NSG ब्लैक कैट कमांडो की ट्रेनिंग कितनी कड़ी? पहले ट्रेंड IPS असीम अरुण ने बताया, अब योगी के मंत्री हैं
- बड़े नेताओं को सुरक्षा घेरे में रखने वाले एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो की ट्रेनिंग कितनी कड़ी होती है, इसका खुलासा सीएम योगी आदित्यनाथ के मंत्री असीम अरुण ने किया है। असीम देश के पहले आईपीएस हैं जिन्होंने अपनी पसंद से ये ट्रेनिंग ली।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guard) यानी एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो के सुरक्षा घेरे में आपने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व सीएम अखिलेश यादव या मायावती को देखा होगा। काली वर्दी में देश की सबसे चौकस सुरक्षा दस्ते के ये जवान आतंकवादी हमले या बंधक जैसी विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए खास तौर ट्रेन किए जाते हैं। सरकार ने कुछ बड़े नेताओं की सुरक्षा में भी इनको लगाया है। लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे कि इनकी ट्रेनिंग कितनी कड़ी होती है। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की नौकरी को छोड़कर राजनीति में आए असीम अरुण ने ब्लैक कैट कमांडों ट्रेनिंग के टफ होने की एक झलक सोशल मीडिया पर शेयर की है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1984 में अपनी हत्या से चार-पांच महीने पहले ही एनएसजी के गठन को कैबिनेट से मंजूरी दी थी हालांकि संसद से इसके गठन के कानून को पास कराने और बनाने में दो साल का समय लगा। 1986 से एनएसजी काम कर रहा है जहां भारतीय सेना, अर्द्धसैनिक बल और राज्य पुलिस के जवान प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर जाते हैं और ट्रेनिंग के बाद काम करते हैं। ये एक ऐसा सुरक्षा दस्ता है जो टास्क मिलने पर काम करता है। एनएसजी में प्रशिक्षित जवानों का दो ग्रुप है। स्पेशल एक्शन ग्रुप (एसएजी) में आर्मी वाले होते हैं जबकि स्पेशल रेंजर्स ग्रुप (आरएजी) में पैरामिलिट्री और राज्य पुलिस के जवान। आईपीएस अफसर को ब्लैक कैट कमांडो की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है।
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1994 बैच के आईपीएस अफसर असीम अरुण ने अपनी इच्छा से ब्लैक कैट कमांडो की ट्रेनिंग के लिए आवेदन किया और मंजूरी के बाद 2003-04 में बाकी जवानों के साथ प्रशिक्षण लिया। इसमें ज्यादातर जवान रैंक में असीम के काफी नीचे थे। असीम अरुण रविवार को वाराणसी गए थे जहां उनको एनएसजी ब्लैक कैट कमांडो ट्रेनिंग के बैचमेट रमेश कुमार यादव मिल गए। भावुक असीम ने उनके और एक दूसरे सहयोगी के साथ फोटो शेयर करके थोड़ा हिंट दिया है कि एनएसजी की ट्रेनिंग में कितनी टफ होती है।
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असीम अरुण ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया है कि- “कोर्स कर्रा भी था और डराने वाला भी। इसका अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि एडमिशन फॉर्म में पहला कॉलम था- नाम। और दूसरा- यदि प्रशिक्षण में आप की मृत्यु हो गई तो अंत्येष्टि किस विधि से चाहेंगे।” उन्होंने लिखा कि उनके साथ यूपी पुलिस के 33 लोग ट्रेनिंग में गए थे लेकिन सभी पीएसी कांस्टेबल थे। एनएसजी ने असीम को प्रशिक्षण में इस शर्त पर लिया था कि वो ट्रेनिंग के दौरान आईपीएस अफसर के तौर पर किसी रियायत की उम्मीद ना करें। इससे पहले किसी आईपीएस ने ये ट्रेनिंग नहीं ली थी। असीम ने लिखा है कि कठोर प्रशिक्षण और कूद- फांद के बीच 5-7 मिनट का ही रेस्ट होता था। इसी छोटे से रेस्ट ब्रेक में लाइन में लग कर चाय-बिस्कुट लेना होता था।