गुड न्यूज: हाइड्रोजन से बिना प्रदूषण मिलेगी एनर्जी, डीडीयू के फिजिक्स टीचर का रिसर्च कामयाब
- एक अच्छी खबर है कि हाइड्रोजन स्वच्छ ऊर्जा का नया स्रोत हो सकता है। हाइड्रोजन पर्याप्त मात्रा में पर्यावरण में मौजूद है। इससे ऊर्जा उत्पन्न करने में प्रदूषण नहीं होगा। इस दिशा में गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के शिक्षक को अहम सफलता मिली है।
Energy from hydrogen: ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों पेट्रोलियम, कोयला, लकड़ी आदि से प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। स्वच्छ ऊर्जा के प्रयोग को लेकर तमाम शोध हो रहे हैं। इस लिहाज से एक अच्छी खबर है कि हाइड्रोजन स्वच्छ ऊर्जा का नया स्रोत हो सकता है। हाइड्रोजन पर्याप्त मात्रा में पर्यावरण में मौजूद है और इससे ऊर्जा उत्पन्न करने में प्रदूषण नहीं होगा। इस दिशा में गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के शिक्षक को अहम सफलता मिली है।
गोविवि के भौतिक विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने सुपर एटम (सुपर हैलोजन) की मदद से हाइड्रोजन के कंपाउंड को स्थिर करने में सफलता हासिल की है। सुपर कंप्यूटर से हुई गणना में यह प्रयोग सफल रहा है। इस तरह की रिसर्च पहली बार हुई है। शोध में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. नीरज मिश्र और डीडीयूजीयू की शोध छात्रा हर्षिता श्रीवास्तव शामिल हैं। रिसर्च पेपर अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के जर्नल इनआर्गेनिक केमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है।
जटिल है हाइड्रोजन का स्टोरेज डॉ. अंबरीश ने बताया कि हाइड्रोजन गैस ऊर्जा का एक स्वच्छ माध्यम है। यह धरती पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। इस ऊर्जा का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। इसमें कई व्यावहारिक समस्याएं हैं। सबसे बड़ी समस्या है हाइड्रोजन का पर्याप्त संचय होना और संचित हाइड्रोजन का आवश्यक्तानुसार उपलब्ध न हो पाना। इसकी प्रकृति अस्थिर है। इस वजह से इसका स्टोरेज कठिन है। इसे ऊर्जा में तब्दील करने की प्रक्रिया भी बेहद जटिल है।
हाइड्रोजन के सहज प्रयोग पर रिसर्च शुरू डॉ. अंबरीश ने बताया कि सुपर एटम की मदद से तैयार नया यौगिक कमरे के तापमान पर स्थायी है। हालांकि, इसका व्यावहारिक प्रयोग होना शेष है। सुपर एटम के इस्तेमाल से इसके विघटन को रोका जा सकता है। दूसरे चरण में इसके सहज प्रयोग के विकल्प पर रिसर्च शुरू हुई है। इसमें संचित हाइड्रोजन को पदार्थ में बदल कर स्टोर किया जाएगा। फिर उसे नियंत्रित विघटन से ऊर्जा में परिवर्तित किया जाएगा।
सुपर हैलोजन है कॉम्प्लेक्स मॉडल
सुपर हैलोजन दरअसल पदार्थ और उसके अणु के बीच की कड़ी है। यह एक जटिल परमाणुओं का स्ट्रक्चर होता है। इसमें इलेक्ट्रान की संख्या कम होती है। इसका व्यवहार हैलोजन ग्रुप के तत्व फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन और आयोडीन तत्व की तरह होता है।
आठ वर्ष से चल रही है रिसर्च
डॉ. अंबरीश ने बताया कि इस दिशा में शोधकार्य वर्ष 2016 से कर रहे हैं। इस नए शोध से बने यौगिक में हाइड्रोजन 20 से 24 फीसदी तक संचित हो सकता है।
इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करता है सुपर हैलोजन
प्रयोग के लिए अमोनियम बोरोहाइड्राइड का प्रयोग होगा। इसके एक अणु में हाइड्रोजन के आठ परमाणु होते हैं। अमोनियम बोरोहाइड्राइड का अमोनिया-बोरेन में विघटन होने से वह कमरे के तापमान में अस्थिर होता है। अमोनियम बोरोहाइड्राइड के अणु को स्थिर करने के लिए सुपर हैलोजन का प्रयोग किया गया। सुपर हैलोजन को अत्यधिक इलेक्ट्रॉन एफिनिटी के लिए जाना जाता है। इसके संपर्क में आने के बाद अमोनियम तेजी से आकर्षित होने लगे। दोनों को मिलाने के बाद बने नए कंपाउंड को कमरे के तापमान पर भी स्थिर रखा जा सका।