Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़If we are divided we will be divided RSS supported CM Yogi statement Dattatreya work being done to divide Hindus

'बंटेंगे तो कटेंगे'...RSS ने सीएम योगी के बयान का किया समर्थन, कहा-हिंदुओं को तोड़ने का हो रहा काम

  • पत्रकारों से बातचीत के दौरान दत्तात्रेय ने कहा, लव जिहाद से समाज में समस्या हो रही है। लड़कियों को लव जिहाद के प्रति जागरूक करें। हमारे समाज की बहन-बेटियों को बचाना हमारा काम है। केरल में 200 लड़कियों को लव जिहाद से बचाया गया है।

Dinesh Rathour लाइव हिन्दुस्तान, मथुराSat, 26 Oct 2024 03:55 PM
share Share

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शनिवार को कहा कि यह सही ही है कि यदि 'हम (हिन्दू समाज) जाति, भाषा या प्रांत के भेद से बटेंगे, तो निश्चित रूप से कटेंगे, इसीलिए हिन्दू समाज में एकता आवश्यक है।' मथुरा के दीनदयाल उपाध्याय गौ विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र परिसर में आयोजित संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की द्विदिवसीय बैठक के समापन पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हाल में दिए गए बयान 'बंटेंगे तो कटेंगे' का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा, 'हिंदू समाज एकता से नहीं रहेगा तो आजकल की भाषा में 'बंटेंगे तो कटेंगे' हो सकता है।' होसबाले ने कहा, 'यह सही है कि यदि हम (हिन्दू समाज) जाति, भाषा या प्रांत के भेद से बटेंगे, तो निश्चित रूप से कटेंगे, इसीलिए हिन्दू समाज में एकता आवश्यक है।'

उन्होंने कहा,'हिन्दू एकता लोक कल्याण के लिए है। अपने को बचाए रखने और दूसरों का भी मंगल करने के लिए हिन्दू एकता आवश्यक है, इसीलिए हम यह एकता बनाए रखना चाहते हैं।' उन्होंने कहा, 'यह केवल कह देने से ही नहीं होगा। इसके लिए प्रयत्न करने पड़ते हैं। हमें इसे आचरण में लाना पड़ता है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं।' सरकार्यवाह ने मंगलवार की शाम मथुरा पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरसंघचालक से हुई वार्ता के विषयों पर बना संशय दूर करते हुए कहा कि वह तो उत्तर प्रदेश में अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक के आयोजन पर औपचारिक रूप से स्वागत भाव से यहां पधारे थे। उन्होंने बताया कि योगी मुख्ययत: आने वाले प्रयागराज कुम्भ के आयोजन के संबंध में वार्ता करने आए थे। उनका कहना था कि इस बार का कुम्भ पिछली बार से भी अधिक सार्थक एवं यशस्वी बनाने का प्रयास होगा। इसके लिए तैयार की गई योजनाएं भी उन्होंने संघ पदाधिकारियों के सम्मुख रखीं।

होसबाले के अनुसार मुख्यमंत्री का मुख्य अनुरोध था कि कुंभ के अवसर पर यूं तो हिन्दू समाज के सभी वर्ग प्रयागराज पहुंचते हैं, लेकिन अनुभव किया गया है कि जनजाति समाज एवं उनके धार्मिक नेतृत्व के लोग किन्हीं कारणों से उतनी संख्या में नहीं पहुंच पाते, जितने में उनका प्रतिनिधित्व होना चाहिए। इसलिए आप भी अपनी ओर से उन्हें आमंत्रित कीजिए ताकि सभी वर्गों, समाजों की सहभागिता इस पुनीत कार्य में हो सके। उन्होंने कहा, 'उनका (मुख्यमंत्री का) यह भी कहना था कि यह धार्मिक ही नहीं, देश की सांस्कृतिक एकात्मता को दर्शाने वाला राष्ट्रीय आयोजन है। इससे सम्पूर्ण राष्ट्र की एकात्मता दृष्टिगोचर होती है।'

होसबाले ने संसद में वक्फ के संबंध में लाए गए प्रस्ताव से जुड़े सवालों पर कहा, 'संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) इन दिनों सभी धर्मों और वर्गों के विचार सुन रही है। असल तो यह है कि पूर्व में बनाए गए वक्फ अधिनियम में 2013 में कुछ इस प्रकार के संशोधन किए गए थे जिससे उसे भारत के अंदर एक प्रकार से एक स्वतंत्र इकाई बना दिया गया था। जिलाधिकारी या कोई अन्य सक्षम अधिकारी भी उस मामले में कुछ हस्तक्षेप नहीं कर सकता था।' उन्होंने कहा, 'यह सब ऐसे ही नहीं हो गया। इससे पहले लक्षित हिंसा पर भी एक ऐसा ही विधेयक लाने का प्रयास किया गया था। इस प्रकार की चीजों से बहुत सारी समस्याएं खड़ी हो गई हैं। यह सब एक विशेष साजिश के तहत योजनानुसार करने का प्रयत्न हुआ था, उनको ठीक करना ही पड़ेगा।'

मुस्लिम समुदाय की वक्फ की ज्यादाती से त्रस्त

होसबाले ने कहा कि बात सिर्फ यह नहीं है कि केवल हिन्दू ही इस विधेयक के विरोध में हैं बल्कि सच्चाई तो यह है कि मुस्लिम वर्ग के भी बहुत से लोग जेपीसी के समक्ष अपनी समस्याएं रख चुके हैं। उन्होंने कहा,' यह वही समुदाय हैं जो वक्फ की ज्यादती, शोषण और अन्याय से त्रस्त है। इसीलिए वे भी आपत्ति कर रहे हैं। सच तो यह है कि यह किसी एक पार्टी या समुदाय का मसला नहीं है।' लोकसभा चुनाव के समय में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के संघ से खींचतान जैसे कथित वक्तव्य के संबंध में पूछे गए प्रश्न पर उनका जवाब था, 'हम सार्वजनिक संगठन हैं। हमारी भाजपा तो क्या, अन्य किसी भी दल से कोई खींचातान नहीं है। हम तो सभी से मिलते हैं। किसी से हम भेदभाव नहीं करते।' उन्होंने कहा, 'हमें नफरत क्यों करनी? उल्टा, मेरा कहना है कि जो 'नफरत के बाजार में मुहब्बत की दुकान चलाना चाहते हैं, वे तो हमसे मिलना ही नहीं चाहते।

अगला लेखऐप पर पढ़ें