित्सा व्यवस्था मजबूत हो।
सरकारी विभागों, पुलिस लाइन और विश्वविद्यालयों में होम्योपैथिक डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए।
सड़कों की सफाई और जल आपूर्ति व्यवस्था में सुधार किया जाए ताकि बीमारियां फैलने का खतरा न रहे।
मेडिकल वेस्ट के सुरक्षित निस्तारण के लिए प्रशासन को कड़े नियम लागू करने चाहिए। नर्सिंग होम पर भी कड़ाई होनी चाहिए।
जिले में एक होम्योपैथिक फार्मेसी कॉलेज खोला जाए, ताकि गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
शिकायतेंः
होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज बंद कर देने से नए डॉक्टर तैयार नहीं हो पा रहे और चिकित्सा व्यवस्था कमजोर हो रही है।
सरकारी विभागों में होम्योपैथिक डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं की जा रही। इससे मरीजों को इस चिकित्सा का लाभ नहीं मिल रहा।
शहर की सड़कों की धूल और दूषित पानी से श्वसन एवं त्वचा रोग बढ़ रहे हैं, लेकिन प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा।
मेडिकल वेस्ट का सही ढंग से निस्तारण नहीं हो रहा, जिससे आम जनता और जानवरों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
होम्योपैथिक दवाओं के निर्माण और वितरण के लिए जिले में कोई फार्मेसी कॉलेज नहीं है, दवाएं आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।
बोले डॉक्टर :
होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज बंद होने से नए डॉक्टर तैयार नहीं हो पा रहे। सरकार को इन्हें फिर से शुरू करना चाहिए।
-डॉ. प्रतीक मिश्र
आयुष्मान योजना में होम्योपैथिक को शामिल किया जाए ताकि गरीब मरीजों को मुफ्त और सुलभ इलाज मिल सके।
-डॉ. संदीप कुमार विश्वकर्मा
होम्योपैथिक दवाओं पर टैक्स कम किया जाए वरना यह चिकित्सा भी गरीबों की पहुंच से बाहर हो जाएगी।
-डॉ. दीपक कुमार गुप्ता
सरकार होम्योपैथिक चिकित्सा का बजट बढ़ाए ताकि रिसर्च हो सकें और इलाज की गुणवत्ता बेहतर हो।
-डॉ. अजय कुमार सिंह
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसे ऑनलाइन और सरल बनाया जाए ताकि डॉक्टरों को बार-बार भागदौड़ न करनी पड़े।
-डॉ. सुमित कुमार सिंह
नर्सिंग होम और छोटे क्लीनिक पर एक समान टैक्स लगाया जाता है। छोटे क्लीनिकों को छूट मिलनी चाहिए।
-प्रदीप विशवकर्मा
सरकारी विभागों में होम्योपैथिक डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए ताकि आम जनता को इस चिकित्सा का लाभ मिल सके।
-डॉ. अरविंद सिंह
धूल भरी सड़कों और दूषित पानी से लोग बीमार हो रहे हैं, प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।
-डॉ. अशोक कुमार अस्थाना
जब होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज जौनपुर से हटाकर इलाहाबाद भेजे गए, उसी समय गोरखपुर और अलीगढ़ में नए कॉलेज खुले।
-डॉ. शैलेश कुमार सिंह
मेडिकल वेस्ट का निस्तारण सही ढंग से नहीं हो रहा। इससे बच्चे और जानवर गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
-डॉ. सतीश कुमार मौर्य
होम्योपैथिक दवाओं के बेहतर उत्पादन और वितरण के लिए जिले में फार्मेसी कॉलेज खुलना चाहिए।
-डॉ. सुरेश पाल
होम्योपैथिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है, फिर भी इसके खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है। जनता को इससे बचना चाहिए।
-निलेश सिंह
बोले जिम्मेदार :
मेडिकल कचरा जहां-तहां न फेंकें
नर्सिंग होम, क्लीनिक या किसी कामर्शियल भवन का टैक्स निर्धारण उसकी एरिया और सड़क पर निर्भर करता है। नर्सिंग होम की भी जिम्मेदारी होती है कि वे मेडिकल कचरे का उचित निस्तारण कराएं। कई बार नर्सिंग होम संचालक बायो कचरा को सामान्य कचरे में फेंक देते हैं। तब नगरपालिका के सफाई कर्मचारियों के लिए संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो जाता है। शहर की सड़कों की दशा खराब जरूर है पर संबंधित कार्यदायी संस्था का काम पूरा होते ही सड़कों की समस्या का भी समाधान हो जाएगा।
पवन कुमार, अधिशासी अधिकारी नगरपालिका
जल्द शुरू होगा भवन निर्माण
जिले के जिन राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालयों के पास भवन नहीं, उनमें कई के लिए जमीन मिली हुई है। औपचारिकताएं की जा रही हैं। कुछ जगह के लिए कार्यदायी संस्था नामित हो गई है। जल्द ही निर्माण शुरू होगा। होम्योपैथिक में उस तरह का मेडिकल वेस्ट नहीं नहीं निकलता। बाकी चिकित्सकों की तैनाती का मामला शासन स्तर का है, उस संबंध में समय-समय पर पत्राचार किया जाता है।
- मनीषा अवस्थी, जिला होम्योपैथिक अधिकारी
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