खौफ के एक बड़े अध्याय मुन्ना का अंत
रामपुर थाना क्षेत्र के पूरेदयाल कशेरु गांव निवासी माफिया डान मुन्ना बजरंगी की सोमवार को बागपत जेल में हत्या की सूचना मिलते ही जिले में सनसनी फ़ैल गयी । आंतक के एक अध्याय का अंत की खबर पता लगते ही...
रामपुर थाना क्षेत्र के पूरेदयाल कशेरु गांव निवासी माफिया डान मुन्ना बजरंगी की सोमवार को बागपत जेल में हत्या की सूचना मिलते ही जिले में सनसनी फ़ैल गयी । आंतक के एक अध्याय का अंत की खबर पता लगते ही उसके गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक हत्या की चर्चा होती रही।
1967 में जिले के पूरे दयाल गांव में पैदा हुए बजरंगी के पिता का नाम पारसनाथ सिंह था। वह बजरंगी को पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे लेकिन मुन्ना जरायम की दुनिया में चला गया। मुन्ना ने पहली घटना को अंजाम 1980 में दिया। गोपालापुर बाजार में गोली मारकर छिनैती की थी। 307 का मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद भागकर बजरंगी वाराणसी में अनिल सिंह डिप्टी मेयर के साथ रहने लगा। वहाँ रहकर भी कई घटना को अंजाम दिया। वहाँ से फिर जौनपुर आ गया। यहां उस जमाने के मशहूर बदमाश नाटे विनोद के साथ हो लिया। नाटे के साथ दोस्ती निभाने के लिए बजरंगी ने बदलापुर पड़ाव पर पलकधारी पहलवान की हत्या की। इसके बाद नाटे के ही दुश्मन रामचंद्र सिंह की हत्या की। रामचन्द्र सिंह के साथ भानु सिंह व एक सिपाही को गोली लगी थी जिससे दोनों की मौत हो गयी थी। जिला जेल के पास इस घटना को अंजाम दिया गया था।
वाराणसी में राजेन्द्र सिंह व बड़े सिंह की एके 47 से हत्या करके अपने करीबी अजय यादव की हत्या का बदला लिया था। जिले में जमालापुर तिराहे पर कैलाश दुबे, राजकुमार सिंह समेत चार लोगों की एके 47 से हत्या करके सनसनी फैला दिया था। सुनील राय नरिया कांड, अनिल राय की बाद 1995 में एनकाउन्टर हुआ जिसमें बच गया। दोबारा मुख्तार अंसारी के सम्पर्क में कृष्णानंद राय की हत्या की।
जिले में तिहरे हत्याकांड में उसे भारी सुरक्षा के बीच पेशी पर जेल लाया जाता रहा। उसकी पत्नी सीमा सिंह मादियाहूँ विधानसभा से अद से चुनाव लड़ी लेकिन हार गयी। पत्नी ने लेखनऊ में पति के हत्या की आशंका जताई थी।
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