न्याय प्रणाली में रुकावट डालना दुर्भाग्यपूर्ण, नो एडवर्स ऑर्डर के प्रस्ताव पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
- छठ पर्व के आयोजन के मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से तीन दिन तक नो एडवर्स ऑर्डर प्रस्ताव (अधिवक्ता की अनुपस्थिति में विपरीत आदेश पारित न करने का अनुरोध) पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है।
छठ पर्व के आयोजन के मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से तीन दिन तक नो एडवर्स ऑर्डर प्रस्ताव (अधिवक्ता की अनुपस्थिति में विपरीत आदेश पारित न करने का अनुरोध) पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संवैधानिक अदालत की कार्यवाही को बिना जनता के समय और धन की परवाह किए रोका जा रहा है। बावजूद इसके की त्वरित न्याय उपलब्ध कराना हम सब का उद्देश्य है।
कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन को समझना चाहिए कि अदालतें कुछ नियमों के तहत काम करती हैं और उनकी छुट्टियां पहले से तय होती है। विशेष परिस्थितियों प्राकृतिक आपदा, महामारी या किसी अधिवक्ता के साथ अनहोनी जैसी स्थिति को छोड़कर अदालत की कार्यवाही को सामान्यतः प्रभावित नहीं किया जा सकता है। वह भी सिर्फ इसलिए कि कुछ अधिवक्ता निजी धार्मिक और पारंपरिक त्योहार के कारण अदालत आने में असमर्थ है। इस प्रकार की स्थिति में अदालत से व्यक्तिगत प्रार्थना की जा सकती है जिसे कोर्ट निश्चित रूप से स्वीकार करेगी।
कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन की विशेष परिस्थितियों में नो एडवर्स ऑर्डर के प्रस्ताव का हमेशा सम्मान है। मगर बार या कार्यकारिणी से उम्मीद की जाती है कि वह इस संबंध में प्रस्ताव पारित करें। कोई भी पदाधिकारी यदि कुछ वकीलों के कहने पर इस संबंध में पत्र लिखता है तो इसे बार का सामान्य मत नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन से अपेक्षा की जाती है कि वह अदालत की नियमित कार्यवाही में सहयोग करें और जनता को न्याय उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा कि भविष्य में नो एडवर्स ऑर्डर पारित करने का अनुरोध पत्र इस संबंध में पारित प्रस्ताव के साथ आना चाहिए जो कि आम सभा द्वारा पारित किया गया हो या विशेष परिस्थिति में बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी द्वारा।
क्या है मामला
हाजी तहसीम खान की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ के समक्ष याची के अधिवक्ता ने याचिका पर सुनवाई का अनुरोध किया जबकि विपक्षी अधिवक्ता उपस्थित नहीं थे। कोर्ट को बताया गया कि 6 ,7 और 8 नवंबर को बार एसोसिएशन की ओर से नो एडवर्स ऑर्डर का अनुरोध किया गया है। इस संबंध में बार के महासचिव विक्रांत पांडेय द्वारा हस्ताक्षरित पत्र जारी किया गया है।
इस पर कोर्ट ने हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश खरे और महासचिव विक्रांत पांडेय को तलब किया। कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या इस संबंध में आम सभा द्वारा कोई ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया है। यदि है तो उसे अदालत को दिखाया जाए। मगर तीनों ही पदाधिकारी न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए और ना ही कोई प्रस्ताव दिखाया गया। जिस पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की।