हाथरस के रेडीमेड कारोबार को कॉमन सेंटर का आज भी इंतजार
हाथरस जिले में करीब सौ इकाइयों में होता है कपड़े तैयार करने का काम, हाथरस से दिल्ली, मध्यप्रदेश सहित कई प्रांतों को होती है माल की आपूर्ति, कॉमन सेंटर उद्यमियों को सिखाए जाने से रेडीमेड के नए गुर, आज तक नहीं धरातल पर
हाथरस जिले के रेडीमेड कारोबरियों को आज भी कई साल बीतने के बाद अभी तक कॉमन सेंटर नहीं मिला है। कॉमन सेंटर में उद्यमियों रेडीमेड के नए गुर सिखाने की योजना तैयार की गई। अभी तक कॉमन सेंटर खोलने की योजना धरातल पर नहीं हुई है। ओडीओपी में शामिल होने के बाद जिले के रेडीमेड कारोबारी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। यहां ट्रांसपोर्ट से लेकर उधोग को बढ़ावा देने पर कोई काम नहीं हुआ है। बस ओडीओपी के तहत ऋण की सुविधा मिली है। हाथरस से दिल्ली मध्यप्रदेश सहित कई प्रांतों को माल की आपूर्ति होती है। करोड़ों रुपये का सालाना टर्न ओवर है। इसके बाद सुविधाओं की कमी है।
हाथरस का रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग उत्तर प्रदेश सहित कई प्रांतों में खासी पहचान बना चुका है। बीते साल सरकार ने रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग को एक जिला एक उत्पाद की सूची में शामिल कर लिया है। शहर में करीब सौ इकाइयां संचालित हो रही हैं। इन इकाइयों में करीब 1500 कारीगर काम करते हैं। यहां कारोबारी व कारीगरों के लिए प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाना था। प्रशिक्षण केंद्र पर नई-नई टेक्नोलॉजी पर काम जाना था। अभी तक कॉमन सेंटर को लेकर अधिकारियों से लेकर उद्यमियों तक कोई पहल नहीं की है। इस कारण रेडीमेड कारोबार परेशानियों से जूझ रहा है। यहां ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था बेहतर नहीं है। इस कारण यहां के कारोबार को कच्चा माल मंगाने के अलावा नया माल भेजने में मुशिकलें कारोबारियों के सामने परेशानी आ रही है।
बोले कारोबारी
यहां के रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग ने अन्य प्रदेशों में खासी पहचान बनाई है। काफी समय बीतने के बाद आज तक यहां कॉमन सेंटर खोलने की पहल पर अमल नहीं हुआ है। ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी सही नहीं है। इस कारण यहां से माल भेजने में परेशानी होती है। साथ ही आर्डर देरी से पहुंचता है।
- राजेश अग्रवाल, रेडीमेड गारमेंट्स करोबारी
रेडीमेड गारमेंट्स को सरकार ने एक जिला एक उत्पाद में शामिल कर दिया है लेकिन अभी तक इस पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ है। ओडीओपी में शामिल कर ऋण उपलब्ध कराने की सुविधा मिली है। कारीगरों को बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए कॉमन सेंटर बनाया जाना था। इस पर आज तक अमल नहीं किया गया है।
- उमेश चंद्र शर्मा, रेडीमेड कारोबारी
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