इमाम बाड़े में शब्बेदारी में उमड़े लोग, शहादत को याद किया
हरदोई के बिलग्राम कस्बे में रवीउल अव्वल की रात शब्बेदारी का आयोजन हुआ। बड़ी संख्या में लोग इमाम बाड़े में एकत्रित हुए। मौलाना कंबर हुसैन और अन्य विद्वानों ने कर्बला के वाकये पर चर्चा की। मातम और नौहा...
हरदोई। बिलग्राम कस्बे में हर साल की तरह इस साल भी 6-7 रवीउल अव्वल की रात कस्बा बिलग्राम के ऐतिहासिक बाड़े इमाम बाड़े में शब्बेदारी का आयोजन हुआ। इसमें भारी संख्या में लोग उमड़े। बड़े इमामबाड़े से विरासत हुसैन मोंटू के यहां से जुलूस को मातम करते हुए हुई महेंदी हैदर इमाम बाड़े आए। जहां मौलाना कंबर हुसैन ने मजलिस को संबोधित किया। शब्बेदरी मे शुरुवात मर्सिये से हुई जिसको आजादर हुसैन व उनके हमनामा ने पढ़ा। मरसिए के बाद निजामत वहब नसीराबादी ने विचार व्यक्त किए। शायर मुदस्सिर जौनपुरी ने अपनी मख़सूस अंदाज में शेरो शायरी पेश की। मौलाना मोहम्मद हुसैनी साहब ने मजलिस को खिताब किया। मौलाना ने वाकये कर्बला पे रोशनी डाली। जिसमें मजलिस को सुनने के लिए काफी तादाद में लोग इमाम बाड़े में आए। मजलिस के बाद नौहा-मातम का सिलसिला शुरू हुआ जो पूरी रात चलता रहा। संचालन वहब नसीराबदी ने किया। इस दौरान मौलाना शारिब अब्बास अकबरपुर ने तकरीर कर कहा कि इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में अपने 72 जानिसरो के साथ शहादत देकर इस्लाम को बचाया है। उन्होंने नाना के दिन को बचाने के लिए जालिम बादशाह यजीद के हाथों बैयत करने के बाजए शहीद होना मुनासिब समझा। इमाम में हुसैन की शहादत के बाद उनके घर वालो को कैदी बना लिया गया।
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