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थम जाएंगी पशुओं और इंसानों के ट्रेन से कट जाने की घटनाएं, NER का 'डब्‍ल्‍यू' लगाएगा लगाम

  • डब्ल्यू आकार के स्टील बाड़बंदी से पटरियां पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएंगी। इससे ट्रैक पर न तो पशु और न ही इंसान आ पाएंगे। ट्रेनों की रफ्तार भी बरकरार रहेगी। स्टील फेसिंग लगाने का काम काफी तेजी से चल रहा है। जहां-जहां घनी आबादी है वहां पूरी कंक्रीट की बाउंड्री बनाई जा रही है।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, गोरखपुर। आशीष श्रीवास्‍तवSun, 17 Nov 2024 07:52 AM
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रेल पटरियों पर आए दिन पशुओं के साथ ही इंसानों के ट्रेन से कटने की घटनाओं पर जल्द ही पूरी तरह से अंकुश लग जाएगा। ये सब संभव होगा एनईआर के ‘डब्ल्यू’ से। डब्ल्यू आकार के स्टील बाड़बंदी से पटरियां पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएंगी। इससे ट्रैक पर न तो पशु और न ही इंसान आ पाएंगे। ट्रेनों की रफ्तार भी बरकरार रहेगी।

गोरखपुर से लखनऊ रूट पर 55 किलोमीटर (गोण्डा-लखनऊ) तक स्टील फेसिंग लगाने का काम पूरा हो गया है। बाकी बचे सेक्शन में काम काफी तेजी से चल रहा है। जहां-जहां घनी आबादी है वहां पूरी कंक्रीट की बाउंड्री बनाई जा रही है।

दरअसल, रेलवे ट्रैक पर आए दिन कोई न कोई जानवर ट्रेन की चपेट में आ जाता है। इसे लेकर कई बार विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। कुछ महीने पहले अयोध्या के पास पिता-पुत्र ने वंदे भारत एक्सप्रेस पर पथराव कर दिया था।

गोरखपुर और गोंडा के बीच उसका स्टेशन के पास ट्रेन की चपेट में आने से बंदर की मौत हो गई थी। इस पर लोगों ने विरोध दर्ज कराया था। इन्हीं परेशानियों को देखते हुए रेलवे ट्रैक के अगल-बगल स्टील के छोटे-छोटे पिलर लगाकर बाड़बंदी की जा रही है। इस व्यवस्था से आम लोगों को भी ट्रैक पर आने से रोकने में कामयाबी मिलेगी।

सीआरओ-एमआरओ में दर्ज की गई कमी

रेल पटरियों की लगातार मॉनीटरिंग, बैरीकेडिंग और बाउंड्री निर्माण के चलते कैटल (पशु) और मैन (इंसान) रन ओवर की घटनाओं में कमी आई है। डेढ़ से दो साल पहले तक एनई रेलवे में जहां औसतन कैटल रन ओवर आठ से नौ थी वहीं अब छह से सात हो गई है जबकि मैन रन ओवर की घटनाएं पहले जहां दो से तीन होती थीं वहीं अब एक से दो पर आ गई हैं। इस गिरावट से जहां ट्रेनों का संचलन बेहतर हुआ है वहीं ग्रामीणों के मवेशियों की क्षति में कमी आई है। इस गिरावट की एक और सबसे बड़ी वजह ग्रामीणों को जागरूक करना भी है।

क्‍या बोले सीपीआरओ

सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने कहा कि गोरखपुर से लखनऊ के बीच गोंडा-लखनऊ तक 55 किलोमीटर तक स्टील फेसिंग का काम पूरा भी हो गया है। बाकी बचे सेक्शन में काम तेजी से चल रहा है। इसके पूरा हो जाने से कैटल और मैन रन ओवर की घटनाओं पर अंकुश लगेगा।

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