बेटी-दामाद में खटपट, अब ससुराल वाले शादी में मिली कार से खूब कटवा रहे चालान
- बेटी की शादी में उपहार के तौर पर दी गई कार और बाइक मुसीबत बन गई है। बेटी और दामाद के बीच खटपट के बाद ससुराल वाले वाहन पर चालान कटवा रहे हैं।
बेटी की शादी में दिया गया उपहार परिवार वालों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। दंपति के बीच खटास आने के बाद ससुराली वाहन नहीं लौटा रहे हैं। वाहन का चालान होने पर जुर्माने का कागज लड़की पक्ष को थमा दे रहे हैं या फिर जमा ही नहीं कर रहे हैं। चूंकि जिसके नाम से गाड़ी है, चालान भरने की जिम्मेदारी उसकी हो जाती है, इसलिए परेशानी और विवाद बढ़ रहे हैं। ऐसे प्रकरणों की वजह से पुलिस भी परेशान है। अधिकारियों के सामने आए दिन ऐसे मामले आ रहे हैं।
चिलुआताल थाना क्षेत्र निवासी एक पिता ने अपनी बेटी की शादी चार साल पूर्व धूमधाम से की थी। उपहार में बेटी और दामाद को कार दिया। रजिस्ट्रेशन बेटी के नाम से कराया। इस बीच एक साल पहले बेटी और दामाद में किसी बात को लेकर खटपट हो गई। मामला थाना पहुंचा लेकिन दोनों पक्ष अलग नहीं हुए। उधर, उपहार में मिली कार लेकर पति घूमता रहा। अपने दोस्त को भी चलाने के लिए दे दी, जिसका चार बार में 20 हजार रुपये का चालान कट गया। इसकी जानकारी होने के बाद परिवार के लोग परेशान हैं। ससुराली न तो गाड़ी लौटा रहे हैं, न ही चालान जमा कर रहे हैं। पीड़ित ने इसकी शिकायत की है।
आठ हजार का चालान कटा तो पत्नी के पास भेज दिया
ऐसे ही एक दूसरे मामले में कैंट क्षेत्र में रहने वाले एक परिवार ने छह साल बेटी की शादी में बुलेट दी थी। उसका प्रदूषण सहित अन्य मामलों में चालान हो गया। आठ हजार जुर्माना होने पर पति ने चालान के पेपर पत्नी के पास भेज दिए। दोनों पक्षों की पंचायत बैठी तो बुलेट के चालान का मामला आया। मामला इसलिए नहीं सुलझ पा रहा है क्योंकि एक पक्ष कह रहा है कि जिसके नाम से गाड़ी है वह जुर्माना जमा कराए। दूसरा पक्ष कह रहा है कि चलाने वाले की लापरवाही से चालान हुआ है इसलिए पैसा उसे देना चाहिए।
पुलिस अधिकारी भी नहीं खोज पा रहे समाधान
शहर के थानों में आए दिन दहेज के मामले दर्ज होते हैं। लोगों के बीच उपहार में दिए सामानों को लेकर भी पंचायत होती है। इसमें वाहनों से संबंधित मामले आने लगे हैं। काफी मामले वाहनों के चालान कटने के हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कुछ लोग दामाद के नाम से पंजीकरण कराते हैं जबकि कुछ लोग बेटी के नाम से ही उपहार देते हैं। ऐसे में गाड़ी जिसके नाम से होती है, उसे ही चालान की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।