गैंगस्टर मामले में पेशी के लिए 16 को आना था बजरंगी को

प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के खिलाफ गैंगस्टर के मामले में 16 जुलाई को सुनवाई होनी थी। मामला गवाही में चल रहा है। गम्भीर आपराधिक मामलों में गैर जनपद की जेलों में बजरंगी के बंद होने के कारण...

जौनपुर। वरिष्ठ संवाददाता Tue, 10 July 2018 05:54 PM
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प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के खिलाफ गैंगस्टर के मामले में 16 जुलाई को सुनवाई होनी थी। मामला गवाही में चल रहा है। गम्भीर आपराधिक मामलों में गैर जनपद की जेलों में बजरंगी के बंद होने के कारण सुनवाई नहीं हो पा रही थी। विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर अशोक कुमार की कोर्ट ने आरोपित बजरंगी की पेशी के लिए 16 जुलाई तिथि नियत की थी। 

रामपुर थानाक्षेत्र के जमालापुर तिहरा हत्याकांड के बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष रामलखन यादव ने बजरंगी के खिलाफ एक दिसम्बर 1997 को गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि बजरंगी गिरोहबंद अपराधी है। गैंग का संचालन करता है। आम जनता में भय का माहौल है। लोग बजरंगी के खिलाफ गवाही देने से डरते हैं। चार्जशीट दाखिल होने के बाद कोर्ट ने 8 जनवरी 1998 को संज्ञान लिया था। चूंकि बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई है। ऐसे में बजरंगी के खिलाफ चल रहे सभी आपराधिक मामले अबेट कर दिए जाएंगे।

तिहरा हत्याकांड में हो चुका था बरी
रामपुर क्षेत्र के जमालापुर तिहरा हत्याकांड के मामले में कोर्ट ने प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी को चार साल पहले साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। हत्याकांड के चश्मदीद गवाह पक्षद्रोही घोषित कर दिए गए थे। बजरंगी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण कोर्ट ने बरी किया था। सनद हो कि 24 जनवरी 1996 को जमालापुर में ब्लाक प्रमुख कैलाश दुबे समेत तीन लोगों की स्वचालित असलहे से अंधाधुंध फायरिंग करके हत्या कर दी गई थी। इसके बाद बजरंगी का नाम सुर्खियों में आया। हालांकि दुबे परिवार उच्च न्यायालय में पहुंचा था। 

भतीजे ने लगाया प्रशासन पर हत्या का आरोप
थाना क्षेत्र के कसेरू पूरेदयाल गांव निवासी माफिया डान प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की हत्या की सूचना जैसे ही परिजनों को लगी तो कोहराम मच गया। 
गांव में भतीजे सूरज सिंह ने आरोप लगाया कि उसके बड़े पापा की हत्या की गई है। जबकि उसकी बड़ी मम्मी सीमा सिंह द्वारा 10 दिन पूर्व ही प्रेस कान्फ्रेंस कर हत्या कर देने की आशंका भी जताई गई थी। इसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा उदासीन पूर्ण रवैया अपनाया गया जिससे यह घटना घटी। अगर प्रशासन पहले ही चेता होता तो यह घटना न होती। प्रशासन के इस रवैये से यह स्पष्ट दिख रहा है कि इस घटना के पीछे प्रशासन की ही संलप्तिता है।

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