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रिकार्ड बनाकर भूले जिम्मेदार, घटने लगे मजदूर

प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक जुटे तो एक दिन में 1 लाख 40 हजार से ज्यादा प्रवासियों को मनरेगा में काम देकर रिकार्ड कायम करने के बाद अब जिम्मेदार उन्हें भुलाने लगे हैं। यही वजह है कि 10 हजार से...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरदोईMon, 6 July 2020 11:07 PM
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प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक जुटे तो एक दिन में 1 लाख 40 हजार से ज्यादा प्रवासियों को मनरेगा में काम देकर रिकार्ड कायम करने के बाद अब जिम्मेदार उन्हें भुलाने लगे हैं। यही वजह है कि 10 हजार से भी ज्यादा मजदूरों की संख्या कम हो गई है। कुओं का जीर्णोद्धार, वेटलैंड की खुदाई, खेलमैदानों के दुरुस्तीकरण की रफ्तार भी कुंद पड़ गई है। ब्लाक स्तर पर तैनात अधिकारियों की लापरवाही व अनदेखी के कारण श्रमिकों की संख्या डेढ़ लाख से ऊपर जाने का सपना चकनाचूर हो रहा है।

तराई क्षेत्र वाले इस जिले के ग्रामीण इलाकों में 100 वेटलेंट चिह्नित किए गए। ये 19 विकास खंडों में स्थित हैं। इनमें से शनिवार तक 80 वेटलैंड पर काम शुरू नहीं हो सका था केवल 20 पर ही काम लगाया जा सका है। यहां पर भी गिने-चुने मजदूर ही लगे हैं। इसीलिए अब तक एक भी वेटलैंड पर निर्धारित कार्य पूरा नहीं सका है। फिलहाल ब्लाक स्तरीय अधिकारियों व स्टाफ की सुस्ती से रोजगार सृजन में ये वेटलैंड सहायक नहीं सिद्ध हो पा रहे हैं।

जिले भर में 99 खेल मैदानों का कायाकल्प होना है। इनमें से अब तक 82 पर काम ही नहीं शुरू कराया गया है। केवल 10 खेल मैदान पर ही कार्य चल रहा है। मजदूरों की संख्या यहां पर भी कम है। अब तक सात खेल मैदानों पर ही काम पूरा हो सका है। अहिरोरी, बावन, भरावन, बिलग्राम, हरपालपुर, कछौना, माधौगंज, मल्लावां, पिहानी, सण्डीला, शाहबाद, सुरसा, टोंडरपुर ब्लाक में एक भी खेल मैदान पर काम नहीं शुरू कराया गया है।

सबसे महत्वाकांक्षी सई नदी के पुनरोद्धार कार्य भी धीमा हो गया है। यही वजह है कि कई महीने बीतने व अथक प्रयासों के बाद भी चयनित 84 में से 2 स्थलों पर काम ही शुरू नहीं हो सका है। मौजूदा समय में 78 स्थानों पर काम चल रहा है, लेकिन पर्याप्त संख्या में मजदूर नहीं लगाए गए हैं। यही वजह है कि मानसून आ चुका है पर काम पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक मात्र 4 स्थलों पर ही काम पूरा हो पाया है। कागजी खेल कर सरकारी धन के बंदरबांट के सपने देखे जा रहे हैं।

अभी भी पानी देने वाले कुओं का जीर्णोद्धार करने के लिए 19 ब्लाकों में 3935 कुएं चयनित किए गए। इनमें से मात्र दो कुओं का जीर्णोद्धार ही शुरू हो सका है। 3933 जगह पर कुएं काम शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। जीर्णोद्धार कार्य पूर्ण होने की प्रगति अभी शून्य है। भूगर्भ जल संरक्षण के लिए इस अनूठी पहल को भी प्रधान व सचिव गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इससे रोजगार सृजन के साथ ही वाटर रिचार्जिंग की प्रक्रिया भी धीमी पड़ गई है।

मनरेगा से प्राचीन जल स्रोत पुनरोद्धार योजना के तहत कुओं की मरम्मत व साफ सफाई का कार्य मंगलवार से तेजी से किया जाएगा। जनपद में 17 हजार से अधिक कुओं का पुनरोद्धार किया जाना है। डीएम के निर्देश पर कुओं के पुनरोद्धार का काम शुरू कराया गया है। पहले चरण में प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एक कुओं की साफ सफाई की जा रही है।

डीएम पुलकित खरे ने बताया कि प्राचीन जलस्रोतों को पुनर्जीवन देकर जल संरक्षण की दिशा में काम किया जा रहा है। जल स्रोतों का पुनरोद्धार होगा तो निश्चित ही पेयजल की दिशा में अहम कार्य होगा। इसके साथ ही निष्प्रयोज्य कुओं को जल संरक्षण के लिए तैयार किया जाएगा। बारिश के पानी को सहेजने के लिए इन कुओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए जल निगम की टीम को ग्राम पंचायतों को तकनीकी सलाह देने के निर्देश दिए गए हैं। आवासीय क्षेत्र के छतों का पानी कुओं तक पहुंचाने पर भी काम किया जाना है। इसकी संभावनाएं तलाशने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।

डीएम पुलकित खरे का कहना है कि सभी ग्राम पंचायतों को एक-एक कुओं की सफाई, जगत निर्माण कर लोहे के जाल से ढकने कार्य शुरू करवाने को कहा गया है। मनरेगा से कुओं को जीवनदान दिया जाएगा। इस कार्य से वृहद स्तर पर रोजगार सृजन भी होगा। सई नदी, खेल मैदान व वेटलेंड के काम में भी तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। स्थलीय निरीक्षण करके काम में ढिलाई बरतने वालों को दंडित किया जाएगा।

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