Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़जौनपुरFinal Day of Shri Ramleela Committee s Performance Features Jalandhar Play

नाटक के माध्यम से बताया सपूत और कपूत का महत्व

गुरुवार को पुरानी सब्जी मंडी में श्री रामलीला कमेटी साहबगंज के मंच पर आदर्श रामलीला कमेटी चित्रकूट के कलाकारों ने 'जालंधर' नाटक का मंचन किया। इस नाटक में भगवान भोलेनाथ की भूमिका और सपूत व कपूत के...

Newswrap हिन्दुस्तान, जौनपुरSat, 19 Oct 2024 12:49 AM
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सतहरिया/मुंगराबादशाहपुर। पुरानी सब्जी मंडी में स्थित श्री रामलीला कमेटी साहबगंज के मंच पर गुरुवार को अंतिम दिन आदर्श रामलीला कमेटी चित्रकूट से आए कलाकारों ने जालंधर नाटक का मंचन किया। इस नाटक के माध्यम से सपूत और कपूत के महत्व को समझाया।

मंचन में भगवान भोलेनाथ ने जालंधर की उत्पत्ति की। उस पुत्र ने अपने पिता भोलेनाथ के ऊपर दिए गए शक्ति का ही प्रयोग कर दिया। देवर्षि नारद ने देवराज इंद्र को दैत्यों का राजा बनने के लिए उन्हें उकसाया। कहा कि आप देवताओं के राजा हैं इसके साथ ही आपको दैत्यों का भी राजा बनना चाहिए। भोलेनाथ दैत्यों के राजा हैं। वह आपके गुरु हैं। दैत्यों का राज्य भगवान भोलेनाथ से मांग लें। गुरु होने के नाते वह दैत्यों का राज्य दे देंगे। दैत्यों का राजा बनने के लिए देव राज इंद्र भगवान भोले शंकर से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गए। भोले नाथ के सामने इंद्र ने दैत्यों का राजा बनाने के लिए आग्रह किया। इसपर भगवान शिव ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसपर इन्द्र ने कैलाश पर्वत को गदा से ध्वस्त करने की धमकी दे डाली। महादेव ने उनके सामने एक शर्त रखी कि तीन दिन का बालक से युद्ध होगा। युद्ध में जीतने के बाद तुम्हे दैत्यों का राजा बना दिया जाएगा। भोले नाथ के तीन दिन का पुत्र का जन्म समुद्र से होने के नाते देवर्षि नारद ने उसका नाम जालंधर रखा। नारद ने जालंधर को शिव शंकर, ब्रह्मा व विष्णु से शक्ति मांगने के लिए के भेजा। जालंधर ने बारी बारी तीनों देवताओं से मिलकर शक्ति प्राप्त की। जालंधर ने शक्ति प्राप्त कर देवराज इंद्र से युद्ध किया। युद्ध में देवराज इंद्र को अपनी जान बचा कर भागना पड़ा। कमेटी के अध्यक्ष आशुतोष कुमार गुप्ता सोनू, संरक्षक राजेश कुमार गुप्ता चल्लू, कोषाध्यक्ष सचिदानंद गुप्ता, महामंत्री पंकज मोहन गुप्त आदि मौजूद थे।

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